राज एक्सप्रेस। किसी देश के रियल एस्टेट कारोबार की दिशा-दशा एक तरह से उसकी अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य को परखने की सर्वोत्तम कुंजी है। भारतीय अर्थव्यवस्था के गिरते स्वास्थ्य के मेन फैक्टर रियल एस्टेट मार्केट की तंगहाली चिंता का विषय है। इस सेक्टर में बड़े-छोटे निर्माण कार्य से जुड़े बड़े शिक्षित-अशिक्षित वर्ग की आमदनी का जरिया है। प्रतिकूल सरकारी नीतियों के कारण एक बड़ा वर्ग रोजगार से निरंतर वंचित हो रहा है।
आकस्मिक नोट बंदी और उसके बाद टैक्स पेयर्स को असमंजस के बीच रखकर लागू जीएसटी के बाद से प्रॉपर्टी मार्केट की हालत खस्ता है। बीते सालों में इस मार्केट के बारे में लोगों की धारणा को तगड़ी चोट पहुंची है। ग्राहकों की आर्थिक स्थिति डांवाडोल होने से रियल एस्टेट कारोबार में मांग प्रभावित हुई है। साथ ही खरीदार और डेवलपर्स से जुड़े टैक्सों में राहत न मिलने से भी निर्माण जगत जूझ रहा है। प्रॉपर्टी कारोबार प्रोजेक्ट्स में मंदी का असर इससे जुड़े कई आय वर्ग के लोगों पर पड़ रहा है।
कुशल, अर्ध कुशल, अकुशल मजदूर से लेकर कुशल वाहन चालक के साथ डॉक्टर, इंजीनियर, प्लानर, विज्ञापन इंडस्ट्री तक के लोगों को रियल एस्टेट कारोबार से अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिलता है। इस कारोबार से जुड़ा वर्ग फिलहाल परेशानी से जूझ रहा है।
भारत में भारतीय जनता की सरकार में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रियल एस्टेट सेक्टर को 1.4 अरब डॉलर के फंड की संजीवनी देकर प्राण फूंकने की कोशिश की है। रियल एस्टेट की नब्ज को पहचानने वाले एक्सपर्ट्स को इस फंड से सेक्टर में खुशहाली की बयार जल्द आने की उम्मीद कम ही है।
फाइनेंस मिनिस्टर ने शनिवार 14 सितंबर को जो ऐलान किए उनमें सौ अरब रुपये का फंड सर्वोपरि रहा। इस फंड का मकसद भारतीय जीवन बीमा निगम से मिलने वाली आर्थिक मदद से ऐसी किफायती हाउसिंग परियोजनाओं को पूरा करना है जिनका काम रुका हुआ है। सॉवरेन वेल्थ फंड, बैंक और घरेलू वित्तीय संस्थान को भी नरेंद्र मोदी सरकार मददगार उम्मीदवार की नज़र से देख रही है।
नोटबंदी और जीएसटी की शुरुआत से पहले तक पटरी पर चला आ रहा प्रॉपर्टी कारोबार बाद में बेपटरी हो गया। साथ ही एनबीएफसी के नकदी संकट से डेवलपर्स फंड्स की परेशानी से जूझ़ते रहे। 30 जून को समाप्त होने वाली तिमाही में इकनॉमिक ग्रोथ 6 साल में सबसे स्लो रेट पर रही। इसकी मार को समझा जा सकता है।
शिकायत और उपाय:
प्राइवेट रियल एस्टेट डेवलपर्स की अपेक्स बॉडी कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CREDAI-क्रेडाई) ने सरकार के इस सेक्टर में प्राण जान डालने के लिए किए उपायों को नाकाफी माना है। समूह के मुताबिक सेक्टर से जुड़े बायर्स और डेवलपर्स के लिए टैक्स छूट और लोअर इंट्रेस्ट जैसे फैक्टर्स में सुधार करना जरूरी है।
क्रेडाई के चेयरमैन जैक्से शाह ने वित्त मंत्री के फंड को सेक्टर के लिए नाकाफी माना है।
रुकी हुई अचल संपत्ति परियोजनाओं को पूरा करने के लिए बनाई गई निधि का सीमित प्रभाव पड़ेगा। ऐसा करने से वो परियोजनाएं बाहर हो जाती हैं जो या तो दिवालिया कार्रवाई का सामना कर रही हैं या गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) बन गई हैं।
क्रेडाई चेयरमैन जैक्से शाह
पीटीआई से चर्चा में शाह ने बताया :
इस घोषणा से पहले हमने रियल एस्टेट सेक्टर में लिक्विडिटी में सुधार और मांग में तेजी लाने से जुड़ीं मांगों के मकसद से मुलाकात की थी। लेकिन फाइनेंस मिनिस्टर की घोषणाओं में यह मांगें अधूरी रहीं। 12 हजार सदस्यों वाले संगठन की अनसुनी मांग को फिर से दोहराते हुए उन्होंने कहा कि, "सरकार को सब्सिडी पर प्रतिबंध को समाप्त करना चाहिये ताकि खरीदार की हैसियत और सेक्टर की मांग में इजाफा हो।
बकौल शाह नेशनल हाउसिंग बैंक (NHB) ने जुलाई में हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (HFCs) को सब्सिडी स्कीम के तहत दिये जाने वाले ऐसे लोन को रोकने कहा है जिसमें रियल एस्टेट डेवलपर्स फ्लैट्स पर कब्जे तक घर के खरीदार के बदले होम लोन इंट्रेस्ट चुकाता है। क्रेडाई के चेयरमैन ने होम लोन ब्याज में संशोधन के उपाय भी सुझाए हैं।
क्रेडाई के चेयरमैन ने कहा:
सरकार को होम लोन के ब्याज पर 1.5 लाख रुपये की अतिरिक्त कटौती का लाभ उठाने के लिए 45 लाख रुपया प्राइज़ कैप को हटा देना चाहिए।
इस वर्ष के बजट में, सरकार ने 45 लाख रुपया कीमत तक किफायती घर की खरीद के लिए 1.5 लाख रुपयों तक की अतिरिक्त कटौती की इज़ाजत दी है। यह छूट 31 मार्च, 2020 तक लोन लेने वाले ब्याज पर लागू होगी। इनकम टैक्स लॉ में पहले से दी गई 2 लाख रुपयों की छूट के अतिरिक्त यह डिडक्शन प्रदान किया गया है।
शाह के मुताबिक बायर्स और डेवलपर्स दोनों के लिए किफायती घर पर ब्याज दर निचली होनी चाहिए। सरकार ने सेक्टर की मंदी को दूर करने जो उपाय किये हैं उसमें सिर्फ सरकारी मध्यम वर्गीय वर्ग के लोगों को लाभ मिल पाएगा। उन्होंने कहा “इंडस्ट्री सरकार से लाखों लोगों को रोजगार देने वाले सेक्टर को बूस्ट करने इससे ज्यादा की उम्मीद कर रही थी।“
चिंता ये भी :
शाह के मुताबिक यदि अपेक्षित नीतिगत सुधारों की घोषणा नहीं की गई तो 2022 में सबके लिए घर के लक्ष्य को पूरा करना चुनौतीपूर्ण हो जाएगा।
रियल एस्टेट को पटरी पर लाने किया गया सरकार का यह प्रयास क्रेडाई के प्रेसिडेंट सतीश मगर को आधा-अधूरा दिल वाला लगा। उन्होंने इस सेक्टर से जुड़े वर्ग की खुशहाली के लिए कड़े निर्णय लेने की बात कही। मगर ने कहा सरकार की घोषणा न केवल इंडस्ट्री बल्कि इसमें काम करने वाले लाखों लोगों के लिए निराशाजनक है।
क्रेडाई प्रेसिडेंड ने सरकार को तात्कालिक उपायों की बजाए दूरगामी उपायों की सहूलियत देने की बात कही। हालांकि CBRE इंडिया के चेयरमैन और CEO अंशुमान के मुताबिक केंद्र सरकार ने सेक्टर में सुधार के लिए जो प्रबंध किए हैं वो सराहनीय हैं और सही दिशा में जा रहे हैं। उनका मानना है कि इन कदमों से सरकार देरी से चल रहे हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के लिए राहत दे रही है साथ ही साथ किफायती हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को भी सहारा दे रही है।
सरकार की घोषणा को टाटा रियल्टी एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर के एमडी और सीईओ संजय दत्त ने भी इंडस्ट्री के हित में माना है। उनके मुताबिक इससे रेरा की शिकायतों में कमी आएगी। हालांकि दत्त का यह भी मानना है कि आवास सेक्टर को तीन लाख करोड़ रुपयों से ज्यादा फंडिंग की दरकार है। इस फैसले को सरकार का फंडिंग की दिशा में पहला कदम कहा जा सकता है। सीईओ दत्त ने भी रियल एस्टेट सेक्टर में रोजगार सृजन के साथ ही भरोसा जगाने की दिशा में सरकार से जल्द पहल की उम्मीद भी जताई है।
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