खुशखबरी : Covid के बावजूद FY22 में भारतीय अर्थव्यवस्था बढ़ेगी सबसे तेज

प्रोजेक्टेड एनुअल ग्रोथ रेट अर्थात अनुमानित वार्षिक वृद्धि दर (10%) दो प्रमुख कारकों पर निर्भर करेगी। जानिये वह सब जो आपको जानना आवश्यक है।
कोविड-19 की दूसरी लहर ने मांग को बाधित कर दिया है, जो कि त्वरित आर्थिक सुधार के लिए अति महत्वपूर्ण है। - सांकेतिक चित्र
कोविड-19 की दूसरी लहर ने मांग को बाधित कर दिया है, जो कि त्वरित आर्थिक सुधार के लिए अति महत्वपूर्ण है। - सांकेतिक चित्रSyed Dabeer Hussain - RE
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हाइलाइट्स –

  • ब्लूमबर्ग न्यूज़ के अनुमानों का औसत

  • FY 21-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था की गति 10%

  • अर्थव्यवस्थाओं में भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे तेज

राज एक्सप्रेस। कोविड -19 महामारी की दूसरी लहर के कारण हुए व्यवधान के बावजूद इस वर्ष दुनिया की सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में भारत की अर्थव्यवस्था के सबसे तेज दर से बढ़ने की भविष्यवाणी की गई है।

ब्लूमबर्ग का अनुमान -

ब्लूमबर्ग न्यूज द्वारा संकलित 12 अनुमानों के औसत के अनुसार, फिलहाल, भारत की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2021-22 में 10 प्रतिशत की दर से बढ़ने की राह पर है।

दूसरी एजेंसियों ने घटाया था -

यहां यह स्मरणीय है कि; कई रेटिंग एजेंसियों ने Covid-19 (कोविड-19) की दूसरी लहर के दौरान स्थानीय लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था पर पड़े प्रभाव के आधार पर अपने अनुमान साझा किये हैं।

कोविड-19 की दूसरी लहर ने मांग को बाधित कर दिया है, जो कि त्वरित आर्थिक सुधार के लिए अति महत्वपूर्ण है। - सांकेतिक चित्र
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कई एजेंसियों ने कोविड और लॉकडाउन प्रभावित वित्तीय वर्ष के आधार पर भारत के लिए पिछले अपने विकास पूर्वानुमानों को कम करने के बाद अनुमानों को जारी किया है।

इन दो कारकों पर निर्भर -

प्रोजेक्टेड एनुअल ग्रोथ रेट अर्थात अनुमानित वार्षिक वृद्धि दर (10%) दो प्रमुख कारकों पर निर्भर करेगी। मुख्य तौर पर आर्थिक सुधार और वार्षिक विकास दर दो प्रमुख कारकों पर निर्भर होगी- स्थानीय लॉकडाउन की मांग और छूट।

गौरतलब है कि अर्थव्यवस्था पर दूसरी लहर का असर साल 2020 की तरह गंभीर नहीं है। हालांकि देश के अधिकांश हिस्सों में स्थानीय प्रतिबंध लगाए गए हैं। इसके परिणाम स्वरूप आर्थिक गतिविधि कम हुई है।

निर्भरता इस बात की होगी कि राज्य कितनी जल्दी प्रतिबंधों में ढील दे सकते हैं। साथ ही उपभोक्ताओं की विवेकाधीन वस्तुओं पर खर्च करने की इच्छा भी एक सशक्त पहलू होगा।

सुधार में बाधाएं -

अर्थशास्त्रियों का मानना ​​​​है कि आर्थिक पलटाव (economic rebound) की ताकत मुख्य तौर पर राज्यों पर निर्भर होगी। यह निर्भरता इस बात की होगी कि राज्य कितनी जल्दी प्रतिबंधों में ढील दे सकते हैं। साथ ही उपभोक्ताओं की विवेकाधीन वस्तुओं पर खर्च करने की इच्छा भी एक सशक्त पहलू होगा।

लॉकडाउन की स्थिति -

कुछ राज्यों ने प्रतिबंधों में ढील देना शुरू कर दिया है, लेकिन भारत में अभी भी प्रतिदिन 1.5 लाख से अधिक कोविड-19 मामलों की रिपोर्ट मिल रही है।

ऐसे परिदृश्य में, टीकाकरण में तेजी लाना मामलों को कम करने का सबसे अच्छा तरीका प्रतीत होता है। ऐसा करने पर राज्य सरकारें प्रदेश को तेजी से अनलॉक करने की स्थिति में होंगी।

धीमी मांग में सुधार -

एक अन्य प्रमुख कारक जो भारत की आर्थिक वृद्धि को प्रभावित कर सकता है, वह है धीमी मांग। आपको याद हो कोरोनो वायरस की पहली लहर के बाद, देश में विवेकाधीन वस्तुओं की मांग में तेज उछाल देखा गया था।

अक्टूबर 2020 में शुरू होने वाले त्योहारी सीजन से भी इसको सहायता प्राप्त हुई। ऐसे में कोरोना की दूसरी लहर के बाद धीमी मांग में सुधार होना भी जरूरी होगा।

अर्थशास्त्रियों का तर्क -

कई अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इस साल मांग को लेकर स्थिति अलग है। उनका कहना है कि 2021 में कोविड-19 की घातक लहर को देखते हुए स्वास्थ्य पर अधिक खर्च के कारण मांग में रिकवरी धीमी होने की संभावना है।

उपभोक्ता भावना -

उपभोक्ता भावना विवरण (Consumer sentiment data) भी यह बताता है कि; कम बचत और स्वास्थ्य सेवा एवं ईंधन जैसी आवश्यक जरूरतों पर अधिक खर्च के कारण परिवार पिछले साल की तरह उन्मुक्त तरीके से खर्च करने में समर्थ नहीं होंगे।

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इतनी बेरोजगारी अनुमानित -

महामारी की भीषण लहर ने नौकरियों को भी प्रभावित किया है, हालांकि यह प्रभाव पिछले साल जितना बुरा नहीं है।

मुंबई स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडिया इकोनॉमी (सीएमआईई/CMIE) के आंकड़ों से पता चलता है कि मई माह में बेरोजगारी दर 10 फीसदी तक पहुंचने की संभावना है। इसका भी लंबी अवधि के लिए मांग पर असर पड़ेगा।

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आरबीआई का बुलेटिन -

रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई/RBI) के मई बुलेटिन ने भी इस बारे में संकेत दिये हैं। केंद्रीय बैंक ने मांग के सदमे में होने का इशारा किया है।

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भारतीय रिजर्व बैंक के संकेत के मुताबिक दूसरी लहर के दौरान कोविड-19 से उपजी स्थितियों के कारण "डिमांड शॉक" (“demand shock”) हुआ है। मांग को लगा यह झटका ("डिमांड शॉक") वसूली के लिए एक बड़ी चुनौती होगा।

डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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