राज एक्सप्रेस। हाल ही में भारत और ब्रिटेन द्वारा संयुक्त आर्थिक और व्यापार समिति का एक भारत-ब्रिटेन संयुक्त आर्थिक और व्यापार समिति (जेटको) सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मलेन के दौरान दोनों देशों के बीच बनी सहमति से देशों ने मुक्त व्यापार समझौते के लिए प्रतिबद्धता जताई। इसके बाद अर्ली हार्वेस्ट समझौते (Early Harvest Agreement) के लिए मंजूरी दे दी गई।
अर्ली हार्वेस्ट समझौते को मंजूरी :
दरअसल, भारत और ब्रिटेन द्वारा बनी सहमति से अब अर्ली हार्वेस्ट समझौते को मंजूरी मिल गई है। बताते चलें, ऐसा इतिहास में पहली बाद हुआ है जब इस तरह के पहले वर्चुअल भारत-ब्रिटेन संयुक्त आर्थिक और व्यापार समिति (JETCO) के सम्मेलन में मंजूरी दी गई।
दिल्ली में बैठक करने की योजना :
इस अनुमति का लगभग कई श्रेय वाणिज्य एवं उद्योग व रेल मंत्री पीयूष गोयल और ब्रिटेन की विदेश व्यापार मंत्री लिजट्रूस को जाता है क्योंकि इन्होंने लगातार बैठक कर इस समझौते की उपलब्धियों को हासिल करने पर सहमति जताई है। इस तरह की स्कीम के तहत प्रोडक्ट्स पर शुल्क लगाए जाने के प्रति उदारता बरती जाती है। इसके अलावा दोनों देशो ने आने वाले कुछ महीनों में कोरोना से बने हालातों के सही होने पर नई दिल्ली में बैठक करने को लेकर योजना भी बनाई है।
क्या है अर्ली हार्वेस्ट स्कीम ?
बताते चलें, अर्ली हार्वेस्ट स्कीम (Early Harvest Scheme) दो बिजनेस पार्टनर देशों के बीच होने वाला फ्री ट्रेडिंग अग्रिमेंट हैं। जो दो देशों के बीच मुक्त व्यापार की दिशा में अहम कदम बढ़ाता है। यह दो व्यापारिक देशों को टैरिफ उदारीकरण के लिए कुछ उत्पादों की पहचान करने में मदद करने के लिए एफटीए वार्ता के समापन के लिए लंबित है। यह मुख्य रूप से एक विश्वास निर्माण उपाय है। सरल भासा में कहें तो इस स्कीम के तहत दोनों कारोबारी पार्टनर देश ऐसी वस्तुओं और सेवाओं की पहचान करते हैं, जिन पर शुल्क लगाए जाने के प्रति रियायत बरती जाती है।
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