एफपीआई ने नए साल की शुरुआत बेहद सतर्क रुख के साथ की
भारतीय इक्विटी बाजार अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर जा पहुंचा है
अमेरिकी बॉन्ड यील्ड बढ़ने से एफपीआई ने बिकवाली का चुनाव किया
राज एक्सप्रेस। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों यानी एफपीआई ने नए साल की शुरुआत बेहद सतर्क रुख के साथ की है। एफपीआई ने जब देखा कि भारतीय इक्विटी बाजार अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर जा पहुंचा है तो उन्होंने मुनाफावसूली का विकल्प चुना है। उन्होंने जनवरी के महीने में 24700 करोड़ रुपए के शेयर बेचे हैं। भारतीय शेयर बाजार के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंचने और अमेरिका में बॉन्ड यील्ड बढ़ने के कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस माह जबर्दस्त बिकवाली का विकल्प चुना है। एफपीआई अब तक 24,700 करोड़ रुपये की भारतीय इक्विटी बेच चुके हैं।
दूसरी ओर, एफपीआई ऋण बाजार को लेकर बेहद उत्साहित हैं। डिपॉजिटरी आंकड़ों से पता चलता है कि समीक्षाधीन अवधि में उन्होंने ऋण बाजार में 17,120 करोड़ रुपये का निवेश किया है। आंकड़ों के अनुसार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस माह 25 जनवरी तक भारतीय इक्विटी में 24,734 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था। जबकि, इससे पहले पूरे दिसंबर में एफपीआई ने 66,134 करोड़ रुपये और नवंबर में 9,000 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने हाल के दिनों में भारतीय स्टॉक मार्केट में सर्वकालिक तेजी को देखते हुए और अमेरिका में बांड यील्ड में बढ़ोतरी को देखते हुए बड़े पैमाने पर भारतीय बाजार से पैसे निकालने का विकल्प चुना है।
वैश्विक शेयर बाजारों में तेजी का दौर फेड पीवॉट से शुरू हुआ, जिसमें 10-वर्षीय बांड यील्ड 5 प्रतिशत से गिरकर लगभग 3.8 प्रतिशत हो गई। अब 10 साल का बांड 4.18 प्रतिशत पर वापस आ गया है, जो दर्शाता है कि फेड रेट में कटौती फिलहाल साल की पहली छमाही में नहीं होगी। यह इस साल की दूसरी छमाही में देखने को मिल सकती है। एफपीआई ने नए साल की शुरुआत सतर्क रुख के साथ की और भारतीय इक्विटी बाजारों में मुनाफावसूली का विकल्प चुना क्योंकि वे सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गए हैं।
इसके अलावा, ब्याज दर परिदृश्य पर अनिश्चितता ने भी उन्हें भारत जैसे उभरते बाजारों में निवेश के संबंध में निवेश का निर्णय लेने से बचने और आगे के संकेतों की प्रतीक्षा करने के लिए प्रेरित किया है। ऋण बाजारों में तेजी के रुख पर, विशेषज्ञों ने कहा कि पिछले साल सितंबर में जेपी मॉर्गन चेस एंड कंपनी की घोषणा कि थी वह जून 2024 से अपने बेंचमार्क उभरते बाजार सूचकांक में भारतीय सरकारी बांड को भी शामिल करेगी। पिछले कुछ महीनों में इस घोषणा ने देश के बांड बाजारों के प्रवाह को प्रभावित किया है।
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