राज एक्सप्रेस। चीन से फैलने वाले कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन ने लगभग सभी देशों की अर्थव्यवस्था को बिगाड़ कर रख दिया है। इन्हीं देशों में भारत का नाम भी शामिल है क्योंकि, इस वायरस का बुरा असर भारत की अर्थव्यवस्था पर भी काफी गहरा पड़ा है। हलांकि, पिछले कुछ समय में हल्का फुल्का सुधार देखा गया था। इसका अंदाजा तब हुआ जब रेटिंग्स एजेंसी फिच रेटिंग्स (Fitch) ने भारत की सॉवरेन रेटिंग में कोई बदलाव न करते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार आने की बात कही।
Fitch ने जारी की भारत की सॉवरेन रेटिंग :
दरअसल, भारत की अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस का बुरा असर पिछले कुछ समय से लगातार नजर आ रहा था। इसके बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में कुछ सुधर देखने को मिला। वहीं, अब रेटिंग्स एजेंसी फिच (Fitch) ने भारत की सॉवरेन रेटिंग में कोई बदलाव न करते हुए इसे नकारात्मक परिदृश्य के साथ 'BBB-' पर कायम रखते हुए एक बयान में कहा कि,
'महामारी से उबरने की तेज रफ्तार और वित्तीय दबावों के शिथिल होने से मध्यम अवधि के वृद्धि परिदृश्य से जुड़े जोखिम घटे हैं। मध्यम अवधि में भारत का ग्रोथ आउटलुक मजबूत दिख रहा है। हालांकि 'BBB-' निवेश श्रेणी की सबसे निचली रेटिंग होती है। कोरोना महामारी का प्रकोप कम होने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुत तेजी से सुधार हुआ है। हमारा पूर्वानुमान है कि इस वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 8.7 फीसदी के मजबूत स्तर पर रहेगी। वहीं वर्ष 2022-23 में यह दर 10 फीसदी रह सकती है। कोविड महामारी से तेजी से उबरने में भारतीय अर्थव्यवस्था की जुझारू क्षमता से इसे बल मिलता है।'
Fitch, रेटिंग्स एजेंसी
पिछले साल ये था फिच का अनुमान :
पिछले साल 2020 जून में फिच ने भारत के आर्थिक परिदृश्य को स्थिर से घटाकर नकारात्मक रहने की बात कही थी। फिच का कहना है कि, 'आवाजाही संकेतक कोविड-पूर्व स्तर पर लौट आए हैं और उच्च-आवृत्ति के संकेतक विनिर्माण क्षेत्र में मजबूती की ओर इशारा कर रहे हैं। पिछले महीने एक अन्य रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की सॉवरेन रेटिंग को कायम रखते हुए उसके परिदृश्य को 'नकारात्मक' से 'स्थिर' कर दिया था। अपने मजबूत विदेशी मजबूत भंडार के जरिये भारत ऊंचे सार्वजनिक ऋण और कमजोर वित्तीय क्षेत्र के साथ कुछ संरचनात्मक मुद्दों से निपट पा रहा है।'
भारत की वृद्धि दर का अनुमान :
बताते चलें, फिच द्वारा जारी किए गए बयान के अनुसार, साल 2023-24 से 2025-26 के दौरान भारत की वृद्धि दर करीब 7% रहने का अनुमान भी जताया गया है। साथ ही कहा गया है कि, 'सुधार के एजेंडा पर सरकार के आगे बढ़ने और महामारी से पैदा हुआ नकारात्मक असर खत्म होने से भारतीय अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। हालांकि, साल 2021-22 के लिए भारत का नकारात्मक परिदृश्य सीमित राजकोषीय गुंजाइश को देखते हुए मध्यम अवधि के ऋण पथ को लेकर बनी अनिश्चितता को दिखाता है।'
रेटिंग एजेंसी कैसे देती है रेटिंग :
आपने कई बार सुना होगा कि, रेटिंग एजेंसी ने किसी देश की रेटिंग घटाई या बढ़ाई हो तो, हम आपको बताते हैं ये एजेंसियां देशों की रेटिंग उनके आउटलुक रिवीजन के आधार पर घटाती या बढ़ाती हैं। इतना ही नहीं एजेंसियां किसी भी देश की रेटिंग उस देश की भविष्य परिस्थितियों की संभावनों को देखते हुए तीन कैटिगरी में बांटती हैं। जो कैटिगरी नेगेटिव, स्टेबल और पॉजिटिव आउटलुक की होती हैं। जो देश पॉजिटिव आउटलुक में होता है, उसकी रेटिंग के अपग्रेड होने की संभावना बढ़ जाती है। बताते चलें, पूरी दुनिया में कुछ मुख्य रेटिंग एजेंसिया है जो, रेटिंग तय करती है। यह एजेंसियां निम्न हैं।
स्टैंडर्ड ऐंड पूअर्स (S&P)
फिच
मूडीजइ न्वेस्टर्स
सॉवरेन
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