अप्रैल-जुलाई में 6.06 लाख करोड़ रहा राजकोषीय घाटा, पिछले साल के मुकाबले 77.7% की बढ़ोतरी
हाईलाइट्स
पिछले साल इसी अवधि में 4.51 लाख करोड़ रुपये था राजकोषीय घाटा
6.06 लाख करोड़ का आंकड़ा 2023-2024 के फिस्कल डेफिसिट टारगेट का 33.9%
वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा 17.87 लाख करोड़ रहने का अनुमान जताया गया
राज एक्सप्रेस । अप्रैल-जुलाई 2023 में केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा बढ़कर 6.06 लाख करोड़ रुपये हो गया है। जबकि, पिछले साल की इसी अवधि में राजकोषीय घाटा 4.51 लाख करोड़ रुपये था। कंट्रोलर जनरल ऑफ एकाउंट्स (लेखा महानियंत्रक) की ओर से 31 अगस्त को जारी डेटा के अनुसार 6.06 लाख करोड़ का आंकड़ा पूरे वित्त वर्ष (2024) के फिस्कल डेफिसिट टारगेट का 33.9 फीसदी है।
लेखा महानियंत्रक ने पूरे वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा 17.87 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान जताया है। अप्रैल-जुलाई 2022 में राजकोषीय घाटा, वित्त वर्ष 2022-23 के कुल टारगेट का 20.5 फीसदी था। जुलाई माह में केंद्र की वित्तीय स्थिति कमजोर रही है। इस दौरान 1.54 लाख करोड़ रुपये राजकोषीय घाटा हुआ।
2023-24 का फिस्कल डेफिसिट टारगेट जीडीपी का 5.9 फीसदी
पिछले साल इसी महीने में सरकार के पास 11,040 करोड़ का फिस्कल सरप्लस था। पिछले साल 2022-23 के पहले चार महीनों की तुलना में अप्रैल-जुलाई 2023 में फिस्कल डेफिसिट 77.7 फीसदी ज्यादा रहा। बहरहाल, केंद्र सरकार वित्त वर्ष 2023-24 में राजकोषीय घाटे के लिए तय लक्ष्य को पूरा करने का प्रयास कर रही है। उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2023-24 के लिए फिस्कल डेफिसिट टारगेट, जीडीपी का 5.9 फीसदी तय किया गया है।
आय और खर्च दोनों मोर्चों पर निराशाजनक रहा प्रदर्शन
केंद्र सरकार का प्रदर्शन जुलाई के महीने में आय और खर्च दोनों मोर्चों पर निराशाजनक रहा है। जुलाई में कुल आय सालाना आधार पर 7.4 फीसदी गिरावट के साथ 1.76 लाख करोड़ रुपये रही, जबकि इस दौरान कुल खर्च 84.6 फीसदी बढ़कर 3.3 लाख करोड़ रुपये हो गया। खर्च में बढ़ोतरी के लिए मोटे तौर पर पूंजीगत खर्च भी जिम्मेदार नहीं था। संबंधित अवधि में पूंजीगत खर्च 14.9 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 38,599 करोड़ रुपये रहा।
पूंजीगत खर्चों से आर्थिक विकास को गति देने का प्रयास
केंद्र सरकार का कुल राजस्व अप्रैल-जुलाई 2023 के दौरान सालाना आधार पर 1.4 फीसदी की गिरावट के साथ 7.75 लाख करोड़ रुपये रहा, जबकि इस दौरान खर्च 22.5 फीसदी बढ़कर 13.81 करोड़ रुपये हो गया। इस अवधि में कैपिटल एक्सपेंडीचर सालाना 52 फीसदी बढ़ोतरी के साथ 3.17 लाख करोड़ रुपये रहा। यह पूरे साल के लिए तय किए गए टारगेट का 31.7 फीसदी है। केंद्र सरकार पूंजीगत खर्चों का इस्तेमाल कर आर्थिक विकास को गति देने का प्रयास कर रही है।
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