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16वें वित्त आयोग के प्रमुख होंगे नीति आयोग के पहले उपाध्यक्ष-ख्यात अर्थशास्त्री अरविंद पनगढ़िया

अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और नीति आयोग के पहले उपाध्यक्ष अरविंद पनगारिया को 16वें वित्त आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
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हाईलाइट्स

  • इस समय अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं पनगढ़िया।

  • वह नीति आयोग के पहले उपाध्यक्ष के रूप में दे चुके हैं देश को सेवाएं।

  • दुनिया के प्रमुख अर्थशास्त्रियों में होती है अरविंद पनगढ़िया की गिनती।

राज एक्सप्रेस । अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और नीति आयोग के पहले उपाध्यक्ष अरविंद पनगारिया को 16वें वित्त आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। सरकार ने अभी तक आयोग के अन्य सदस्यों के नामों की घोषणा नहीं की है। पिछले कुछ वर्षों में वित्त आयोग को बहुत विशिष्ट दायित्व दिया जाता था, लेकिन इस बार आयोग को अधिक खुला अधिदेश दिया गया है। यही कारण है कि कई लोगों के लिए पनगारिया की नियुक्ति एक आश्चर्य के रूप में आई है, क्योंकि पिछले चार आयोगों का नेतृत्व उन लोगों ने किया था, जिनका वित्त मंत्रालय या रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में लंबा कार्यकाल था। पनगारिया को अर्थशास्त्र का एक दिग्गज माना जाता है और वे विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसे संगठनों में भी काम कर चुके हैं।

उम्मीद की जाती है कि उनके नेतृत्व में 16वां वित्त आयोग केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों के आवंटन में महत्वपूर्ण सुधार करेगा। 16वें वित्त आयोग के पास अप्रैल 2025 से शुरू होने वाली अगली पांच साल की अवधि के लिए अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देने के लिए दो साल से भी कम समय बचा है । 16वें वित्त आयोग के सामने अनेक चुनौतियां हैं।आयोग के लिए सबसे अहम काम केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संतुलन कायम करना है। एक तरफ राज्यों को उनकी ज़रूरतों के हिसाब से पर्याप्त संसाधन मिलने चाहिए, तो दूसरी तरफ केंद्र विकास कार्यों और आपदा प्रबंधन जैसे ज़रूरी क्षेत्रों को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता है। 16वें वित्त आयोग पंचायतों और नगर निकायों को संसाधनों के हस्तांतरण और आपदा प्रबंधन को वित्तपोषित करने के तरीकों की भी सिफारिश करता है।

इसके साथ-साथ आयोग को पंचायतों और नगर निकायों की मज़बूती पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा। ऐसा करने से स्थानीय विकास को बल मिलेगा और गरीबों और कमजोर वर्गों को ज़्यादा लाभ पहुंचेगा। पिछले आयोगों की तुलना में इस बार की स्वायत्तता 16वें वित्त आयोग को नए प्रयोग करने और देश के लिए एक ठोस वित्तीय रोडमैप बनाने का अवसर उपलब्ध कराती है। इसका मतलब है कि उनका काम न सिर्फ़ आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा बल्कि सभी को समान अवसर प्रदान करने में भी योगदान देगा। इस बार, सरकार ने आयोग के लिए आधार वर्ष प्रदान करने से भी परहेज किया है, जो हस्तांतरण फार्मूले पर काम करने के लिए जनसंख्या को एक प्रमुख पैरामीटर के रूप में उपयोग करता है।

पनगढ़िया आने वाले वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाओं को लेकर बेहद उत्साहित हैं। गौरतलब है कि पनगढ़िया सरकार की व्यापार नीति और उच्च टैरिफ के बड़े आलोचक रहे हैं । इसके बाद भी सरकार ने उनकी नियुक्ति की है। नई जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए उन्हें भारत लौटाना होगा, क्योंकि वित्त आयोग अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देने से पहले राज्यों और केंद्र सरकार की एजेंसियों के साथ व्यापक परामर्श करता है। नीति आयोग में अपने कार्यकाल के दौरान, अरविंद पनगढ़िया ने राज्यों को सुधारों को आगे बढ़ाने और कारोबार के लिए आसान बनाने की पहल करने के लिए प्रेरित किया करते थे। वित्त आयोग में आमतौर पर अर्थशास्त्री और सिविल सेवा के पूर्व अधिकारी होते हैं।

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