राज एक्सप्रेस। पिछले कुछ समय से भारत को आत्मनिर्भर बनाने की मुहीम जोरों पर है। इसके तहत लोकल फॉर वोकल और मेड इन इंडिया प्रॉडक्ट को भी काफी बढ़ावा दिया जा रहा है। हाल ही में भारत में मोबाइल फोन उत्पादन का काम जोरों पर था। वहीं, अब भारत में मेड इन इंडिया लैपटॉप के उत्पादन और विश्व भर के मार्केट में उसकी हिस्सेदारी बढ़ाने की तैयारी जोरों पर है।
भारत सरकार की योजना :
दरअसल, भारत सरकार मेड इन इंडिया लैपटॉप के उत्पादन और विश्व भर के मार्केट में उसकी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए सरकार लैपटॉप व टैबलेट के उत्पादन व निर्यात पर इंसेंटिव देने की योजना तैयार कर रही है। बता दें, वर्तमान में भारत में लैपटॉप, टैबलेट और डेस्कटॉप का उत्पादन मात्र 1.97 अरब डॉलर का है। जबकि साल 2019 भारत ने इन वस्तुओं का 4.21 अरब डॉलर का आयात किया था। इनमें से भी 87% आयात चीन से किया गया था। भारत ने आज से पांच साल पहले लैपटॉप, टैबलेट व डेस्कटॉप का चीन से 2.83 अरब डॉलर का आयात किया था जो, पिछले साल 3.65 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया था। वहीं, अगले साल मार्च तक यही आयत 4.35 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया है।
मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार :
IT और इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, लैपटॉप व टैबलेट के टैरिफ समझौते के चलते ऐसे प्रॉडक्ट के आयात शुल्क को बढ़ाना आसान नहीं होता है, लेकिन इन प्रॉडक्ट की मैन्यूफैक्चरिंग लागत को कम करके घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को प्रोत्साहित किया जा सकता है। इतना ही नहीं मेड इन इंडिया लैपटॉप के उत्पादन के साथ ही निर्यात प्रोत्साहन के लिए भी इंसेंटिव देने को लेकर विचार किया जा सकता है जिससे घरेलू स्तर पर मैन्यूफैक्चरिंग को प्रोत्साहन मिलेगा।
उत्पादन की लागत :
बताते चलें, वर्तमान में चीन और वियतनाम की तुलना में भारत में लैपटॉप व टैबलेट के उत्पादन की लागत 10-20% ज्यादा है। इस अंतर में कमी लेकर ही मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ाया जा सकता है। लैपटॉप व टैबलेट के वैश्विक बाजार में 60% से अधिक की हिस्सेदारी रखने वाले चीन में इन दिनों श्रमिक लागत भारत के मुकाबले काफी अधिक हो गई है।
चेयरमैन का कहना :
इंडिया सेलुलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICA) के चेयरमैन पंकज महेंद्रू का कहना है कि, भारत के पास अभी इलेक्ट्रॉनिक्स की वैश्विक सप्लाई चेन का प्रमुख हिस्सा बनने का सुनहरा अवसर है, लेकिन सिर्फ मोबाइल फोन मैन्यूफैक्चरिंग पर निर्भर रहकर ऐसा संभव नहीं है। विश्व के लिए भारत में निर्माण करके लैपटॉप, टैबलेट और डेस्कटॉप मैन्यूफैक्चरिंग वैल्यू को वर्ष 2025 तक 100 अरब डॉलर तक ले जाया जा सकता है। इससे 5 लाख अतिरिक्त नौकरियां निकल सकती हैं और 75 अरब डॉलर मूल्य की विदेशी मुद्रा का भारत में प्रवाह बढ़ सकता है।
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