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ईवी को मिली चुनौती : हाल के दिनों में कम लागत व सुगम मेंटीनेंस से हाइब्रिड वाहनों की लोकप्रियता बढ़ी

निर्भरता, लागत में कमी और कम रखरखाव के कारण हाइब्रिड वाहन हाल के दिनों में लोकप्रिय हुए हैं। ईवी को इससे मुकाबला करने के लिए कई तरह के बदलाव करने होंगे।
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हाईलाइट्स

  • इस साल 27 ईवी मॉडल्स लांच किए, जबकि 51 नए हाइब्रिड मॉडल लांच किए गए।

  • फिलहाल, भारत में हाइब्रिड वाहन इलेक्ट्रिक वाहनों से एक मील आगे निकल गए हैं।

  • इलेक्ट्रिक वाहनों को इससे मुकाबला करने को कई तरह के बदलाव करने की जरूरत।

राज एक्सप्रेस । हाल के दिनों में निर्भरता, लागत में कमी और कम रखरखाव के कारण हाइब्रिड वाहनों ने काफी लोकप्रियता हासिल की है। इलेक्ट्रिक वाहनों को इससे मुकाबला करने के लिए कई तरह के बदलाव करने की जरूरत है। माना जा रहा है कि ईवी वाहनों को भारत में प्रभावी जगह बनाने के लिए ईवी पारिस्थितिकी तंत्र के विकास, चार्जिंग सुविधाओं के विकास और उच्च बीमा लागत को कम करने जैसी चुनौतियों का हल निकालना होगा। फिलहाल, भारत में हाइब्रिड वाहन इलेक्ट्रिक वाहनों से एक मील आगे निकल गए हैं। वैश्विक रुझानों के विपरीत, भारतीय ग्राहक पूरी तरह से बैटरी या बीईवी द्वारा संचालित इलेक्ट्रिक कारों की जगह हाइब्रिड वाहनों को पसंद करते हैं, जो इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर्स की मिश्रित ताकत से चलते हैं। आप हाईब्रिड कारों की लोकप्रियता का अंदाजा इस तथ्य से लगा सकते हैं कि 2023 में ईवी के केवल 27 मॉडल्स लांच किए गए हैं, जबकि इसकी तुलना में हाइब्रिड के 51 नए मॉडल लॉन्च किए गए हैं।

बिल्कुल नई तरह की तुनौती से जूझ रहा ईवी सेक्टर

यह ईवी के लिए बिल्कुल नई तरह की तुनौती है। देखना है कि इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपनियां इसका किस तरह से मुकाबला करती हैं। हाइब्रिड वाहन अपनी विश्वसनीयता, सामर्थ्य और कम रखरखाव के कारण लोगों के पसंदीदा वाहन बन गए हैं। दूसरी ओर, सीमित रेंज, चार्जिंग की बुनियादी सुविधाओं की कमी और महंगा बीमा ऐसी चिंताएं हैं, जिसकी वजह से ईवी पारिस्थितिकी तंत्र को भारत में परेशानी से जूझना पड़ रहा है। हाईब्रिड वाहन सस्ते भी हैं। बाजार शोधकर्ता जाटो डायनेमिक्स के अनुसार, हाइब्रिड की औसत खुदरा कीमत 16.98 लाख रुपये है जबकि ईवी की औसत खुदरा कीमत 17.71 लाख रुपये है। आश्चर्य की बात नहीं है कि जनवरी-नवंबर 2023 में कुल यात्री वाहन (पीवी) की बिक्री में हाइब्रिड की हिस्सेदारी 12.6% थी, जबकि ईवी की हिस्सेदारी केवल 2.3% थी।

चार-पांच साल बाद ईवी की ओर लौटेंगे खरीदार

जाटो डायनेमिक्स के अध्यक्ष रवि भाटिया ने कहा कि हाइब्रिड वाहन, पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने की दिशा में एक मध्यवर्ती तकनीक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना जारी रख सकते हैं, जो उपभोक्ताओं को पूरी तरह से इलेक्ट्रिक गतिशीलता में बदलने से पहले वैकल्पिक ईंधन प्रौद्योगिकियों से परिचित कराने में सहायक हैं। मुंबई में आईटी इंजीनियर 35 वर्षीय प्रवीण शाह उन लोगों में से हैं जो हाइब्रिड से प्रभावित है। जब कार खरीदने की बारी आई तो उन्होंने शुरुआत में इलेक्ट्रिक कार टाटा नेक्सन फियरलेस लॉन्ग रेंज खरीदने के बारे में विचार किया, जिसकी कीमत 18.69 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) है। काफी सोच-विचार के बाद शाह ने अंततः हाइब्रिड मारुति सुजुकी ग्रैंड विटारा ज़ेटा को खरीदा जिसकी कीमत 18.33 लाख रुपये थी।

कमजोर चार्जिंग इंफ्रा और कम रिसेल वैल्यू बड़ी बाधा

शाह ने कहा कमजोर चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और कम रिसेल वैल्यू के कारण मैने अंततः हाइब्रिड का विकल्प चुना। शाह ने कहा वह तीन-चार सालों में इलेक्ट्रिक कार के विकल्प पर विचार करेंगे, जब देश में अच्छा चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित हो जाएगा । विशेषज्ञों का कहना है कि हाइब्रिड को फिलवक्त भारतीय बाजार में बढ़त हासिल है, लेकिन ईवी जल्दी ही लागत और इंफ्रा से जुड़ी गड़बड़ियों का अंतर पाट देगी । ईवी पहले ही एक मोड़ ले चुका है। जाटो डायनामिक्स के अनुसार शाह की आपत्तियों के बावजूद, नेक्सॉन ईवी ने ईंधन लागत के मामले में ग्रैंड विटारा जैसे मजबूत हाइब्रिड वाहन को पीछे छोड़ दिया है। दो वर्षों में यह अंतर 80% तक पहुंच गया है।

ईवी में दिखे कई सुधार, अगले दिनों में बदलेगी स्थिति

ईवी के रखरखाव और मरम्मत की लागत के मामले में 36% और कमी देखने में आई है। इसलिए, लंबे समय तक ईवी को बनाए रखना अंतः सस्ता सौदा साबित होने वाला है। भारतीय ईवी बाजार में 2017 के बाद से मांग में 100% से अधिक की वृद्धि देखने में आई है। 2023 में जनवरी-नवंबर के बीच ईवी की बिक्री दोगुनी होकर 89,137 इकाई हो गई, जो 2022 की इसी अवधि में 44,489 थी। हालांकि, भारत में ईवी की बिक्री में मध्यम होने की उम्मीद है। टाटा मोटर्स ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट में बताया 2024 उच्च आधार के कारण। इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण में अग्रणी टाटा मोटर्स का कहना है कि नए लॉन्च और चार्जिंग ढांचे के विस्तार के कारण, इलेक्ट्रिक कारों की वार्षिक बिक्री 2028 तक बढ़कर एक मिलियन यूनिट तक पहुंच जाएगी।

ईवी सेक्टर के वैश्विक दिग्गज भारत आने को बेताब

टाटा मोटर्स का अनुमान है कि 2027 तक उसकी कुल बिक्री में ईवी की हिस्सेदारी 25% और दशक के अंत तक 50% हो जाएगी। ऑटोमोबाइल कंपनियां इन दिनों ईवी के लिए विभिन्न रणनीतियां अपना रही हैं। टाटा मोटर्स, हुंडई, महिंद्रा और एमजी मोटर का ईवी पर दीर्घकालिक नजरिया अपना रहे हैं। अमेरिका स्थित टेस्ला और फ़िक्सर और वियतनाम स्थित विनफ़ास्ट जैसे कई इलेक्ट्रिक खिलाड़ियों ने भारत में आने का प्रयास शुरू कर दिया है। वीडब्ल्यू और स्कोडा अगले दो-तीन वर्षों में ईवी लॉन्च करने जा रही है। इस बीच हाइब्रिड कारों में अग्रणी मारुति सुजुकी और टोयोटा ने भी इलेक्ट्रिक वाहन लॉन्च करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं।

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