Crude Oil: तेल भंडार से 50 लाख बैरल कच्चा तेल निकालने पर पेट्रोल, डीजल के दाम घटेंगे!

पेट्रोल (Petrol), डीजल (Diesel), कैरोसिन (Kerosene), रसोई गैस (Cooking Gas) से लेकर प्लास्टिक (Plastic) तक कई उत्पाद (Product) क्रूड ऑयल (Crude Oil) की रिफानरी प्रोसेस का एक हिस्सा हैं।
स्ट्रैटेजिक ऑयल रिजर्व के उपयोग पर 
केंद्र सरकार का मंथन जारी।
स्ट्रैटेजिक ऑयल रिजर्व के उपयोग पर केंद्र सरकार का मंथन जारी।Syed Dabeer Hussain - RE
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हाईलाइट्स

  • कीमती तेल की कीमत का खेल

  • Petrol - Diesel के दाम घटेंगे!

  • ओपेक देशों को सांकेतिक चेतावनी

  • स्ट्रैटेजिक ऑयल रिजर्व उपयोग का विचार

राज एक्सप्रेस। पेट्रोल (Petrol), डीजल (Diesel), कैरोसिन (kerosene), रसोई गैस (Cooking Gas) से लेकर प्लास्टिक (Plastic) तक कई उत्पाद (Product) क्रूड ऑयल (crude oil) की रिफानरी प्रोसेस का एक हिस्सा हैं। ऐसे में क्रूड ऑयल की अहमियत को बखूबी समझा जा सकता है। क्रूड ऑयल की ऊंची कीमतों के कारण अमेरिका जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था तक डगमगाने लगी है। इसलिए अमेरिका लगातार दुनिया भर के देशों से उनके रणनीतिक तेल भंडारों से तेल निकालने कह रहा है।

अमेरिका का मानना है कि ऐसा करके दुनिया में बढ़ते कच्चे तेल (crude oil) के दामों पर लगाम कसी जा सकेगी। इस बीच सूत्रों के हवाले से यह खबरें भी हैं कि भारत ने भी अपने रणनीतिक तेल भंडार से लगभग 50 लाख बैरल कच्चा तेल निकालने की तैयारी कर ली है। बताया जा रहा है कि तेल की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए भारत की केंद्रीय सरकार अमेरिका, जापान एवं दूसरी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की ही तरह यह कदम उठाएगी।

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ये है योजना - भारत (INDIA) भी अमेरिका, जापान और दूसरी बड़ी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तरह देश के रणनीतिक तेल भंडार से कच्चा तेल (CRUDE OIL) निकासी योजना पर काम कर रहा है। कच्चे तेल के अंतर राष्ट्रीय बाजार में बढ़ते दामों के कारण अधिकांश प्रमुख राष्ट्रों ने देश में तेल (Fuel) की खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने स्ट्रैटेजिक ऑयल रिजर्व (strategic oil reserve) यानी संचित सामरिक तेल भंडार में से तेल निकालकर बेचने की योजना बनाई है।

कच्चे तेल की बाजार में निकासी से भारत सरकार को महंगा क्रूड ऑयल आयात करने की विवशता से निजात मिलेगी। सूत्र आधारित खबरों के मुताबिक भारत सरकार लगभग 50 लाख बैरल कच्चा तेल (crude oil) सामरिक महत्व के तेल भंडार से निकालकर बाजार में बेचने की योजना पर कार्यरत है।

क्रूड यानी कच्चा ऑयल (CRUDE OIL) क्या है?– इसको (CRUDE OIL) किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का मुख्य संवाहक कहा जा सकता है। क्रूड ऑयल (CRUDE OIL) के स्टॉक में आई कमी के कारण अर्थव्यवस्था में से चर्र-चूं की आवाज आने लगती है और उसके चरमराने का खतरा पैदा हो जाता है। क्रूड एक तरह से पेट्रोल, डीजल का प्राथमिक स्त्रोत है।

कैरोसिन, पेट्रोल, डीजल की ही तरह क्रूड ऑयल (CRUDE OIL) यानी कच्चा तेल भी पेट्रोलियम (Petroleum) का ही एक अंग है। पेट्रोलियम से अब तक लगभग 6000 किस्म के उत्पाद बनाए जाने की पहचान की गई है।

क्रूड ऑयल (CRUDE OIL) भी पहचान किए गए उत्पादों में से एक प्रोडक्ट है। क्रूड ऑयल (crude oil) को सामान्यतः कच्चा तेल कहा जाता है। इस कच्चा तेल (crude oil) को परिशोधित यानी रिफाइन (Refine) करने पर निर्मित होने वाले विविध उत्पाद का दैनिक मानवीय जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि यह उत्पाद हमारी दैनिक जरूरतों का अहम हिस्सा बन चुके हैं।

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यहां इतना भंडार - भारत के पूर्वी और पश्चिमी तटों की तीन जगहों पर कच्चे तेल का भंडारण किया जाता है। इन भूमिगत भंडारों में लगभग 3.8 करोड़ बैरल कच्चा तेल रखा है। सरकार का इस भंडार में से तकरीबन 50 लाख बैरल कच्चा तेल निकासी का विचार है। सूत्र की गोपनीयता आधारित मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसकी शुरुआत अगले कुछ दिनों में हो जाएगी। मतलब आम लोगों को पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से कुछ हद तक निजात मिल सकती है।

रणनीतिक भंडारण की रणनीति - बताया जा रहा है कि निकासी के लिए तय 50 लाख बैरल कच्चा तेल मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड के साथ ही हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्प. लिमिटेड को विक्रय किया जाएगा। ये कंपनियां रणनीतिक भंडारगृह से पाइप लाइन के जरिए सीधे जुड़ी हैं। कहा गया है कि जरूरत पड़ी तो 50 लाख बैरल के अलावा और कच्चा तेल स्ट्रैटेजिक ऑयल रिजर्व (strategic oil reserve) यानी संचित सामरिक तेल भंडार से निकाला जा सकता है।

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में नवंबर के आखिरी सप्ताह में एक अधिकारी की पहचान की गोपनीयता आधारित खबरों में तेल की कीमतों में कमी आने की बात कही गई है। अधिकारी के हवाले से बताया गया कि कच्चे तेल की कीमतों को काबू में करने के लिए भारत अपने रणनीतिक तेल भंडार से कच्चा तेल निकालने की संभावनाओं पर विचार कर रहा है। बताया जा रहा है कि सामरिक तेल भंडार से क्रूड ऑयल की निकासी के तौर-तरीकों पर काम भी शुरू हो चुका है।

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तेल के लिए तालमेल – भारत दूसरे देशों के साथ तालमेल बनाकर रणनीतिक तेल भंडार से तेल की निकासी करेगा। हाल ही में तेल निर्यातक देशों के समूह ओपेक ने अमेरिका के कच्चा तेल उत्पादन बढ़ाने संबंधी अनुरोध को ठुकरा दिया था। इस धक्के के बाद अमेरिका ने दुनिया भर के प्रमुख तेल उपभोक्ता देशों को रणनीतिक तेल भंडारण से तेल की निकासी करने का सुझाव दिया है। अमेरिका ने भारत के साथ ही चीन और जापान से भी यह अनुरोध किया है कि वो अपने रिजर्व ऑयल में से कुछ मात्रा का कच्चा तेल उपयोग में लाएं।

भारत पर आयात खर्च का बोझ – अंतर राष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल ऊंची कीमतों के कारण सुर्खियों में है। क्रूड ऑयल की महंगी कीमतों से भारतीय अर्थव्यवस्था भी महंगाई के संकट का सामना कर रही है। भारत दुनिया का तीसरा बड़ा तेल उपभोक्ता देश माना जाता है। ऐसे में भारत को देश में पेट्रोल-डीजल की जरूरतों को पूरा करने अपनी विदेशी मुद्रा का मोटा हिस्सा कच्चा तेल आयात करने पर खर्च करना पड़ रहा है।

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फिलहाल क्रूड का मूड -

अमेरिका के इस कदम के बाद ब्रेंट क्रूड के भाव पर लगाम कसी है। दस दिन पहले तक 81.24 डॉलर प्रति बैरल पर बिकने वाला ब्रेंट क्रूड ऑयल अमेरिका के प्रेसिडेंट के ऐलान के बाद 23 नवंबर को 78.72 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ गया। इसी तरह ब्लूमबर्ग के मुताबिक 30 नवंबर 2021 को ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 70.57 डॉलर प्रति बैरल रही। आपको बता दें भारत के पास 53.3 लाख टन तेल रणनीतिक तेल भंडार में मौजूद है।

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भारत को कितनी मदद - जिस पचास लाख बैरल कच्चा तेल को स्ट्रैटेजिक ऑयल रिजर्व से रिलीज करने की खबर को तूल दिया जा रहा है, उससे उपभोक्ताओं का ज्यादा भला नहीं होने वाला। मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक निकाला जाने वाला पचास लाख बैरल कच्चा तेल देश भर की एक दिन की पेट्रोलियम ईंधन की खपत के बराबर है। मतलब इस तेल भंडार से देश की एक दिन की ही जरूरत पूरी हो पाएगी।

टैक्स कटौती का बोझ - अंतर राष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल महंगा होने पर हाल ही में केंद्र और राज्य सरकारों ने टैक्स में कुछ कटौती की है। अनुमानित तौर पर इस कटौती के कारण भारत को 60 हजार करोड़ रुपया राजस्व का नुकसान हो रहा है।

भारतीय पेट्रोलियम मंत्रालय ने इस संदर्भ में पक्ष रखा है कि कुल मांग की तुलना में तेल उत्पादक देश कच्चा तेल की कम आपूर्ति कर रहे हैं। इस बारे में भारत सरकार ने ओपेक कंट्रीज़ के समक्ष अपनी परेशानी रखी है। बाजार विश्लेषकों के अनुसार महंगे पेट्रोलियम पदार्थों के कारण भारत को आयात पर ज्यादा राशि खर्च करना पड़ रही है। ऐसे में मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका है जिससे व्यापार घाटा बढ़ने का भी संदेह है।

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सांकेतिक विरोध - अमेरिका की तर्ज पर भारत सरकार ने सामरिक तेल भंडार में से तेल निकालने का जो निर्णय लिया है उसे कुछ विदेशी मीडिया ने भारत का सांकेतिक विरोध माना है। इसमें उल्लेख है कि भारत के इस सांकेतिक विरोध या फैसले से पेट्रोल, डीजल की कीमतों पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला।

कहा जा रहा है कि भारत भले ही रिज़र्व से मामूली मात्रा में कच्चा तेल निकाल रहा हो लेकिन उसका सांकेतिक महत्व बहुत बड़ा है। अधिकांश प्रमुख उपभोक्ता देश ओपेक देशों के समक्ष यह संकेत जाहिर कर रहे हैं कि वे गुहार लगाने के अलावा अपने हितों की रक्षा करने में भी समर्थ हैं। हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स यह भी कहती हैं कि यह सांकेतिक कदम उल्टा भी पड़ सकता है क्योंकि ऐसे में वैश्विक ऊर्जा बाजार पर वर्चस्व की भी लड़ाई शुरू हो सकती है।

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डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स और जारी आंकड़ों पर आधारित है। आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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