राज एक्सप्रेस। जब भी कभी दो देशों के बीच युद्ध होता है तो उसका नुकसान सिर्फ उन देशों को ही नहीं होता है। बल्कि, उन दोनों देशों के साथ ही यह नुकसान अन्य देशों को भी झेलना पड़ता है। वहीं, यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे इस युद्ध में के चलते भारत भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। हालात यह है कि, अब भारत में बढ़ती महंगाई के बीच पेट्रोल-डीजल की कीमतें भी बढ़ना शुरू हो चुकी हैं। ऐसे में भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज यानि शुक्रवार को कच्चे तेल खरीदने को लेकर जानकारी दी।
वित्त मंत्री ने दी जानकारी :
दरअसल, भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज यानि शुक्रवार को कच्चे तेल खरीदने को लेकर जानकारी दी। भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने शुक्रवार को जानकारी देते हुए कहा है कि, 'भारत, रूस से कच्चे तेल की खरीद (Crude Purchase from Russia) जारी रखेगा। इसकी वजह है कि भारत के लोगों को वैश्विक कीमतों में उछाल के बाद छूट पर तेल की जरूरत है। भारत ने रूस से तेल खरीदना शुरू कर दिया है। गैस पर ट्रांजिशन चुनौतीपूर्ण था क्योंकि आपूर्ति कम हो गई थी।'
रूस के विदेश मंत्री का कहना :
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Sergei Lavrov) ने शुक्रवार को इस बारे में चर्चा की और इस चर्चा के बाद रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने शुक्रवार को बताया है कि, 'रूस ने भारत जैसे देशों के साथ राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार करने के लिए एक प्रणाली विकसित की है और डॉलर बेस्ड भुगतान प्रणाली से दूर होने के प्रयास तेज किए जाएंगे। सर्गेई लावरोव नई दिल्ली की यात्रा पर हैं। रूस अपने सहयोगियों और भागीदारों के साथ द्विपक्षीय व्यापार के लिए बाधाओं को दूर करने के तरीके तलाश रहा है। आगे कहा कि भारत के साथ व्यापार के लिए रुपया-रूबल भुगतान प्रणाली पूर्व में लागू की गई थी और इसे और मजबूत किया जा सकता है। अधिक से अधिक लेनदेन, राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग करके और डॉलर-आधारित प्रणाली को दरकिनार करते हुए किया जाएगा।'
लावरोव से पूछा गया प्रश्न :
इस चर्चा के दौरान ही रियायती रूसी तेल खरीदने की नई दिल्ली की योजना को लेकर एक सवाल रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से पूछा गया। जिसका उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि, 'मॉस्को कुछ भी देने के लिए तैयार है जो भारत खरीदना चाहता है। रूसी विदेश मंत्री ने यूक्रेन संकट पर भारत के रुख की सराहना करते हुए कहा कि वह एक स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करता है। भारत के साथ रक्षा क्षेत्र में रूस अपना सहयोग जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है। यूक्रेन पर आक्रमण के बाद अमेरिका और ब्रिटेन ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाए हैं। अमेरिकी और ब्रिटिश अधिकारी रूस के साथ डॉलर बेस्ड वित्तीय प्रणाली को कम करने से बचने और प्रतिबंधों का पालन करने को लेकर भारत पर दबाव डाल रहे हैं।'
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