राज एक्सप्रेस। चीन से फैलने वाले कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन ने लगभग सभी देशों की अर्थव्यवस्था को बिगाड़ कर रख दिया है। इन्हीं देशों में भारत का नाम भी शामिल है क्योंकि, इस वायरस का बुरा असर भारत की अर्थव्यवस्था पर भी काफी गहरा पड़ा है। हलांकि, पिछले कुछ समय में हल्का फुल्का सुधार देखा गया था। इसका अंदाजा तब हुआ जब रेटिंग्स एजेंसी फिच रेटिंग्स (Fitch) का अनुमान सामने आया था, लेकिन इस बार एजेंसी Fitch ने आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटा कर बड़ा झटका दिया है।
फिच का अनुमान :
दरअसल, भारत की अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस का बुरा असर पिछले कुछ समय से लगातार नजर आ रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर अनुमान जताते हुए रेटिंग्स एजेंसी फिच ने बुधवार को आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटा दिया है। फिच रेटिंग्स ने 31 मार्च, 2022 को समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के पूर्वानुमान से घटाकर 8.4% कर दिया है। जबकि, इससे पहले फिच ने भारतीय अर्थव्यवस्था का वित्त वर्ष 2022 के लिए 8.7% की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया था।
Fitch का बयान :
रेटिंग्स एजेंसी फिच रेटिंग्स (Fitch) द्वारा अनुमान घटाने के साथ ही कहा गया है कि, 'कोविड महामारी की दूसरी लहर के बाद पुनरुद्धार उम्मीद से कमतर रहने की वजह से ऐसा किया गया है। कोरोना वायरस की दूसरी लहर के झटकों के उबरने के बाद भारतीय इकोनॉमी अनुमान के विपरीत सुस्त गति से बढ़ी, जिसके चलके इकोनॉमी ग्रोथ के अनुमान को कम किया गया है।'
2023 के लिए अनुमान :
बताते चलें, Fitch द्वारा अगले वित्त वर्ष यानी 2023 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के ग्रोथ के बढ़ने का अनुमान जताया है। यह बढ़ाकर 10.3% तक कर दिया गया है। जबकि, पहले Fitch ने वित्त वर्ष 2023 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 10% की दर से बढ़ने का अनुमान जताया था। वित्त वर्ष 2021 में कोरोना के मामलों में आई कमी के चलते इकोनॉमी को बड़ा झटका लगा था, तब भारतीय अर्थव्यवस्था 7.3% ही रह गई थी।
ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक में Fitch का कहना :
Fitch ने अपने ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक में कहा कि, 'डेल्टा वैरिएंट के चलते इकोनॉमी में जो तेज गिरावट हुई थी, उसमें तीसरी तिमाही जुलाई-सितंबर 2021 में तेज रिकवरी हुई थी। अप्रैल-जून 2021 तिमाही में 12.4 फीसदी सिकुड़ गई थी जबकि, इसकी तुलना में GDP अगली तिमाही जुलाई-सितंबर 2021 में 11.4 फीसदी बढ़ी। हालांकि यह तेजी अनुमान के मुताबिक कम रही। सर्विस सेक्टर में जितनी तेजी की उम्मीद की गई थी, उतनी नहीं हुई जिसका इकोनॉमी रफ्तार पर असर पड़ा।'
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