अगले महीने से कुछ दवाइयों पर नहीं लगेगी इंपोर्ट ड्यूटी

दवाइयां दिन प्रति दिन महंगी होती जा रही है। इसी महंगाई को कम करने के लिए सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने कुछ दवाइयों पर इंपोर्ट ड्यूटी को खत्म करने का फैसला किया है।
अगले महीने से कुछ दवाइयों पर नहीं लगेगी इंपोर्ट ड्यूटी
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राज एक्सप्रेस। आज महंगाई के इस दौर में मार्केट में लगभग सभी वस्तुएं महंगी होती जा रही हैं। इनमें भी सबसे ज्यादा हेल्थ केयर के प्रोडक्ट्स के कारण बढ़ रही है। दवाइयां दिन प्रति दिन महंगी होती जा रही है। इसी महंगाई को कम करने के लिए सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने कुछ दवाइयों पर इंपोर्ट ड्यूटी को खत्म करने का फैसला किया है।

कुछ दवाइयों पर नहीं लगेगी इंपोर्ट ड्यूटी :

दरअसल, किसी भी प्रोडक्ट पर इंपोर्ट ड्यूटी लगने से उसकी कीमत देश में बढ़ जाती है। अब ऐसे में यह कोई जरूरी वस्तु हो तो उसकी कीमत बढ़ने से ग्राहकों को परेशान होना पड़ता है। वहीँ, अब ऐसे में अगर बात करें दवाइयों की तो, देश में कुछ दवाइयां तो इंपोर्ट ड्यूटी लगने के बाद इतनी ज्यादा महंगी हो जाती हैं कि, आम लोग इसे खरीद नहीं पाते हैं। इसी समस्या को मद्देनजर रखते हुए भारत सरकार ने विदेशों से इंपोर्ट होने वाली दवाइयों पर से इंपोर्ट ड्यूटी हटा दी है। सरकार ने नेशनल रेयर डिजीज पॉलिसी 2021 के अंतर्गत लिस्टेड सभी तरह की रेयर बीमारियों के इलाज के लिए इंपोर्टेड दवाओं और स्पेशल फूड पर बेसिक कस्टम ड्यूटी खत्म करने का ऐलान जकर दिया है।

कब से लागू होगा फैसला :

जानकारी के लिए बता दें, भारत सरकार द्वारा कुछ दवाइयों पर से यह इंपोर्ट ड्यूटी अगले महीने यानी 1 अप्रैल से हटा देगी। हालांकि, सरकार द्वारा दी जा रही यह राहत सिर्फ ऐसे लोगों को ही मिलेगी जो पर्सनल यूज के लिए दवाओं को इंपोर्ट करते हैं। ऐसे लोगों के अलावा, सरकार द्वारा पेम्ब्रोलिज़ुमाब (कीट्रूडा) पर भी राहत दी गई है। पेम्ब्रोलिज़ुमाब का इस्तेमाल कैंसर जैसी बीमारी के लिए किया जाता है। बता दें, सरकार द्वारा मिल रही छूट का फायदा प्राप्त करने के लिए पर्सनल इंपोर्टर को केंद्रीय या राज्य हेल्थ सर्विस डायरेक्टर, जिला चिकित्सा अधिकारी या जिले के सिविल सर्जन से एक प्रमाण पत्र लेने की आवश्यकता होगी।

दवाओं पर लगने वाला टैक्स :

बताते चलें, वर्तमान समय में उन सभी दवाओं पर 10% बेसिक ड्यूटी लगती है, जबकि लाइफ सेविंग ड्रग्स एवं इंजेक्शंस पर 5% का टैक्स लगता है। कुछ दवाओं को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी या डचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है उन दवाओं पर सरकार पहले ही छूट दे चुकी है।

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