Adani Group जुटा रहा 'ग्रीन हाइड्रोजन मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट' के लिए फंड
राज एक्सप्रेस। आज अरबपति गौतम अडानी भी मुकेश अंबानी की तर्ज पर हर क्षेत्र में अपने कदम बढ़ाते जा रहे हैं। वहीं, अब उनका इरादा एक ग्रीन हाइड्रोजन मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट शुरू करने का है। जिसके लिए वह फंड जुटाने में लगे हैं। जी हां, Adani Group ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट के लिए 4 अरब डॉलर (33,300 करोड़) तक का फंड जुटाने की योजना पर काम कर रहा है। इस बारे में जानकारी न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग के माध्यम से सामने आई है।
पहले चरण की बात शुरू :
दरअसल, Adani Group के लिए फंड जुटाने का काम अडानी एंटरप्राइजेज की सब्सिडियरी कंपनी अडानी न्यू इंडस्ट्रीज करेगी। यह कंपनी लिमिटेड घरेलू और इंटरनेशनल बैंक्स से फंड जुटाएगी। कंपनी इस फंड के लिए कंपनी की पहले चरण की बातचीत शुरू हो चुकी है। यह फंड कंपनी को कम लागत वाली ग्रीन हाइड्रोजन के लिए मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट शुरू करने में मदद करेगा।
अडानी ने नहीं दी जानकारी :
बता दें, यह खबर ब्लूमबर्ग के हवाले से सामने आई है, लेकिन अडानी ग्रुप ने अब तक इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है। हालांकि, जून में फ्रांस की टोटल एनर्जीज SE ने एक बयान में कहा था कि, "अडानी ग्रुप भारत में ग्रीन हाइड्रोजन और उससे जुड़े प्रोडक्ट्स का उत्पादन करने के लिए 5 अरब डॉलर का निवेश करने की योजना बना रहे हैं। क्योंकि दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा प्रदूषणकारी देश डीकार्बोनाइज करना चाहता है।"
गौतम अडानी का बयान :
गौतम अडानी ने कुछ समय पहले अपने एक बयान में कहा था कि, अडानी ग्रुप के पूर्वानुमानित पूंजीगत व्यय का 75% ग्रीन बिजनसेज का हिस्सा होगा और उनकी कंपनियों ने आने वाले दशक में रिन्यूएबल एनर्जी, ग्रीन कंपोनेंट मैन्यूफैक्चरिंग और संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर में 20 अरब डॉलर के निवेश करेंगी।
अडानी की वेबसाइट से मिली जानकारी :
अडानी की वेबसाइट से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 'आने वाले समय में ग्रीन हाइड्रोजन भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता के लिए एक मजबूत पहलू होगा। इस तरह का पुर्वनुमान लगाना मुश्किल नहीं है। क्योंकि, भविष्य में भारत में $1/kg से कम कीमत पर ग्रीन हाइड्रोजन मिलेगी और इससे देश की जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होगी। साथ ही ऊर्जा आयात के वित्तीय बोझ से भी भारत को मुक्त हो जाएगा।'
ग्रीन हाइड्रोजन है भारत का भविष्य
बता दें, मुकेश अंबानी पहले ही ग्रीन हाइड्रोजन फील्ड में अपना सिक्का आजमा रहे हैं। इसका बड़ा कारण ये है कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वच्छ प्रौद्योगिकी की ओर संक्रमण में भारत की लीडरशिप को स्थापित करना चाहते हैं।
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