स्विफ्ट को चुनौती देगा भारत
स्विफ्ट को चुनौती देगा भारतSyed Dabeer Hussain - RE

रूपए को ग्लोबल करेंसी बनाने के लिए द्विपक्षीय समझौते पर जोर, स्विफ्ट को चुनौती देगा भारत

रिजर्व बैंक ने अब तक 22 देशों के साथ 92 वोस्ट्रो अकाउंट खोलने में सफलता हासिल की है। हालांकि इसके बावजूद अब तक रूपए में इंटरनेशनल ट्रेडिंग शुरू नहीं हो पाई है।
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हाइलाइट्स :

  • रूपया 80 डॉलर के पार।

  • ग्लोबल मार्केट में भारतीय करेंसी पर लगातार बना हुआ है दबाव।

  • रूपया जल्द ही ग्लोबल करेंसी में शामिल हो जाएगा।

  • रिजर्व बैंक ने अब तक 22 देशों के साथ 92 वोस्ट्रो अकाउंट खोलने में सफलता हासिल की है।

राज एक्सप्रेस। भारत सरकार पिछले काफी समय से भारतीय करेंसी को ग्लोबल बनाने की कोशिश कर रही है। हालांकि सरकार को अभी तक उम्मीद के मुताबिक सफलता हाथ नहीं लगी है। ग्लोबल मार्केट में भारतीय करेंसी पर लगातार दबाव बना हुआ है। इस दबाव के चलते पहली बार रूपया 80 डॉलर को भी पार कर गया है। ऐसे में अब सरकार ने रूपए को ग्लोबल करेंसी बनाने और डॉलर पर अपनी निर्भरता घटाने के लिए नए तरीके अजमाना शुरू कर दिए हैं। अगर सरकार के इन कदमों को उम्मीद के मुताबिक सफलता मिलती है तो रूपया जल्द ही ग्लोबल करेंसी में शामिल हो जाएगा।

द्विपक्षीय समझौते पर जोर

दरअसल रिजर्व बैंक ने अब तक 22 देशों के साथ 92 वोस्ट्रो अकाउंट खोलने में सफलता हासिल की है। हालांकि इसके बावजूद अब तक रूपए में इंटरनेशनल ट्रेडिंग शुरू नहीं हो पाई है। इस समय भारत सिर्फ रूस के साथ ही रुपए में ट्रेडिंग कर रहा है। इसको देखते हुए अब सरकार ने द्विपक्षीय समझौते पर जोर देना शुरू कर दिया है। इसके तहत अन्य देशों के साथ मिलकर करेंसी को लोकल लेवल पर प्रमोट किया जाएगा।

यूएई से हो चुका है समझौता

बीते दिनों अपनी यूएई के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूएई के साथ डॉलर की जगह रुपए में कारोबार करने का समझौता किया है। इस दौरान दोनों देशों ने पैसों के लेनदेन के लिए रियल टाइम पेमेंट लिंक भी सेट-अप किया है। इस समझौते के बाद भारत रुपए में भुगतान करेगा जबकि यूएई दिरहम में भुगतान करेगा। भारत ऐसा ही समझौता इंडोनेशिया के साथ करने जा रहा है। इसके अलावा भारत अपने पड़ोसी देशों बांग्लादेश और श्रीलंका के साथ भी ऐसा समझौता करने का इच्छुक है।

स्विफ्ट को चुनौती

डॉलर के अलावा भारत अमेरिका के पेमेंट गेटवे स्विफ्ट को भी चुनौती देने जा रहा है। भारत स्विफ्ट की तर्ज पर इंटरनेशनल फाइनेंसिंग मेसेजिंग सिस्टम पर काम करना शुरू कर दिया है। इसके जरिए दुनियाभर के देश एक-दूसरे को फंड ट्रांसफर कर सकेंगे। भारत सरकार ने इस पर काम शुरू भी कर दिया है।

यूपीआई की मांग भी तेज

फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, हांगकांग, ओमान, कतर, अमेरिका, सऊदी अरब, यूएई और यूके सहित कई देशों में यूपीआई के जरिए पेमेंट हो रहा है। इसके अलावा कई देश ऐसे हैं, जो यूपीआई को अपनाना चाहते हैं। अमेरिका में भी यूपीआई को अपनाने की मांग की जा रही है। सरकार का लक्ष्य आने वाले पांच सालों में यूपीआई के जरिए हर दिन 1 बिलियन लेन-देन को पार करना है।

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