हाइलाइट्स
कोविड-19 का पड़ेगा व्यापक असर
लॉकडाउन कम कर सकता है जीडीपी
क्रिसिल का 4% नुकसान का अनुमान
राज एक्सप्रेस। विश्लेषण के आधार पर रेटिंग, अनुसंधान, जोखिम और नीति सलाहकार सेवा प्रदान करने वाली भारतीय कंपनी क्रेडिट रेटिंग इन्फॉर्मेशन सर्विस ऑफ इंडिया लिमिटेड (CRISIL) ने वित्त वर्ष 2021 में भारत के लिए अपने विकास के दृष्टिकोण में संशोधन किया है।
इतना बदलाव :
कोरोना वायरस डिजीज संक्रमण रोकने के लिए भारत में लागू देशव्यापी लॉकडाउन के मद्देनजर क्रिसिल (CRISIL) ने अब पूर्वानुमानित 3.5 प्रतिशत के मुकाबले विकास दर को कम करते हुए 1.8 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। रेटिंग एजेंसी ने अपने पूर्वानुमान में माना है कि वर्तमान तिमाही में सामान्य मानसून, न्यूनतम वित्तीय सहायता 3.5 लाख करोड़ रुपये के अलावा कोविड-19 का असर दिखेगा।
मदद की दरकार :
ग्लोबल विश्लेषक कंपनी की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक विपन्न गृहस्थियों, कमजोर फर्मों, विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) हेतु केंद्रीय और राज्य स्तर पर राहत पहुंच सुनिश्चित करने के लिए राजकोषीय समर्थन को और भी अधिक बढ़ाने की आवश्यकता पड़ सकती है।
दबाव सुनिश्चित :
CRISIL ने इस बात की भी संभावना जताई है कि; अर्थव्यवस्था के कुछ हिस्सों में 3 मई को 40 दिन की तालाबंदी समाप्ति के उपरांत भी प्रतिबंध जारी रह सकता है। साथ ही विकसित राष्ट्रों में वैश्विक मंदी से बड़ा दबाव पड़ना सुनिश्चित है।
जीरो GDP की आशंका :
एसएंडपी ग्लोबल ने सकल घरेलू उत्पाद (GDP) संबंधी अपने वैश्विक पूर्वानुमान में संशोधन किया है। उसके मुताबिक अब वर्ष 2020 में वैश्विक जीडीपी पूर्वानुमानित 0.4 फीसदी के मुकाबले -2.4 प्रतिशत रहने की संभावना है। CRISIL की रिसर्च में उल्लेख है कि भारत के बारे में उसके पूर्वानुमान के जोखिम नीचे की ओर झुके हैं, जिसके प्रकट होने पर जीडीपी विकास दर भी शून्य हो सकती है।
“हम जीडीपी में 4 प्रतिशत का स्थायी नुकसान देखते हैं। वित्तीय वर्ष 2022 में 7 प्रतिशत से अधिक की वास्तविक जीडीपी वृद्धि के साथ वी आकार की रिकवरी देखने की भी संभावना है। लेकिन अगले तीन वर्षों के लिए इस स्तर पर भी विकास को सही मानते हुए वास्तविक जीडीपी अपनी पूर्व-कोविड-19 प्रवृत्ति मार्ग से नीचे रहेगी।"
धर्मकीर्ति जोशी, मुख्य अर्थशास्त्री, क्रिसिल
लॉकडाउन की मार :
क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन ने चोट करना शुरू कर दिया है। उदाहरण बतौर मार्च के दौरान ऑटोमोबाइल की बिक्री में सालाना आधार पर 44 फीसदी का संकुचन देखने को मिला जबकि निर्यात में 35 फीसदी की गिरावट दिखी। यह अभी तक की सबसे खराब स्थिति है।
सर्वाधिक प्रभावित वर्ग:
रिसर्च के मुताबिक सबसे ज्यादा प्रभावित दैनिक वेतन भोगी और वे लोग हैं जिनकी नौकरी की सुरक्षा नहीं है। भारत में आकस्मिक मजदूर लगभग 25 प्रतिशत कार्यबल का हिस्सा हैं। ऐसे में शटडाउन और छंटनी का शिकार सबसे पहले यह वर्ग हो सकता है।
कॉस्टिंग दायित्व :
रिसर्च में औपचारिक कार्यबल के लिए भी स्थिति खराब बताई गई है। CRISIL के 12 लाख करोड़ रुपये की कर्मचारी लागत वाले 40,000 से अधिक कंपनियों के एक अनुसंधान विश्लेषण से संकेत मिलता है कि लॉकडाउन बढ़ने की स्थिति में सामग्री की कमी से जूझने वाली कंपनियों पर 52 फीसदी कर्मचारियों की कॉस्टिंग का दायित्व रहेगा। विकास दर में तेज गिरावट और आय में अनिश्चितता बढ़ने से मांग में कमी आना भी सुनिश्चित है।
“आने वाले वर्ष में, हमारी प्रत्याशा है कि; एयरलाइंस, होटल, ऑटोमोबाइल और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स जैसी उपभोक्ता विवेकाधीन सेवाओं और उत्पादों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा। गैर-फार्मा निर्यातक, रियल एस्टेट और निर्माण कंपनियां भी अपने सबसे खराब वर्षों में से एक का सामना करने मजबूर होंगी। यहां तक कि आईटी खर्च पर वैश्विक बजट में गिरावट आने से आईटी सेवाओं जैसे लचीले सेक्टर्स में भी मौन वृद्धि देखी जाएगी ।”
क्रिसिल
तुलना में कमजोर :
क्रिसिल के शोध से पता चलता है कि MSME बड़े खिलाड़ियों की तुलना में अधिक कमजोर हैं, खासकर तरलता के मोर्चे पर। इस वित्तीय वर्ष की अपेक्षाकृत कम मंदी में भी MSME की कार्यशील पूंजी एक महीने तक बढ़ सकती है।
"इंडिया इनकॉरपोरेटेड इस राजकोषीय राजस्व में दोहरे अंकों की फिसलन में है। कमोबेश कम से कम एक दशक में यह सबसे खराब स्थिति है। एबिटा (*Ebitda) तेजी से गिरने के लिए तैयार है। तेज राजस्व गिरावट के कारण ऑपरेटिंग लिवरेज का प्रतिकूल प्रभाव सामग्री और ऊर्जा की कम लागत के कारण होने वाले सभी लाभों को कम करेगा।"
प्रसाद कोपारकर, वरिष्ठ निदेशक और प्रमुख - ग्रोथ, इनोवेशन एंड एक्सीलेंस हब, क्रिसिल
रीटेल लोन सहित खराब ऋण वृद्धि, बढ़ते हुए एनपीए और क्रेडिट कॉस्ट से बैंक और NBFC को नुकसान होगा। हमारा अनुमान है कि बैंकिंग क्षेत्र एनपीए; मार्च 2021 तक बढ़कर 11-11.5 प्रतिशत हो जाएगा, जो मार्च 2020 तक 9.6 प्रतिशत अनुमानित था। एनपीए गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों के लिए भी प्रस्फुटित होने की उम्मीद है। साथ ही, माइक्रोफाइनेंस, एमएसएमई ऋण और थोक/डेवलपर फंडिंग में सबसे तेज वृद्धि देखी जा सकती है।
(*earnings before interest, taxes, depreciation, and amortization)
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