Russia-Ukraine संकट मध्य लंका-नेपाल-पाकिस्तान के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था को कितना खतरा?

सवाल इसलिए अहम है क्योंकि Sri Lanka पर कर्ज, Nepal में ईंधन संकट, Pakistan में कंगाली छाई है, आर्थिक संकट से जूझने India लगातार प्रयासरत है।
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Russia-Ukraine संकट मध्य लंका-नेपाल-पाकिस्तान के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था को कितना खतरा?Neelesh Singh Thakur - RE
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हाइलाइट्स –

  • Russia-Ukraine crisis से मचा हाहाकार

  • कर्ज में फंसी लंका डूबने की कगार पर

  • Nepal में गहराया एनर्जी संकट

  • Pakistan में छाई कंगाली

  • डटा है तटस्थ India

राज एक्सप्रेस (rajexpress.co)। रूस-यूक्रेन संकट (Russia-Ukraine crisis) के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था (World Economy) घोर संकट में है। पश्चिमी मुल्कों की अर्थव्यवस्था जहां अपनी औसत रफ्तार को बरकरार रखने में व्यस्त है वहीं श्री लंका (Sri Lanka), नेपाल (Nepal) जैसी छोटी अर्थव्यवस्थाओं में देश के डूबने का खतरा मंडरा रहा है। इमरान की बतौर प्रधानमंत्री पारी के बाद पाकिस्तान (Pakistan) की इकोनॉमी की कथित तौर पर फाइनल इनिंग जारी है, जबकि वैश्विक संकट के मध्य तटस्थ रहा भारत (India) आर्थिक संकट के बीच संतुलन कायम करने तमाम जरूरी दांव-पेंच मजबूती के साथ अपना रहा है।

श्री लंका (Sri Lanka) का अस्तित्व खतरे में –

बात श्री लंका (Sri Lanka) से शुरू करते हैं। पर्यटन और क्रिकेट मैचों के कारण दुनिया में पहचान रखने वाला भारत का यह पड़ोसी देश कर्ज की मार से जूझ रहा है। आलम यह है कि, श्री लंका (Sri Lanka) की राजपक्षे सरकार ने कर्ज को चुका पाने में लाचारी जाहिर की है।

श्री लंका (Sri Lanka) 51 अरब डॉलर के विदेशी कर्ज को नहीं चुका पाएगा। रिपोर्ट्स के अनुसार अप्रैल 2021 में श्री लंका (Sri Lanka) पर कुल 3500 करोड़ डॉलर का कर्ज था, जो मात्र एक साल के भीतर बढ़कर 5100 करोड़ डॉलर जा पहुंचा है।

श्री लंका (Sri Lanka) की आर्थिक बदहाली की वजह में कोरोना बीमारी (Covid 19) और रूस-यूक्रेन संकट (Russia-Ukraine crisis) का उतना अहम रोल नहीं जितना देश के राजनेताओं की गैर दूरदर्शिता का है।

राजनीतिक विश्लेषकों की राय में श्री लंका (Sri Lanka) की सरकार ने; लिए जाने वाले कर्ज की भविष्य में नियत भरपाई के लिए बगैर प्रबंध किए ही न केवल धड़ाधड़ कर्ज लिया; बल्कि देश की जमीन तक को चीन के पास किराए पर गिरवी रखवा दिया। हंबनटोटा बंदरगाह इस बात का बेहतर उदाहरण है।

श्री लंका (Sri Lanka) का हंबनटोटा बंदरगाह 99 सालों के लिए चीन के कब्जे में रहेगा। बड़ा कर्ज नहीं चुका पाने के कारण उसे बंदरगाह को चीन को लीज पर देना पड़ा। चीन अब यहां अपनी मर्जी से काम कर रहा है, जिसमें श्री लंका (Sri Lanka) चाहकर भी कोई दखलंदाजी नहीं कर सकता।

क्रिकेट का जिक्र इसलिए किया क्योंकि देश की बदहाल आर्थिक स्थिति को भांपकर कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के क्रिकेटर्स ने अमेरिका, इंग्लैंड जैसे देशों में करियर बनाने का निर्णय कोरोना, रूस-यूक्रेन संकट के पहले से ही लेना शुरू कर दिया था।

इसके इतर चीन के एहसान तले श्री लंका (Sri Lanka) पर कर्ज का बोझ इस कदर बढ़ा कि, समुद्र किनारे टापूनुमा बसा यह देश आज अपनी पहचान डुबोता नजर आ रहा है।

आलम यह है कि, दुनिया के धन कुबेर एलन मस्क ने ट्विटर को खरीदने जब $43 बिलियन की बोली लगाई, तो लोगों ने उनको इतने दाम के आस-पास श्री लंका (Sri Lanka) में निवेश की सलाह देते हुए उनको अपना नाम सीलोन मस्क तक रखने का सुझाव दे डाला।

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नेपाल (Nepal) में तालाबंदी के हालात –

नहीं कोरोना की वापसी के कारण नहीं बल्कि रूस-यूक्रेन संकट (Russia-Ukraine crisis) के कारण नेपाल (Nepal) में उभरे ईंधन संकट (Energy Crisis) की वजह से महंगाई अपने चरम पर जा पहुंची है। नेपाल सरकार नागरिकों को सब्सिडी पर पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस मुहैया कराने में लाचार साबित हो रही है।

छुट्टी की सलाह –

अंतरराष्ट्रीय खबरों के अनुसार नेपाल (Nepal) की सरकार को सलाह दी गई है कि, ईंधन संकट के निदान के लिए नेपाल में अगले कुछ दिनों के लिए देश व्यापी बंद को लागू किया जाए। एक तरह से श्री लंका (Sri Lanka) के बाद नेपाल में भी कमोबेश वैसे ही हालात दिख रहे हैं।

बताया गया है कि ईंधन सहेजने के लिए नेपाल (Nepal) में कर्मचारियों को दो दिन की छुट्टी दी जा सकती है। नेपाली मूल के विदेशी नागरिकों से भी नेपाल की सरकार ने विदेशी धन के जरिये मदद मांगी है।

नेपाली बैंकों में जमा करें विदेशी धन -

Nepal ने विदेश में रहने वाले नेपाली मूल के लोगों से आर्थिक संकट से गुजर रहे अपने देश नेपाल (Nepal) के बैंकों में खाते खुलवा कर डॉलर या अन्य विदेशी मुद्रा जमा करने का आह्वान किया है। इसके पहले कोरोना के कारण पर्यटकों की संख्या घटने से नेपाल के विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट आई थी।

नेपाल के वित्त मंत्री जनार्दन शर्मा ने शनिवार को विदेशों में रहने वाले नेपाली मूल के नागरिकों से विदेशी मुद्रा के सहारे नेपाल की मदद करने की अपील की थी।

प्रवासी नेपाली संघ (एनआरएनए) के डिजिटल कार्यक्रम में नेपाल के वित्त मंत्री जनार्दन शर्मा ने कहा था कि, प्रवासी नेपालियों के द्वारा मिलने वाले विदेशी धन से देश को विदेशी मुद्रा की कमी के संकट से उबरने में मदद मिलेगी।

नेपाल विदेशी मुद्रा संकट के अलावा पेट्रोलियम उत्पादों की उच्च कीमतों से जूझ रहा है। कैबिनेट सूत्रों के मुताबिक सेंट्रल बैंक ऑफ नेपाल और नेपाल ऑयल कॉरपोरेशन ने सरकार को दो दिन का सरकारी अवकाश जारी करने की सलाह दी है।

रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine war) के कारण वैश्विक तेल की कीमतें आसमान छू रहीं हैं। अन्य प्रमुख तेल उत्पादक ईरान और वेनेजुएला को भी पेट्रोलियम बेचने पर प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है। नेपाल ऑयल कॉरपोरेशन के जरिए सरकार महत्वपूर्ण बचत देखती है, जो सब्सिडी दरों पर ईंधन बेच रहा है। इस कारण वर्तमान वैश्विक दरों पर सरकार भारी नुकसान उठा रही है।

पाकिस्तान (Pakistan) का पॉलिटिकल ड्रामा –

पाकिस्तान (Pakistan) में सत्ता हथियाने उठापटक का इतिहास देश के गठन के समय से ही जुड़ा हुआ है। घातक कोरोना महामारी के समय में जहां सरकार ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया वहीं आवाम भी महामारी को घर की मुर्गी समझती रही।

पाकिस्तान (Pakistan) की कमजोर अर्थव्यवस्था पर इमरान सरकार के गौर न फरमाने से हालात परमाणु महायुद्ध की पटकथा की शुरुआत बताये जा रहे रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान बद से बद्तर होते गए। और लोगों को तब जाकर आटा-दाल का भाव नजर आया।

नतीजतन इमरान खान की सरकार औंधे मुंह गिरी और अब नवागत प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ़ के समक्ष कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा लाकर अर्थव्यवस्था का कुनबा जोड़ने का असफल लक्ष्य सामने है।

पड़ोसियों से संबंध –

अर्थव्यवस्था के मामले में मौका परस्ती पाकिस्तान (Pakistan) के लिए गले की हड्डी साबित हो रही है। कभी अमेरिका तो कभी चाइना के साथ संबंधों की गहनता दिखाने वाले पाकिस्तान (Pakistan) से अमेरिका जहां; अफगानिस्तान छोड़ने के बाद से दूरी बना रहा है, वहीं अफगानिस्तान में तालिबानी मूवमेंट से भी पाकिस्तान (Pakistan) की हालत पतली है।

चीन की आर्थिक मदद से तैयार होने वाले सीपेक (China–Pakistan Economic Corridor/CPEC) प्रोजेक्ट पर भी संकट पैदा हो रहा है।

चीन-पाकिस्तान (Pakistan) आर्थिक गलियारा बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का एक संग्रह है। यह परियोजनाएं 2013 में शुरू हुईं और पूरे पाकिस्तान में निर्माणाधीन हैं। मूल रूप से $ 47 बिलियन मूल्य की CPEC परियोजनाओं का मूल्य 2020 तक $ 62 बिलियन जा पहुंचा है।

मतलब साफ है कि चीन के साथ मिलकर पाकिस्तान ने आर्थिक बुनियाद का जो ढांचा तैयार करने का खाका बुना है, उस पर एक तरह से भविष्य में चीन का हक होगा, ठीक श्री लंका (Sri Lanka) वाली स्थिति की तरह!

पड़ोसियों से तनाव भरे संबंधों के कारण पाकिस्तान (Pakistan) को भारत (India) से उस स्तर की आर्थिक मदद की उम्मीद कम ही है जिस तरह की उदारता भारत ने श्री लंका (Sri Lanka) और नेपाल (Nepal) के प्रति स्वास्थ्य एवं चिकित्सा, आर्थिक, तकनीकी और उदर पोषण पूर्ति के मोर्चों पर वर्तमान में दर्शाई है।

भारत ने हाल ही में श्री लंका (Sri Lanka) को एक अरब डॉलर का लाइन ऑफ क्रेडिट दिया है। नेपाल (Nepal) के साथ भारत के आर्थिक संबंध सदा से मजबूत रहे हैं।

Russia-Ukraine की आग में जलती लंका, थमता Nepal, Pakistan कंगाल, India की अर्थव्यवस्था कितनी बेहाल? यह सवाल इसलिए कौंध रहा है क्योंकि श्रीलंका ने कर्ज चुकाने में हाथ खड़े कर दिए हैं, नेपाल (Nepal) ईंधन संकट (Energy Crisis) से जूझ रहा है, पाकिस्तान (Pakistan) कंगाली की कगार पर है, भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) आर्थिक संकट से जूझने ऐढ़ी चोटी का जोर लगा रही है।

अटल-प्रबल भारत –

ऐसा नहीं है कि रूस-यूक्रेन (Russia-Ukraine) संकट का असर भारत पर न पड़ा हो, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर सदा से अपनी बात को मुखरता से रखते आया भारत एनर्जी संकट के बीच भी निष्पक्षता और बेबाकी से एनर्जी डील कर रहा है।

भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रूस (Russia) से ईंधन न खरीदने की अमेरिका (America) की बंदर घुड़की के बीच जहां समान व्यापारिक अवसरों की बात कह भारत के लिए पेट्रोल (petrol) – डीजल (diesel) जैसे ईंधन खरीदना जारी रखा। वहीं इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी अपने जवाब से दुनिया भर के मीडिया को लाजवाब कर दिया।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि, भारत की एक महीने के लिए रूसी तेल की कुल खरीद यूरोप की एक दोपहर की तुलना में कम है। रूस से भारत के लिए तेल के आयात के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि, अगर आप रूस से भारत की ऊर्जा खरीद को देख रहे हैं तो मेरा सुझाव है कि आपका ध्यान यूरोप पर होना चाहिए।

अमेरिका, ब्रिटेन और नाटो जैसे दबाव के बावजूद भारत ने अंतरराष्ट्रीय पटल पर जिस बेबाकी के साथ अपनी बात रखी उससे भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) और भारत (India) में कारोबार के अवसरों की संभावना की साख में भी वृद्धि हुई।

क्रिप्टो करेंसी (crypto currency) पर लगाम -

रूस-यूक्रेन संकट के बीच रूसी मुद्रा रूबल के बैन होने पर रूस (Russia) ने क्रिप्टो करेंसी (crypto currency) में भी लेनदेन मान्य किया है। इस बीच क्रिप्टो करेंसी के जरिए काले धन की आवाजाही बढ़ने से भी श्री लंका-पाकिस्तान और नेपाल में आर्थिक ढांचा ध्वस्त हुआ।

भारत ने इस मामले में भी सतर्कता दिखाते हुए क्रिप्टो करेंसी (crypto currency) को मान्यता देने के मामले में विलंब करने का दूरगामी निर्णय लिया। हाल ही में भारत ने 11 क्रिप्टो एक्सचेंजों पर टैक्स चोरी के मामले में कार्रवाई भी की।

इससे क्रिप्टो करेंसी के जरिए देश की अर्थव्यवस्था में सेंध लगाने के विदेशी प्रयासों को भी आधार नहीं मिल पाया। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने 28 मार्च को लोकसभा में कहा कि सरकार ने कुल 81.54 करोड़ रुपये की कर चोरी के लिए भारत (india) में 11 क्रिप्टोकरेंसी (crypto currency) एक्सचेंजों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है।

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ईंधन की कीमतें बेकाबू –

नेपाल (Nepal) में सब्सिडी आधारित ईंधन की बिक्री से समझा जा सकता है कि, यदि भारत सरकार सब्सिडी आधारित नीति से नागरिकों को पेट्रोल-डीजल रियायती दर पर उपलब्ध कराती तो भारतीय अर्थव्यवस्था में भी श्री लंका-नेपाल सरीखा संकट गहरा सकता था।

निर्यात ने संभाला –

भारत ने गेहूं, अनाज जैसे निर्यात के विकल्पों पर फोकस करके भी अर्थव्यवस्था को गति देने की कोशिश की है। हालांकि भारत को पड़ोसी मुल्कों श्री लंका, नेपाल और कुछ हद तक पाकिस्तान से निर्यात के रास्ते मिलने वाली राशि का संकट पैदा हो रहा है।

तीनों देश आर्थिक तौर पर तंगहाली से गुजर रहे हैं। नेपाल के कारोबारियों को औद्योगिक उपकरण सप्लाई करने भारतीय व्यापारियों के मुताबिक नेपाल में आर्थिक तंगहाली के कारण बुक्ड ऑर्डर्स की वसूली पर पिछले कुछ दिनों से ग्रहण लगा हुआ है, जबकि आगामी बुकिंग पर भी संशय बरकरार है।

FPI का संकट गहराया -

विदेशी निवेश के मामले में भारतीय सरकार को खास ध्यान देना होगा। बीते कुछ दिनों में FPI आहरण के कारण भारत के विदेशी राशि के जमा फंड में खासी कमी आई है।

गौरतलब है कि बीते छह माह से भारत में FPI की बिकवाली जारी है। इस महीने फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (Foreign Portfolio Investors/FPI/एफपीआई) ने इंडियन इक्विटी मार्केट (Indian equity market) से 41,000 करोड़ रुपये निकाले हैं, यह दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है।

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आर्थिक मदद के बाद श्री लंका (Sri Lanka) ने भारत को जहां बड़े भाई का दर्जा दिया, वहीं नेपाल (Nepal) ने भारत से आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, भौगोलिक संबंधों के प्रबल होने की बात दोहराई है। पाकिस्तान (Pakistan) के लिए चारों ओर रास्ते बंद नजर आ रहे हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए स्थिति फिलहाल जटिल जरूर है, लेकिन व्यापारिक मामलों में भारत के रास्ते चहुं ओर खुले हुए हैं। कारण है रूस-यूक्रेन, पाकिस्तान-चीन-अमेरिका के मामले में भारत के दो टूक निर्णय। बुजुर्ग कहते भी आए हैं, बंद मुट्ठी लाख की और खुल गई तो खाक की। फिलहाल तो भारत की मुट्ठी श्री लंका, नेपाल, पाकिस्तान के मुकाबले मजबूत नजर आ रही है।

डिस्क्लेमर यह लेखक के निजी विचार हैं। आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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