FPI withdrew money
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एफपीआई ने अक्टूबर में भी जारी रखी बिकवाली, शेयर बाजार से अब तक निकाले 9,800 करोड़ रुपए

एफपीआई की खरीदारी का सिलसिला ठहर गया है। इसके उलट वे बड़े पैमाने पर अक्टूबर में भी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 9800 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं।
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हाईलाइट्स

  • अमेरिकी बांड यील्ड में वृद्धि और मध्य पूर्व में जारी तनाव ने विदेशी निवेशकों पर बिकवाली का दबाव बनाया

  • सितंबर में विदेशी एफपीआई ने 14,767 करोड़ रुपये निकाले थे। भारतीय बाजार को लेकर कायम है नकारात्मक रुख

  • एफपीआई सोने और अमेरिकी डॉलर जैसी सुरक्षित-संपत्तियों में निवेश पर इस समय दे रहे ज्यादा ध्यान

राज एक्सप्रेस। हाल के दिनों में विदेशी निवेशकों की ओर से खरीदारी का सिलसिला ठहर गया है। इसके उलट वे बड़े पैमाने पर अक्टूबर में भी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 9800 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। अमेरिकी बांड यील्ड में निरंतर वृद्धि और मध्य पूर्व के देशों में चल रहे तनाव ने विदेशी निवेशकों पर बिकवाली का दबाव बनाया है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने के पहले सप्ताह में लगभग9,800 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। इसका मतलब यह है कि शेयर बाजार में अभी भी एफपीआई की बिकवाली का सिलसिला जारी है। पिछले कुछ समय से भारतीय शेयर बाजार को लेकर विदेशी निवेशकों का नकारात्मक रुख बना हुआ है।

सितंबर में एफपीआई ने 14,767 करोड़ रुपये निकाले

अमेरिकी बांड यील्ड में बढ़ोतरी और इज़राइल-हमास संघर्ष की वजह से पैदा अनिश्चित माहौल ने विदेशी निवेशकों को बुरी तरह से प्रभावित किया है। पिछले माह सितंबर में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा 14,767 करोड़ रुपये निकाले गए थे। इससे पहले, एफपीआई ने मार्च से अगस्त तक के छह माह में भारतीय इक्विटी खरीद रहे थे। इस दौरान 1.74 लाख करोड़ रुपये का भारतीय शेयर बाजार मे्ं निवेश किया। एफपीआई की यह प्रवाह मुख्य रूप से अमेरिकी मुद्रास्फीति के फरवरी में 6 फीसदी से घटकर जुलाई में 3.2 प्रतिशत होने की वजह से हुआ था। मई से अगस्त तक अमेरिकी संघीय दर वृद्धि में अस्थाई रोक ने भी भूमिका निभाई।

मध्यपूर्व के भू-राजनीतिक तनाव ने पूंजीगत जोखिम बढ़ाया

भारत में एफपीआई के निवेश की गति को वैश्विक मुद्रास्फीति, गतिशील ब्याज दर और इज़राइल-हमास संघर्ष की वजह से प्रभावित हुआ। मध्यपूर्व में निर्मित भू-राजनीतिक तनाव ने भी पूंजीगत जोखिम को बढ़ाया है। इसकी वजह से आम तौर पर भारत जैसे उभरते हुए बाजारों में विदेशी पूंजी प्रवाह को नुकसान पहुंचा है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने इस माह 13 अक्टूबर तक 9,784 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। एफपीआई द्वारा हो रही बिकवाली भारत जैसे उभरते हुए बाजारों में निवेश के प्रति एफपीआई के सतर्क रुख को दिखाता है।

देश के डेट मार्केट में 4,000 करोड़ रुपये का निवेश किया

मौजूदा परिदृश्य में विशेषज्ञों का मानना ​​है कि एफपीआई सोने और अमेरिकी डॉलर जैसी सुरक्षित-संपत्तियों पर निवेश पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। ऐसा इस लिए क्योंकि संकट के समय में बहुमूल्य धातु और अमेरिकी मुद्रा में निवेश की प्रवृत्ति बढ़ी है। यही वजह है कि हाल के दिनों में सोने के रेट में बढ़ोतरी देखने को मिली है। दूसरी ओर समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने देश के डेट मार्केट में 4,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इस साल अब तक इक्विटी में एफपीआई का कुल निवेश 1.1 लाख करोड़ रुपये और डेट बाजार में 33,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। एफपीआई ने वित्तीय, बिजली और आईटी में बिकवाली जारी रखी है, हालांकि, उन्होंने पूंजीगत सामान और ऑटोमोबाइल खरीदना जारी रखा है।

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