हाइलाइट्स –
अब तक का सबसे निचला स्तर
70% बिजली उत्पादन की वजह कोयला
बिजली संकट से अर्थव्यवस्था को खतरा!
राज एक्सप्रेस (Raj Express)। भारत की कोयले की आपूर्ति पर बिगड़ता दबाव एक बिजली संकट को जन्म दे रहा है। बिजली संकट का यह संभावित खतरा दुनिया की सबसे तेजी से विस्तार करने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका दे सकता है।
स्टॉक का निचला स्तर -
कोयले से संचालित बिजली घरों में पिछले महीने के अंत में ईंधन का औसतन चार दिनों का स्टॉक था। यह स्टॉक का वर्षों में सबसे निचला स्तर था और अगस्त की शुरुआत में यह 13 दिनों से निचले स्तर पर था।
सितंबर के अंत में भारतीय बिजली संयंत्रों में कोयले की इन्वेंट्री (Inventory) गिरकर लगभग 8.1 मिलियन टन रह गई। आधे से ज्यादा प्लांट बंद होने संबंधी खतरे के बारे में अलर्ट पर हैं।
बिजली बनाने इतना कोयला राख -
कोयले से लगभग 70% बिजली का उत्पादन होता है। स्पॉट बिजली दरों में वृद्धि हुई है, जबकि ईंधन की आपूर्ति को एल्युमीनियम स्मेल्टर और स्टील मिलों सहित प्रमुख ग्राहकों से दूर किया जा रहा है।
चीन की तरह भारत भी दो प्रमुख चुनौतियों से जूझ रहा है। महामारी पर अंकुश लगने के बाद औद्योगिक गतिविधियों में तेजी के कारण बिजली की बढ़ती मांग साथ ही स्थानीय कोयला उत्पादन में गिरावट चिंता की वजह हैं।
उम्मीद पर ऐसे फिरा पानी -
देश अपनी स्वयं की मांग का लगभग तीन-चौथाई स्थानीय स्तर पर पूरा करता है। इस बार कोरोना वायरस महामारी संक्रमण रोकने लागू लॉकडाउन से आपूर्ति पहले ही प्रभावित थी।
कोयला कमी की स्थिति कोविड-19 संकट से उबरने के बाद कुछ सुधरती इस बीच भारी बारिश से खदानों और प्रमुख परिवहन मार्गों पर पानी भरने से आपूर्ति पर अतिरिक्त बाधा पड़ गई।
संयंत्र संचालकों की दुविधा -
कोयले से चलने वाले संयंत्रों के संचालकों को दुविधा का सामना करना पड़ रहा है। दुविधा यह है कि वे किसी भी उपलब्ध स्थानीय आपूर्ति को सुरक्षित करने के लिए घरेलू नीलामियों में बड़े प्रीमियम का भुगतान करें या समुद्री कोयला बाजार में प्रवेश करें जहां कीमतें रिकॉर्ड उच्चतम स्तर तक जा पहुंची हैं।
देश की सरकार को अगर निष्क्रिय बिजली स्टेशनों को वापस उपयोग में लाने की जरूरत पड़ती है तो वह पहले से ही दिशा-निर्देश तैयार कर रही है।
आंकलित आशंका के मुताबिक जब तक आपूर्ति पूरी तरह से स्थिर नहीं हो जाती, तब तक कुछ मामलों में बिजली की कमी देखने को मिल सकती है, जबकि कुछ ग्राहकों को बिजली के लिए अधिक भुगतान करने के लिए कहा जा सकता है।
महंगा आयात -
आयातित कोयले की आसमान छूती कीमतों के कारण घरेलू कोयले पर चलने वाले संयंत्रों को बहुत अधिक भार उठाना पड़ा है। हालांकि बारिश कम होने के साथ चीजें बेहतर होने की उम्मीद है।
निर्माण-व्यापार जगत के जानकारों की राय में उपभोक्ता कीमतों पर इसका असर कुछ महीने बाद तब दिखाई देगा, जब वितरण कंपनियों को लागत को पार करने के लिए नियामकीय मंजूरी मिल जाएगी।
आंकड़ों में कोयला -
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारतीय बिजली संयंत्रों में कोयले का भंडार सितंबर के अंत में गिरकर लगभग 8.1 मिलियन टन हो गया, जो एक साल पहले की तुलना में लगभग 76 फीसदी कम है।
इंडियन एनर्जी एक्सचेंज लिमिटेड में औसत हाजिर बिजली की कीमतें सितंबर में 63% से अधिक उछलकर 4.4 रुपये (0.06 डॉलर) प्रति किलोवाट घंटे हो गईं।
इनकी अपनी परेशानी -
एल्युमीनियम उत्पादक प्रमुख बिजली उपयोगकर्ताओं में से हैं जो इसकी कमी से जूझ रहे हैं। इन्होंने बिजली उत्पादकों को बिजली आपूर्ति में प्राथमिकता देने के लिए राज्य द्वारा संचालित कोल इंडिया लिमिटेड की शिकायत की थी।
ब्लूमबर्ग का सर्वे -
बढ़ते बिजली बिलों से भारत की शानदार विकास दर में अवरोध की संभावना है। ब्लूमबर्ग न्यूज के सर्वेक्षण के अनुसार, मार्च 2022 तक अर्थव्यवस्था में 9.4% का विस्तार होने का अनुमान है, जो प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज गति होगी।
ऊर्जा की कमी भारत की अर्थव्यवस्था में कोयले की महत्वपूर्ण भूमिका की याद दिलाती है। यहां तक कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी अक्षय ऊर्जा में भारी वृद्धि का लक्ष्य रखते हैं वहीं देश के शीर्ष अरबपति हरित निवेश जोड़ने के लिए दौड़ते हैं।
भारत की तैयारी -
अगले कुछ वर्षों में ईंधन की खपत बढ़ने का अनुमान है। दुनिया के शीर्ष ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जकों में से एक भारत ने अभी तक कार्बन तटस्थता प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित नहीं किया है।
लंबे समय तक बारिश के कारण कोयले के गड्ढों में पानी भर जाने से बिजली संयंत्रों की आपूर्ति वर्तमान में 60,000 से 80,000 टन के बीच कम हुई है।
देश के पूर्व में एक प्रमुख कोयला खनन केंद्र धनबाद में पिछले महीने हुई भारी बारिश ने स्थिति को और खराब कर दिया।
मौसम से आस -
कोल इंडिया बिजली संयंत्रों में घाटे को कवर करने के लिए अक्टूबर के दूसरे सप्ताह तक आपूर्ति बढ़ाने में सफलता मिलने की उम्मीद है। हालांकि यह मौसम पर निर्भर करेगा। सिंडिकेट फीड न्यूज़ के अनुसार बुरी तरह से समाप्त हुए कोयला ईंधन भंडार को फिर से भरने में अधिक समय लगेगा।
डिस्क्लेमर –आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।
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