आयकर विभाग ने कर्मचारियों को दिए जाने वाले किराया रहित आवास के मूल्यांकन नियम बदले
हाईलाइट्स
इस नियम में बदलाव से कंपनियों के कर्मचारियों के हाथ आएगी अब ज्यादा सैलरी
कंपनी की ओर से मिलनेवाले किराया-रहित आवास में रहने वाले कर्मचारियों को मिलेगा लाभ
शहरों-आबादी का वर्गीकरण 2001 की जगह 2011 की जनगणना के आधार पर की गई
नई दिल्ली। आयकर विभाग ने कंपनियों की ओर से कर्मचारियों को दिए जाने वाले किराया रहित आवास के मूल्यांकन करने के नियम बदल दिए हैं। नियमों में इस बदलाव से ज्यादा वेतन पाने वाले और कंपनी की ओर से मिलनेवाले किराया-रहित आवास में रहने वाले कर्मचारियों को लाभ होगा। वे अब पहले की तुलना में और ज्यादा बचत कर सकेंगे। इससे कर्मचारियों के टेक-होम वेतन में अच्छी खासी बढ़ोतरी हो जाएगी। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीटीबीटी) ने 18 अगस्त को आयकर नियमों में संशोधन से संबंधित अधिसूचना जारी की है।
एक सितंबर से प्रभावी हो जाएंंगे नए नियम
अब ये नियम 1 सितंबर से प्रभावी हो जाएंगे। वित्त अधिनियम 2023 में संशोधन, एक कर्मचारी को उसकी कंपनी द्वारा प्रदान किए गए रियायती आवास के मूल्य के संबंध में 'सुविधा' की गणना के प्रयोजनों के लिए लाया था। गणना के नियम अब अधिसूचित कर दिए गए हैं। आयकर विभाग के अनुसार शहरों और आबादी का वर्गीकरण और सीमाएं अब 2001 की जनगणना की जगह 2011 की जनगणना के आधार पर किया गया है।
इस प्रकार किया जाएगा आवास का मूल्यांकन
संशोधित अधिसूचना के अनुसार, निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए कंपनी की ओर से दिए गए आवासों का मूल्यांकन इस प्रकार किया जाएगा-
जिन शहरों की आबादी 40 लाख से अधिक है वहां मूल्यांकन वेतन का 10% होगा, पहले 15% होता था। तथा पहले आबादी की सीमा 25 लाख थी।
जिन शहरों की जनसंख्या 15 लाख से 40 लाख के बीच है, वहां मूल्यांकन वेतन का 7.5 फीसदी होगा, जो पहले 10 फीसदी होता था।
15 लाख से कम आबादी वाले शहरों में मूल्यांकन वेतन का 5 प्रतिशत किया गया है, पहले यह 7.5 प्रतिशत होता था। आबादी की सीमा 10 लाख से कम थी।
(आबादी की गणना 2011 की जनगणना के अनुसार की गई)
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