अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए हरियाणा सरकार ने उठाए बड़े कदम

भारत में तेजी से बढ़ रहे प्रकोप में कई राज्य आये हैं। वहीं, कोरोना का असर अब हरियाणा की अर्थव्यवस्था पर दिखाई देने लगा है, राज्य सरकार ने इसे पटरी पर लाने को लेकर कुछ कदम उठाने का फैसला ले रही है।
Haryana Government taken major steps Ffor maintain  economy
Haryana Government taken major steps Ffor maintain economySyed Dabeer Hussain - RE
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राज एक्सप्रेस। भारत में तेजी से बढ़ रहे कोरोना प्रकोप में कई राज्य बड़े स्तर पर इसकी चपेट में आये हैं। पूरे देश में आर्थिक मंदी है। वहीं, कोरोना का असर अब हरियाणा की अर्थव्यवस्था पर दिखाई देने लगा है और राज्य सरकार ने इसे पटरी पर लाने को लेकर कुछ कदम उठाने का फैसला लिया है जिनके तहत सामान्य, लग्जरी और सुपर लग्जरी बस किराया, पेट्रोल-डीजल पर वैट और मंडियों में मार्केट फीस बढ़ाने का फैसला किया है।

आधिकारिक प्रवक्ता ने दी जानकारी :

हरियाणा में आधिकारिक प्रवक्ता ने इस बारे में जानकारी देते हुये बताया है कि, राज्य सरकार ने इन सब का किराया कितना बढ़ाने का निर्णय लिया है। बता दें, वहां बस का किराया 85 पैसा प्रति यात्री प्रति किलोमीटर से बढ़ाकर 1 रुपया प्रति यात्री प्रति किलोमीटर कर दिया गया है। जिससे बसों का संचालन लागत, जो जून, 2016 में 37.48 रुपये प्रति किलोमीटर से बढ़कर दिसम्बर, 2019 में 52.23 रुपये प्रति किलोमीटर हो गई है उसे आंशिक रूप से पूरा किया जा सके। यह वृद्धि वर्ष 2010-11 में की गई 25 प्रतिशत वृद्धि और वर्ष 2012-13 में की गई 20 प्रतिशत वृद्धि से काफी कम है।

संशोधित किराया :

राज्य सरकार द्वारा संशोधित किए गए किराये के अनुसार, साधारण बसों का किराया 85 पैसे प्रति किलोमीटर से बढ़ाकर 100 किलोमीटर तक की दूरी के लिए 100 पैसे प्रति किलोमीटर और 100 किलोमीटर से अधिक की यात्रा के लिए 105 पैसे प्रति किलोमीटर किया गया है। हालांकि, इस वृद्धि के बावजूद राज्य में बस किराया पड़ोसी राज्यों पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और उत्तरप्रदेश की तुलना में कम रहेगा। बता दें, राज्य में इससे पहले 30 जून, 2016 को बस किराया संशोधित किया था और साधारण बस का किराया 75 पैसे प्रति यात्री प्रति किलोमीटर से बढ़ाकर 85 पैसे प्रति यात्री प्रति किलोमीटर किया गया था।

परिचालन खर्च बढ़ा :

राज्य में बस किराये में किए गए संशोधन के बाद से, विशेष रूप से कर्मचारियों, डीजल, स्पेयर पार्ट्स, टायर-ट्यूब, लुब्रीकेंट, बस चेसिस, बस निर्माण लागत और बीमा इत्यादि पर खर्चे में वृद्धि के कारण परिचालन खर्च बढ़ गया था। प्रति किलोमीटर खर्च जून, 2016 में 37.48 रुपये से बढकऱ दिसम्बर, 2019 में 52.23 रुपये हो गया। बढ़े हुए खर्च के परिणामस्वरूप, हरियाणा रोडवेज भारी नुकसान के साथ कार्य कर रहा है और रोडवेज को चालू वित्त वर्ष में जनवरी, 2020 तक 726.21 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है।

अन्य प्रकार की बस सेवा :

बता दें, वहीं अन्य प्रकार की बस सेवाओं, जिनमें हीटिंग, वेंटिलेटिंग और एयर कंडीशनिंग बसों का किराया 150 पैसे प्रति यात्री प्रति किलोमीटर तक बढ़ाया गया है। इंट्रा-स्टेट लग्जरी वातानुकूलित बसों वोल्वो/मर्सिडीज के लिए 175 पैसे प्रति यात्री प्रति किलोमीटर और सुपर लग्जरी एयर कंडीशंड बसों, वोल्वो/मर्सिडीज (चंडीगढ़-दिल्ली-गुरुग्राम रूट पर परिचालन) का किराया बढ़ाकर 250 पैसे प्रति यात्री प्रति किलोमीटर किया गया है।

न्यूनतम बस किराया :

न्यूनतम प्रभार्य साधारण बस किराया पांच रुपये होगा। व्यक्तिगत सामान के लिए किराया प्रति 40 किलोग्राम प्रति किलोमीटर के लिए साधारण बस के किराए का आधा होगा। इसी प्रकार, 40 किलोग्राम वजन से नीचे के व्यक्तिगत सामान के लिए कोई किराया नहीं लिया जाएगा।

डीजल और पेट्रोल की कीमत :

सरकार ने डीजल और पेट्रोल की कीमतों में अक्टूबर, 2018 की तुलना में लगभग 15 रुपये प्रति लीटर की कमी को ध्यान में रखते हुए डीजल और पेट्रोल की बिक्री पर वैट दर को आंशिक रूप से बहाल करने की मंजूरी दी है। इससे कर की दर में पेट्रोल के मामले में एक रुपये प्रति लीटर जबकि डीजल के मामले में 1.1 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि होगी। प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार, सरचार्ज सहित -

  • पेट्रोल पर कर की दर - 26.25 के साथ पेट्रोल पर 14.96 रुपये प्रति लीटर

  • डीजल पर कर की दर - 17.22 % के साथ डीजल पर 15.96 रुपये प्रति लीटर

इस वृद्धि से, राज्य प्रतिमाह लगभग 61 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर जुटाने में सक्षम होगा, जिसमें डीजल से प्रतिमाह 49 करोड़ रुपये तथा पेट्रोल से प्रतिमाह 12 करोड़ रुपये मिलेंगे।

राज सरकार का मंडियों से जुड़ा फैसला :

राज्य सरकार ने मंडियों में फलों एवं सब्जियों की बिक्री पर 1% मार्केट फीस और 1% HRDF लगाने का निर्णय लिया है। पड़ोसी राज्यों में पहले से ही फलों एवं सब्जियों की बिक्री पर 2% मार्केट फीस और 2% उपकर लगाया जा रहा है। इसी प्रकार चंडीगढ़ में फलों एवं सब्जियों पर 2% मार्केट फीस और हिमाचल प्रदेश तथा दिल्ली में फलों एवं सब्जियों पर 1% मार्केट फीस लगाई जा रही है।

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