इतने सालों में पान मसाले की कीमत में मात्र इतनी सी बढ़त, क्या है बड़ी वजह?
राज एक्सप्रेस। अज मार्केट में बहुत से ऐसे उत्पादों की बिक्री होती हैं, जिससे लोगों को नुकसान होता है, लेकिन फिर भी वह तेजी से बिकते हैं और इनका मार्केट एक बड़े लेवल को छू रहा है। इन्हीं में पान मसाला और तंबाकू का उद्योग भी शामिल हैं। यह हमारे लिए नुकसानदायक होता है, इसके बाद भी मार्केट में यह काफी ज्यादा मात्रा में बिक रहा है। इतना ही नहीं यह एक ऐसा उत्पाद है जिसमें टैक्स चोरी के भी बहुत मामले सामने आते रहे हैं। यह सेक्टर हमेशा से ही जांच एजेंसियों की हिटलिस्ट में शामिल रहा है। वहीँ, अब इस सेक्टर पर रोक लगाने के मकदस से अप्रैल 2023 में टैक्स का भार दोगुना कर दिया गया। हालांकि, महंगाई का कोई असर पान मसाला और तंबाकू की बिक्री पर नहीं पड़ा।
पान मसाला उत्पादों की बिक्री :
दरअसल, पान मसाला उत्पादों के सेक्टर पर रोक लगाने के उद्देश्य से अप्रैल में इनपर लगने वाला टैक्स दोगुना कर दिया गया है। हालांकि, तब भी महंगाई का इस पर कोई असर नहीं पड़ा है। इस मामले में हैरान हो रहे वस्तु एवं सेवा कर टैक्स (GST) और डायरेक्टर जनरल ऑफ GST इंटेलीजेंस (DGGI) के अधिकारी भी फिलहाल 'वेट एंड वाच' की हालत में नजर आरहे हैं। उनका कहना है कि, पान मसाला और तंबाकू पर 28% GST लगने के बाद भी मसाले पर 32% और तंबाकू पर 51% सेस भी लिया जाता है। GST इंटेलिजेंस कार्यालय के अधिकारी GST परिषद द्वारा पान मसाले पर बिल के बजाय खुदरा बिक्री मूल्य पर उपकर लगाने के बाद भी इंतजार कर रहे हैं। क्योंकि, 38 दिनों के लिए नई कर व्यवस्था लागू होने के बाद भी इनकी कीमतें अब तक नहीं बढ़ीं है।
व्यवस्था में किए गए बदलाव का असर :
बताते चलें, अप्रैल में इसपर टैक्स दुगुना किया गया है। जबकि, इससे पहले दोनों टैक्स, मसाले के पाउच पर लिखी कीमत की जगह कंपनी द्वारा जारी बिल पर लगाए जाते थे। कंपनियां वर्तमान समय में टैक्स बचाने के लिए 25 हजार के मसाले की कीमत महज 10 हजार रुपये दिखाकर इसी मूल्य पर टैक्स भरते आरहे हैं। GST इंटेलिजेंस कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, 'इस नियम की आड़ में जमकर टैक्स चोरी होती थी। चूंकि, किसी भी उत्पाद पर अधिकतम GST 28% लगाया जा सकता है, जो मसाले और तंबाकू इंडस्ट्री पर पहले से लागू है। यही कारण है कि, GST काउंसिल ने 1 अप्रैल से बिल के बजाय फुटकर बिक्री मूल्य पर सेस लगा दिया। इस व्यवस्था में किए गए बदलाव का असर ऐसा हुआ है कि, 'पांच रुपये वाले पान मसाले पर सेस लगभग 60 पैसे से बढ़कर 1.28 रुपये हो गया।'
तंबाकू पर सेस :
बता दें, तंबाकू पर लगने वाला सेस लगभग 84 पैसे से बढ़कर 2.04 रुपये हो गया। दो रुपये, दस रुपये और बीस रुपये में मिलने वाले पान मसाला पाउच का यही फॉर्मूला है। एजेंसियों ने यह कदम इस उम्मीद में उठाया था कि, 'इससे टैक्स चोरी में कमी आएगी और मसाला महंगा होने से मांग घटेगी। जबकि ऐसा तो कुछ नही हुआ और उलटा ही मांग बढ़ रही है। वर्तमान समय में पांच रुपये में बिकने वाले मसाला व तंबाकू पाउच पर लगभग 8 रुपये की लागत और ढाई रुपये वाले पाउच की लागत लगभग 4 रुपये है। खबरों की मानें तो, नई टैक्स व्यवस्था लागू से 38 दिन बाद भी कीमत न बढ़ने से विभाग अलर्ट हो गया है। पान मसाला मशीनों की संख्या में 30% तक बढ़त दर्ज होने की उम्मीद की जा रही है।
37 साल में कीमत में मात्र इतनी सी बढ़त :
बताते चलें, पान मसाला और तंबाकू उत्पाद का उद्योग एक ऐसा उद्योग है जिसपर दुनिया पर में बढ़ रही महंगाई का, कोरोना का या किसी भी अन्य आपदा का कोई खास असर नहीं देखा गया। क्योंकि, महंगाई बढने के बाद भी इसकी कीमत में कोई बदलाव नहीं हुआ। जो पाउच साल 1985 में 1 रुपये का था, उसकी कीमत आज बढ़ी भी है तो मात्र दो से ढाई रुपये। सूत्रों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, 5 रुपये वाले पाउच में टैक्स हटने के बाद इसकी कीमत लगभग 1.10 रुपये हो जाती हैं। जबकि इसी कीमत में कच्चा माल, तंबाकू, पैकिंग, परिवहन, भंडारण, डीलर, फुटकर और कंपनी का प्रॉफिट सभी शामिल है और ऐसा होना असंभव सा है।
पाउच कीमत होती इस इस प्रकार तय
पाउच पर लगने वाला कुल खर्च
टैक्स के बाद बचे- 1.10 रुपये चार्ज
पान मसाले की लागत- 1.34 रुपये
तंबाकू की लागत- 76 पैसा
कंपनी का प्रति पाउच मुनाफा - 50 पैसा
डीलर का मुनाफा प्रति पाउच- 30 पैसा
फुटकर व्यापारी का प्रति पाउच मुनाफा - 70 पैसा
पैकेजिंग पर खर्च- 5 पैसा
परिवहन पर खर्च- 2 पैसा
भंडारण पर खर्च- 2 पैसा
अन्य खर्च- 5 पैसा
कुल खर्च - 3.74 रुपये
पाउच पर लगने वाला टैक्स
पान मसाले पर GST - 38 पैसे
मसाले पर सेस- 1.28 रुपये
तंबाकू पर GST - 20 पैसे
तंबाकू पर सेस- 2.04 रुपये
कुल टैक्स- 3.90 रुपये चार्ज
टैक्स सहित एक पाउच की लागत :
कुल टैक्स (3.90) + कुल खर्च (3.74) = पाउच की लागत (7.64 रुपये)
हैरान करने वाली बात यह है कि, एक पाउच की कुल लागत 7.64 रुपये होती है, लेकिन इसके बाद भी यह पाउच मार्केट में 5 रुपये में बिक रहा है। अब सवाल यह उठता है कि, क्या इसका कारण सिर्फ टैक्स चोरी ही है ? या और भी कोई कारण हैं, जो अब तक सामने नहीं आया है।
क्या है टैक्स चोरी बड़ी वजह?
जी हां, पान मसाला और तंबाकू ऐसा उत्पाद है जिसको लेकर अक्सर टैक्स चोरी की खबरें सामने आती रही हैं, जिससे परेशान होकर सरकार ने विनिर्माताओं पर 1 अप्रैल से रिटेल सेल्स प्राइस (RSP) पर आधारित GST सेस निर्धारित कर दिया गया है। इस व्यवस्था में हुए बदलाव से तंबाकू गुटखा वाले पान मसाला पर GST सेस RSP का 0.61 गुना वहीँ, सिगरेट और पाइप वाली तंबाकू सामग्री पर 0.69 गुना लगने लगा है। इसके अलावा तंबाकू चबाना, फिल्टर वाली खैनी और जर्दा पर RSP का 0.56 गुना सेस लगेगा जबकि हुक्का और ब्रांडेड कच्चे तंबाकू के लिए यह दर 0.36 गुना लगता है। इन सब के 1 अप्रैल से लागू होने के बाद अब टैक्स चोरी के मामले कम होने की पूरी उम्मीद जताई जा रही है। हो सकता है कि, अब पान मसाला और तंबाकू की कीमत में बढ़त भी दर्ज हो।
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