कर्ज घटाने के लिए वेदांता ग्रुप की कोशिशों का सरकार ने किया विरोध, जानिए क्या है पूरा मामला?
राज एक्सप्रेस। माइनिंग सेक्टर की दिग्गज कंपनी वेदांता ग्रुप का कर्ज कम करने की योजनाओं को बड़ा झटका लगा है। भारत सरकार ने कर्ज कम करने के लिए की जा रही कोशिशों के कड़ा विरोध किया है। यही नहीं सरकार ने कानूनी कार्रवाई करने की धमकी भी दी है। तो चलिए जानते हैं कि आखिर यह पूरा मामला क्या है।
जिंक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट बेचने की तैयारी :
दरअसल वेदांता ग्रुप के चेयरमैन और उद्योगपति अनिल अग्रवाल ने कंपनी का कर्ज घटाने के लिए वेदांता ग्रुप की जिंक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को बेचने की तैयारी कर ली है। वेदांता ग्रुप अपनी इस यूनिट को अपनी ही सब्सिडियरी, हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड को बेचना चाहती है। इस सौदे के जरिए वेदांता ग्रुप को 298.1 करोड़ डॉलर मिलेंगे। हिंदुस्तान जिंक ने जनवरी में इस सौदे पर सहमति जताई थी।
सरकार ने दी चेतावनी :
हालांकि वेदांता ग्रुप की इन कोशिशों को सरकार से बड़ा झटका लगा है। सरकार ने चेतावनी दी है कि अगर ग्रुप ने ऐसा करने की कोशिश की तो वह लीगल एक्शन पर भी विचार करेगी। बता दें कि हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड में भारत सरकार की करीब 30 फीसदी हिस्सेदारी है। वहीं वेदांता ग्रुप के पास हिंदुस्तान जिंक की 64.92 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
वेदांता ग्रुप के पास कैसे आई हिस्सेदारी :
बता दें कि साल 2002 तक हिंदुस्तान जिंक पर सरकार का स्वामित्व था। अप्रैल 2002 में सरकार ने अपनी 26 फीसदी हिस्सेदारी 445 करोड़ रुपए में वेदांता ग्रुप को बेची थी। इसके बाद वेदांता ग्रुप ने 20 फीसदी हिस्सेदारी बाजार से खरीद ली। वहीं नवंबर 2003 में वेदांता ग्रुप ने कंपनी की 18.92 फीसदी हिस्सेदारी और खरीद ली। इस तरह वेदांता ग्रुप के पास हिंदुस्तान जिंक की 64.92 प्रतिशत हिस्सेदारी आ गई।
कंपनी पर बढ़ सकता है ओर दबाव :
पिछले दिनों S&P ग्लोबल रेटिंग्स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि यदि वेदांता ग्रुप ने अपने इंटरनेशनल जिंक एसेट्स को बेचकर दो अरब जुटाने में नाकाम रहा तो इससे कंपनी पर इसका दबाव बढ़ सकता है।
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