ऑटोमोबाइल। आज दुनियाभर में इलेक्ट्रिक वाहनों का क्रेज काफी तेजी से बढ़ता चला जा रहा है। अब तक पूरी दुनिया में इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण सिर्फ कार निर्माता कंपनी ही करती आरही थीं। इसके अलावा हाल ही में कई नई स्टार्टअप कंपनियों ने भी अपने इलेक्ट्रिक वाहन लांच किए हैं। इन वाहनों का एक फायदा ये भी है कि, इन वाहनों से कम प्रदूषण होता है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए अब कई कंपनियों ने इलेक्ट्रिक वाहनों का रुख कर लिया है। इतना ही नहीं पिछले काफी समय से भारत सरकार भी इलेक्ट्रिक वाहनों को देश में काफी बढ़ावा दे रही है। जिसके लिए कई योजनाएं भी ला चुकी है। वहीं, अब सरकार का विचार इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए नई स्क्रैप (कबाड़) पॉलिसी लेकर आने का है।
सरकार की स्क्रैप पर आधारित योजना :
दरअसल, भारत में तेजी से बढ़ रहे पर्यावरण प्रदूषण को कुछ हद्द तक कम करने के लिए पेट्रोल-डीजल वाहनों की जगह इलेक्ट्रिक व्हीकल को सड़कों पर उतारने इसके लिए केंद्र सहित राज्य सरकारें ई-वाहन से जुड़ी नई-नई योजनाएं और नीतियां तैयार कर रही हैं। यह योजना स्क्रैप पर आधारित है। जिस प्रकार किसी भी वस्तु एक समय के बाद कबाड़ में तब्दील हो जाती है। ठीक उसी तरह अब इलेक्ट्रिक वाहनोंको स्क्रैप करने की भी समय-सीमा लाई जा सकती है। ठीक उसी तरह जिस प्रकार सरकार ने पेट्रोल-डीजल वाहनों के लिए 15 और 20 साल की समय सीमा तय की है।
सरकार की अन्य योजना :
बताते चलें, सरकार लोगों को इलेक्ट्रिक व्हीकल की तरफ आकर्षित करने के लिए कई तरह की योजनाओं पर काम कर रही है। इस योजनाओं के तहत सरकार द्वारा तैयार की जा रही नई योजना के तहत इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए लोगों को प्रोत्साहन राशि दी जाएगी साथ ही कई प्रकार की लोन और छूट भी दी जाएगी। यदि आप भी अपना इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदनेका मन बना रहे हैं तो, जान ले कि, सरकार इन्हे स्कैप करने के लिए कितने साल का समय तय करती है।
व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी :
बताते चलें, बीते दिनों देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर में 'व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी' (Vehicle Scrappage Policy) लागू कर दी है। बता दें, 'यह एक ऐसी पॉलिसी है जिसके तहत यदि कोई अपना पुराना वाहन सरकार की व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी के तहत बेचता है तो उन्हें नया वाहन खरीदने पर वाहन निर्माता कंपनियां 5% तक की छूट देती हैं।' इसे हिंदी में 'वाहन कबाड़ नीति' कहते हैं। इसका सबसे ज्यादा फायदा सभी स्टेकहोल्डर को होगा। सरकार ने इस पॉलिसी को ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री को प्रोत्साहन देने की उम्मीद और प्रदूषण को कम करने के मकसद से लागू किया है।
सीनियर प्रोग्राम लीड ने बताया :
दिल्ली स्थित पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट, काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (CEEW) में सीनियर प्रोग्राम लीड हिमानी जैन ने बताया है कि, 'पेट्रोल-डीजल के वाहन ही नहीं इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर भी स्क्रैपेज के नियम हैं। चूंकि वाहनों को स्क्रैप करने की नीति उसमें इस्तेमाल होने वाली फ्यूल टेक्नोलॉजी (Fuel Technology) से निरपेक्ष है, यानि कि यह वाहनों में इस्तेमाल होने वाली फ्यूल टेक्नोलॉजी के आधार पर भेदभाव नहीं करती है। इसलिए इलेक्ट्रिक वाहनों को स्क्रैप करने के लिए प्रोत्साहन और प्रक्रिया दूसरे वाहनों जैसी ही है। जिस तरह पेट्रोल और डीजल की कॉमर्शियल गाड़ियां 15 साल में रिटायर होंगी उसी तरह कॉमर्शियल इलेक्ट्रिक वाहन, बसें, गाड़ियां आदि 15 साल के बाद कबाड़ बन जाएंगी। यही स्थिति निजी वाहनों को लेकर रहेगी। ईंधन के आधार पर कोई भी अंतर नहीं आएगा। ऐसे में ईवी खरीदने के लिए सोच रहे लोग बिना किसी चिंता के ये वाहन खरीद सकते हैं।'
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