जन्मदिन : शुरुआत में पढ़ाई में अच्छी नहीं थी गीता, जानिए कैसे बनी आईएमएफ की पहली महिला मुख्य अर्थशास्त्री?
राज एक्सप्रेस। दुनिया के दिग्गज अर्थशास्त्रियों में शुमार गीता गोपीनाथ आज अपना 51वां जन्मदिन मना रही हैं। गीता गोपीनाथ भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक हैं। वह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की पहली महिला मुख्य अर्थशास्त्री भी बनी। यह आईएमएफ में दूसरे नंबर का पद होता है। गीता गोपीनाथ भारतीय मूल की ऐसी पहली महिला हैं, जो इस पद पर पहुंची हैं। गीता गोपीनाथ भले ही अमेरिकी नागरिक हैं, लेकिन भारत से उनका गहरा रिश्ता रहा है। तो चलिए जानते हैं कि कोलकाता में जन्मी गीता गोपीनाथ ने कैसे अपनी कामयाबी की कहानी खुद लिखी है।
पढ़ाई में नहीं थी अच्छी :
8 दिसंबर 1971 को पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में जन्मीं गीता गोपीनाथ के पिता मूल रूप से केरल के रहने वाले थे। गीता ने अपनी शुरुआत शिक्षा कर्नाटक के मैसूर स्थित निर्मला कॉन्वेंट स्कूल से हासिल की थी। गीता बचपन में पढ़ाई में बिल्कुल भी अच्छी नहीं थीं। सातवीं क्लास तक उनके महज 45 फीसदी नंबर आते थे। हालांकि बाद में उनकी पढ़ाई को लेकर रुचि जगी और उनके 90 फीसदी अंक आने लगे।
उच्च शिक्षा :
स्कूली शिक्षा के बाद गीता गोपीनाथ ने मैसूर के महाराजा पीयू कॉलेज से साइंस की पढ़ाई की। इसके बाद गीता ने लेडी श्रीराम कॉलेज से अर्थशास्त्र में ऑनर्स की पढ़ाई की। फिर उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में ही मास्टर की शिक्षा हासिल की। साल 1996 से साल 2001 तक गीता ने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी की।
बनीं असिस्टेंट प्रोफेसर :
अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद गीता ने पहले शिकागो यूनिवर्सिटी और फिर बाद में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर काम किया। साल 2010 में वह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बन गईं। साल 2015 में उन्हें इंटरनेशनल स्टडीज एंड इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर के पद पर नियुक्त किया गया। इसके अगले साल उन्हें केरल के मुख्यमंत्री के वित्तीय सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया।
आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री :
साल 2018 में गीता गोपीनाथ आईएमएफ की पहली महिला मुख्य अर्थशास्त्री बनीं। कोरोना महामारी के दौरान गीता के काम को दुनियाभर में सराहा गया। इसके अलावा गीता अमेरिकन इकोनॉमिक रिव्यू की संपादक और नेशनल ब्यूरो ऑफ इकोनॉमिक्स रिसर्च में इंटरनेशनल फाइनेंस एंड माइक्रो इकोनॉमिक्स की सह-निदेशक भी रह चुकी हैं।
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