राज एक्सप्रेस। देश में पिछले कुछ महीनों में कोरोना के चलते लागू किए गए लॉकडाउन के चलते आर्थिक मंदी है। इसी बीच देश में महंगाई भी काफी बढ़ी है। इसी बीच संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संस्करण ने फूड प्राइस इंडेक्स की एक रिपोर्ट जारी की है।
आठ साल की सबसे बड़ी वृद्धि :
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संस्करण द्वारा जारी की गई इस रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर में FAO फूड प्राइस इंडेक्स (FFPI) 105 था। जबकि, अक्टूबर, 2020 की तुलना में नवंबर में 4 प्वाइंट यानी करीब 3.9% की बढ़त दर्ज की गई है। यदि हम पिछले साल के नवंबर से तुलना करें तो तब यह आंकड़ा 6.4 प्वाइंट यानी 6.5% की बढ़त का था। बता दें, नवंबर में दर्ज की गई यह बढ़त मासिक दर के लिहाज से जुलाई 2012 के बाद की सबसे बड़ी वृद्धि थी। जो कि आठ साल की सबसे बड़ी वृद्धि मानी जा रही है।
FAO फूड प्राइस इंडेक्स अपने उच्चतम स्तर पर :
बताते चलें, दिसंबर 2014 के बाद से यह पहली बाद हुआ है जब FAO फूड प्राइस इंडेक्स अपने उच्चतम स्तर पर पंहुचा है। इस मुताबिक से यह पिछले 6 साल का सबसे ऊंचा पायदान है। उधर FAO फूड प्राइस इंडेक्स की हर श्रेणियों में वृद्धि दर्ज की गई है। जिनमें वेजिटेबल ऑयल में सबसे ज्यादा वृद्धि रिकार्ड की गई है। इसके बाद शुगर, अनाज, डेयरी और मीट की कीमतों में भी काफी इजाफा हुआ है।
FAO फूड प्राइस इंडेक्स क्या है ?
FAO फूड प्राइस इंडेक्स (FFPI) खाद्य वस्तुओं के अंतरराष्ट्रीय मूल्यों में मासिक परिवर्तन का एक मानक है। इसमें औसत निर्यात द्वारा भारित पांच कमोडिटी ग्रुप मूल्य सूचकांकों का औसत होता है।
सीरल प्राइस इंडेक्स :
नवंबर में सीरल प्राइस इंडेक्स 114.4 दर्ज किया गया, जो अक्टूबर से 2.7 प्वाइंट यानी करीब 2.5 फीसद ज्यादा रहा। जबकि, पिछले साल नवंबर से यह 19 प्वाइंट ज्यादा था। बता दें, पिछले 5 महीनों में अनाज के दामों में लगातर बढ़त दर्ज की गई है। इस बढ़त का मुख्य कारण निर्यात में कमी को बताया जा रहा है। इस दौरान वेजिटेबल ऑयल प्राइस इंडेक्स 121.9 दर्ज किया गया है। जिसमे अक्टूबर से 14.5% की बढ़त दर्ज की गई है। यह मार्च 2014 के बाद सबसे उच्चतम स्तर पर है। इसमें पिछले 6 महीने से बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है।
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