हाई कोर्ट की प्रोसिडिंग एडिट कर दिखाने के चलते 6 YouTube चैनल संचालकों के खिलाफ FIR दर्ज
ग्वालियर, मध्य प्रदेश। हर एप्लीकेशन की लांचिंग के समय कुछ नियम व शर्ते रखी जाती हैं। जिन्हें उस कंपनी और यूजर्स को मानना ही पड़ता है। इन नियमों और शर्तों को तय करने में देश की सरकार और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का भी अहम रोल होता है। यदि किसी वजह से कंपनी इन नियमों का उल्लंघन करती हैं तो, सरकार या मंत्रालय कंपनी के प्लेटफॉर्म को बिना किसी अनुमति के सस्पेंड या ब्लॉक कर सकती है। वहीं, अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म YouTube के 6 चैनलों के संचालकों के खिलाफ मामला दर्ज होने की खबर सामने आई है।
6 YouTube चैनलों के संचालकों के खिलाफ FIR दर्ज :
दरअसल, 6 YouTube चैनलों के संचालकों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। यह चैनल मध्यप्रदेश हाइकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ की लाइव प्रोसिडिंग रिकॉर्ड और एडिट कर YouTube और सोशल मीडिया पर प्रसारित करते थे। इसलिए इनके खिलाफ यह कार्यवाई की गई है। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि, हाइकोर्ट की अनुमति के बिना प्रोसिडिंग को डाउनलोड करने और उसमें कांट-छांट कर प्रसारित करना नियमों का उल्लंघन है। हालांकि, यह अपने तरह का FIR दर्ज होने का देश में पहला मामला है, जो मध्य प्रदेश के ग्वालियर से सामने आया है। इस मामले में मुरार के रहने वाले एडवोकेट अवधेश सिंह तोमर ने शिकायत पुलिस में दर्ज कराई है।
एडवोकेट की शिकायत पर दर्ज हुआ मामला :
प्राप्त जानकारी के अनुसार, जिन 6 YouTube चैनलों के संचालकों पर FIR दर्ज की गई है। वह मध्यप्रदेश हाइकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ की लाइव प्रोसिडिंग रिकॉर्ड और एडिट कर YouTube और सोशल मीडिया पर प्रसारित करते थे। इस मामले में एडवोकेट अवधेश सिंह तोमर, निवासी मुरार ने विश्वविद्यालय पुलिस से शिकायत करते हुए बताया कि, 'हाइ कोर्ट के समक्ष केसों में होने वाली प्रोसिडिंग को हाइ कोर्ट की वेबसाइट से कोर्ट की अनुमति के बिना डाउनलोड कर कुछ यू-ट्यूब चैनलों के संचालकों ने प्रसारित किया है। इनमें इंडियन लॉ, बीए जज, लॉ चक्र, लीगल अवेयरनेस, कोर्ट रूम, विपिन अग्यास एडवोकेट शामिल हैं। यह दूसरे नाम से एकाउंट बनाकर डाउनलोड कर रहे हैं। यह लोग वीडियो को एडिट कर उनमें अपमान जनक शब्द जोड़ रहे हैं, इससे विधि विभाग और दूसरे विभागों की छवि धूमिल हो रही है। यह जबलपुर हाईकोर्ट के लाइव प्रोसिडिंग के संबंध में बनाए गए कानून के खिलाफ है।'
एडवोकेट का कहना :
एडवोकेट अवधेश सिंह तोमर का कहना है कि, 'हाइकोर्ट ने किसी को इस तरह वीडियो बनाने की अनुमति नहीं दी है। ऐसे में इन यू-ट्यब चैनलों पर कूट रचना से बनाए वीडियो को देखकर लोग न्यायाधीशों, अधिकारियों और अभिभाषकों के प्रति गलत धारणा बनाकर कमेंट्स करते हैं।' जबकि इस मामले में ASP मृगाखी डेका का कहना है कि, 'हाइकोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग को 6 यू-टयूब चैनल रिकॉर्ड और एडिट कर प्रसारित करने रहे हैं। यह गैर कानूनी है। इन चैनलों के संचालकों पर धारा 188, 465, 469 और सूचना प्रौद्यौगिकी (संशोधन) अधिनियम 2000 की धारा 65 के तहत केस दर्ज किया है।'
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