मेड इन चाइना प्रोडक्ट्स ने कैसे बनाया भारत में दबदबा?

"भारत और भारतीय मानस पर चीन का गहरा प्रभाव है। सुविधाएं मिलने पर भारतीय कंपनियां भी चीन से बराबरी का मुकाबला करने में सक्षम हैं।" जानिये चीन के वर्चस्व के कारक और भारतीय बाजार में सुधार के मंत्र।
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हाइलाइट्स

  • कामकाज का अंतर

  • अंतर बचत के तरीकों का

  • गणित आयात-निर्यात का

  • BBVA के शोध के निहितार्थ

  • चांदनी चौक मेड इन चाइना में तब्दील!

राज एक्सप्रेस। इंडिया में छा जाने के लिए चीनी बाजीगरी संपूर्ण भारत में जोर-शोर से जारी है। चाहे बात चीन निर्मित मोबाइल फोन की हो, चीनी उद्यम पूंजी निवेश या सर्व सुलभ सस्ते खिलौने की, तो चीनी कंपनियों की उपस्थिति को भारत में कमतर नहीं आंका जा सकता।

प्रभुत्व के निहितार्थ -

भारत में, सरकार के भीतर और इसके बाहर के लोग खौफ और गुस्से से लेकर डर तक के मनोभाव प्रदर्शित कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि; दुनिया में चीन के इस बढ़ते प्रभुत्व के वास्तविक निहितार्थ क्या हैं?

लेख में प्रयास सच को जानने और भारत और भारतीय जनमानस पर चाइना के प्रभाव की जांच करने पर केंद्रित है। साथ ही लक्ष्य उस रास्ते का भी पता लगाना है जिसके जरिये भारतीय कंपनियां चाइना से बराबरी का मुकाबला कर सकें। इसे पढ़ें- चाइनीज CEOs ने कैसे की तगड़ी कमाई?

चक्कर चाइना का -

सनद रहे 1991 से 2011 के दशक के दौरान यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ सोवियत रिपब्लिक (USSR) के पतन के दौर में चाइना की मात्र दो सालों की वृद्धि (ग्रोथ) 8 फीसदी थी। यह एशियाई और रसियन मुद्रा संकट का परिणाम था। संदर्भ में विचारकों के कथन तर्क संगत लगते हैं। इसे पढ़ें - चाइना छोड़ने वाली कंपनियों के लिए “सेज़” तैयार

“चक्रवृद्धि ब्याज दुनिया का आठवां आश्चर्य है। जो इसे समझता है, वह इसे कमाता है ... और जो इसे नहीं समझता है, वह इसका भुगतान करता है।"

अल्बर्ट आइंस्टीन, महान विचारक (कथित बयान)

अर्थव्यवस्था में उछाल -

रिकॉर्ड के मान से 25 से अधिक वर्षों में मिश्रित 8 फीसद लगातार सालाना वृद्धि का परिणाम अर्थव्यवस्था में 7 सौ फीसद वृद्धि है। यही वो सरल जादू है जिसमें चीन ने निपुणता दिखाई। हालांकि यह भी काबिल ए गौर है कि 2011 से चीन की अर्थव्यवस्था कभी भी 8 फीसद वृद्धि के आंकड़े को एक बार भी लांघ नहीं पाई।

कामकाजी लोग -

1991 से 2011 के दशक में चीन की कामकाजी आबादी 648 मिलियन से बढ़कर 782.6 मिलियन तक जा पहुंची। ध्यान रखें यह एक वर्ष में लगभग 6.6 मिलियन की वृद्धि है।

हालाँकि वर्ष 2005 और 2011 के बीच, चीन की श्रमिक आबादी में केवल 16 मिलियन की वृद्धि हुई। साथ ही 2011 और 2017 के बीच इसमें केवल 4 मिलियन की मामूली मात्रा में बढ़ोत्तरी हुई। इसे पढ़ें - Zoom, Google Meet के विकल्प बतौर सरकार ने चुने Zoho, HCL और अन्य 8

बात बचत की -

अब बात करें यदि बचत की, तो साल 2011से 2014के बीच, चीन की सकल बचत 3.8ट्रिलियन डॉलर से 5.15ट्रिलियन डॉलर पहुंच गई। वर्ष 2014और 2017के दौरान, इसमें 2017 में होने वाले थोक विकास के साथ सिर्फ 0.6ट्रिलियन डॉलर की वृद्धि हुई।

Ceicdata की रिपोर्ट अनुसार चाइना की सकल बचत दर पिछले वर्ष में 44.7% की तुलना में, Dec 2019 में चीन की सकल बचत दर को 44.6% मापा गया था। चीन की सकल बचत दर, अद्यतन वर्ष 1952 से दिसंबर 2019 तक उपलब्ध है, जिसकी औसत दर 36.3% है।

गणित आयात-निर्यात का -

प्राथमिक अर्थशास्त्र बताता है कि अत्यधिक निर्यात-चालित अर्थव्यवस्था जल्द ही एक ऐसे चरण में पहुंच जाती है जहां घरेलू निवेश बंद होने लगता है, गिरता है और अंततः विदेशी निवेश स्थान लेने लगता है।

यह एक ऐसा समीकरण है जिसके बारे में अर्थशास्त्र में प्राथमिक रुचि रखने वाला कोई भी व्यक्ति अवगत होगा -

घरेलू निवेश + सरकारी व्यय + (निर्यात-आयात) = बचत + कर

किसी बजटीय हानि को न मानते हुए समीकरण बन जाता है -

घरेलू निवेश + (निर्यात-आयात) = बचत

यह स्पष्ट है कि जब निर्यात की मात्रा आयात से अधिक होती है, तो बचत भी घरेलू निवेश से अधिक होती है और फिर इस अंतर को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के रूप में बाहर ले जाने की जरूरत होती है।

विकास का प्रतिबिंब -

संपूर्ण आर्थिक विकास में मंदी के साथ श्रमिक जनसंख्या दर में यह आश्चर्यजनक गिरावट, चीन की निर्यात-संचालित विकास रणनीति का एक स्पष्ट प्रतिबिंब है। इसके परिणाम स्वरूप घरेलू निवेश कम हो गया और दूसरी ओर रॉकेट की गति से देश से बाहर जाने के लिए FDI बेकरार है।

नतीजतन, बाहरी एफडीआई साल 2010 के 60 बिलियन डॉलर के मुकाबले वर्ष 2016 में तिगुनी गति से 181 बिलियन डॉलर हो गया।

आंकड़ों में FDI -

वर्ष 2017-2019 के लिए चीन की अर्थव्यवस्था को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए दूसरा सबसे आकर्षक स्थान प्रदान किया गया था। चीन के आगे केवल अमेरिका था। वर्ष 2017 और 2018 के बीच FDI के अंतर्वाह में 136 बिलियन से 139 बिलियन यूएस डॉलर की लगभग +3.7% वृद्धि जारी रही।

BBVA का शोध -

स्पैनिश बहुराष्ट्रीय वित्तीय सेवा कंपनी बैंको बिलबाओ विजकाया अर्जेंटारिया (BBVA) के शोध के अनुसार, 2016 में भारत को मिले केवल 1 बिलियन डालर की तुलना में वर्ष 2017 में 3.1 बिलियन डॉलर हासिल हुए।

अमेरिकी संरक्षणवाद और लैटिन अमेरिका के मुद्दों के परिणाम स्वरूप साल 2017 में भारत बड़ा लाभार्थी बन गया। यहां तक ​​कि चीनी सरकार ने दुनिया भर में चीन के निवेश पर अंकुश भी लगाया।

लेकिन भारतीय बाजार में कैसे चीन की कंपनियों ने सेंध लगाई? तीज-त्यौहार से लेकर मनोरंजन जगत में चीन ने कैसे एंट्री मारी? और क्या है बॉलीवुड में जैकी फार्मूला?" राज एक्सप्रेस की खास श्रृंखला में जानिये पैठ का तरीका। आर्टिकल भारतीय बाजार में चाइनीज कंपनियों की फर्राटा चाल! में।

डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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