सरकार कर सकती है VI में हिस्सेदारी का अधिग्रहण, कर्ज चुकाने हेतु उठाना होगा ये कदम
राज एक्सप्रेस। साल 2020 अन्य सेक्टर्स के साथ ही टेलिकॉम कंपनियों के लिए भी कुछ ठीक नहीं रहा। क्योंकि, कोर्ट ने सभी टेलिकॉम कंपनियों को 'एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू' (AGR) की रकम चुकाने के आदेश जारी कर दिए थे। इन आदेशों के बाद कई टेलिकॉम कंपनियों की मुश्किलें काफी बढ़ गईं थीं। क्योंकि, इन कंपनियों के AGR की रकम बहुत ज्यादा थी। हालांकि, वोडाफोन-आइडिया लिमिटेड (VIL) का कर्ज अब भी बाकी है। इस मामले में अब सरकार टेलिकॉम कंपनी वोडाफोन-आइडिया (VI) को राहत देने पर विचार कर रही है। इसलिए सरकार ने कंपनी के सामने एक खास पेशकश की हैं।
केंद्र सरकार का विचार :
दरअसल, केंद्र सरकार ने कर्ज में डूबी टेलिकॉम कंपनी Vodafone-Idea (VI) को बड़ी राहत देने पर विचार किया है। इस विचार के तहत सरकार वोडाफोन-आइडिया लिमिटेड (VIL) में हिस्सेदारी का अधिग्रहण करने पर विचार कर रही है। हालांकि, सरकार कंपनी के शेयर का भाव 10 रुपए पर स्थिर हो जाने पर कंपनी में हिस्सेदारी का अधिग्रहण करेगी। इस मामले में एक आधिकारिक सूत्र द्वारा सामने आई जानकारी के अनुसार, 'बाजार नियामक SEBI के मानकों के अनुसार, हिस्सेदारी का अधिग्रहण समान मूल्य पर ही होना चाहिए। VIL के शेयर का भाव 10 रुपए के करीब स्थिर होने के बाद दूरसंचार विभाग हिस्सेदारी अधिग्रहण को मंजूरी देगा।'
कंपनी में किसकी कितनी हिस्सेदारी :
बताते चलें, वोडाफोन-आइडिया (VI) पर लगभग 16,000 करोड़ रुपए कर्ज हैं, जो उसे सरकार को सरकार को ब्याज के रूप में देने हैं। हालांकि, सरकार के इस नए ऑफ़र से कंपनी का कर्ज उतार सकता है। कंपनी के निदेशक मंडल द्वारा इस रकम के बदले में सरकार को 10 रुपए प्रति शेयर के बराबर कीमत पर हिस्सेदारी देने की पेशकश की है। यदि सरकार कंपनी की हिस्सेदारी का अधिग्रहण कर लेती है तो, VIL में सरकार की हिस्सेदारी करीब 33% हो जाएगा। इसी के साथ कंपनी के प्रमोटर्स की हिस्सेदारी 74.99% से घटकर 50% हो जाएगी। इसके अलावा वर्तमान समय में वोडाफोन इंडिया (VI) के प्रमोटर और चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला की हिस्सेदारी 27% और ब्रिटेन की कंपनी वोडाफोन PLC की 44% है।
कंपनी का मार्केट कैप :
वर्तमान समय में वोडाफोन इंडिया (VI) का मार्केट कैप 31200 करोड़ रुपए है। इसके अलावा कंपनी पर 30 सितंबर, 2021 तक 1,94,780 करोड़ रुपए का कर्ज था। इसके बाद अप्रैल-जून तिमाही, 2022 के अंत में यह कर्ज बढ़कर 1,99,080 करोड़ रुपए हो गया है।
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