क्रूड ऑयल से बढ़ी महंगाई पर भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर के लोग क्या बोले
हाईलाइट्स :
महंगाई के लिए CRUDE OIL क्यों जिम्मेदार?
भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर से मिला ये जवाब
पेट्रोल-डीजल-रसोई गैस दाम का क्रूड ऑयल से कनेक्शन
राज एक्सप्रेस। दुनिया भर के देशों की अर्थव्यवस्था लॉकडाउन के बाद अनलॉकिंग पीरियड में महंगाई के साये में है। पेट्रोल, डीजल, कुकिंग गैस के दाम इसलिए ज्यादा हैं क्योंकि अंतर राष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल यानी क्रूड ऑयल (CRUDE OIL) की कीमतें आसमान को छू रही हैं। ईंधन की ऊंची कीमतों पर मध्य प्रदेश के चार प्रमुख बड़े शहरों राजधानी भोपाल, उद्योग नगरी इंदौर, ग्वालियर और संस्कारधानी जबलपुर के नागरिकों की क्या है राय एवं इसका प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से क्या असर पड़ा? जानिये।
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कच्चा तेल यानी क्रूड ऑयल (CRUDE OIL) की कीमतों के प्रत्यक्ष एवं परोक्ष असर को जानने के लिए पहले क्रूड ऑयल आखिर क्या है यह जानना जरूरी है। दरअसल क्रूड ऑयल भी कैरोसिन, पेट्रोल, डीजल की ही तरह पेट्रोलियम का परिशोधित किया हुआ रसायन है।
अब तक खोजी गई किस्मों के मान से पेट्रोलियम से लगभग 6000 किस्म के रसायन एवं उत्पाद बनाए जा सकते हैं। क्रूड ऑयल (CRUDE OIL) को परिशोधित यानी रिफाइन (Refine) करके बनने वाली चीजों का हमारे दैनिक जीवन में अति महत्वपूर्ण स्थान है।
इनके बिना कारखानों पर ताला पड़ जाएगा, वाहनों के पहिये थम जाएंगे, रसोई में चूल्हा नहीं जल पाएगा। हाल फिलहाल पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के दामों में लगी आग के धुएं से लोगों की आंखों से आंसू निकल रहे हैं।
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भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर में भाव -
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में पेट्रोल की उच्चतम कीमत 2 नवंबर को 118.83 रुपये थी। दीपावली के अवसर पर जरूर पेट्रोल, डीजल के दामों में कमी आई लेकिन अभी भी दाम के मामलों में ईंधन के दोनों प्रमुख विकल्प शतकवीर हैं। मतलब इनका दाम मध्य प्रदेश के प्रमुख चार शहरों में सौ रुपयों के ऊपर है। गुड रिटर्न्स डॉट इन (Goodreturns.in) से हासिल पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, ऑटो गैस के प्रचलित भाव पर डालिये नजर-
पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, ऑटो गैस के प्रचलित भाव
पेट्रोल
भोपाल – 106.87 (23 नवंबर 2021)
इंदौर – 107.26 (23 नवंबर 2021)
ग्वालियर- 107.55 (23 नवंबर 2021)
जबलपुर- 107.38 (23 नवंबर 2021)
डीजल
भोपाल- 90.53 (23 नवंबर 2021)
इंदौर- 90.92 (23 नवंबर 2021)
ग्वालियर – 91.16 (23 नवंबर 2021)
जबलपुर – 91.02 (23 नवंबर 2021)
एलपीजी
भोपाल- 905.50 (अक्टूबर 2021)
इंदौर- 927.50 (अक्टूबर 2021)
ग्वालियर – 983.50 (अक्टूबर 2021)
जबलपुर – 906.50 (अक्टूबर 2021)
ऑटो गैस
भोपाल – (मई 2020) 34.40
इंदौर - (मई 2020) 34.23
ग्वालियर - (मई 2020) 37.38
जबलपुर – (मई 2020) 37.08
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भोपाल में पेट्रोल की ऐतिहासिक कीमतें
भोपाल में पेट्रोल की दर का रुझान, नवंबर 2021 पेट्रोल की कीमतें
1 नवंबर रु.118.46
24 नवंबर रु.106.87
नवंबर में उच्चतम दर 2 नवंबर को 118.83 रुपये
नवंबर में सबसे कम दर 6 नवंबर को 106.87 रु
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सवाल-जवाब में किस शहर का क्या कहना? -
महंगे क्रूड ऑयल (CRUDE OIL) के कारण महंगे हुए पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस से जीवन पर क्या असर पड़ा है? इसका चुनाव के वक्त क्या असर पड़ेगा? इस सवाल के बारे में हमारे साथ भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर के नागरिकों ने अपनी राय साझा की।
जबलपुर रियल एस्टेट के मामले में क्रूड ऑयल के दाम अहम हो जाते हैं। डीजल-पेट्रोल महंगा होने से सब कुछ प्रभावित होता है। मकान निर्माण में काम करने वाले अकुशल लेबर 350-400 एवं राज मिस्त्री का पारिश्रमिक 1000 से 1500 तक तय है। परिवहन शुल्क बढ़ने से रेत, लोहा, गिट्टी, सीमेंट की कीमतें बढ़ती हैं तो कंस्ट्रक्शन कॉस्ट में 5 से 10 प्रतिशत तक की वृद्धि हो जाती है। हालांकि महंगाई का चुनावी फैसले पर उतना असर नहीं पड़ेगा।
राजा साहनी, प्रोपराइटर, साहनी रेंटल एंड प्रॉपर्टीज़, जबलपुर
साहनी बताते हैं कि, “लॉकडाउन के उपरांत जारी अनलॉकिंग पीरियड में सबसे ज्यादा ग्रोथ रियल एस्टेट में देखने को मिली, वह भी सतत। मप्र. में रियल एस्टेट के मामले में अच्छी ग्रोथ मिली है। कोरोना महामारी कालखंड के दौरान सेंसेक्स स्क्रीन पर रियल एस्टेट का ही वर्म सेंसेक्स पर टेंशन में नहीं रहा। हाल ही में सरकारी डीए मिलने-बढ़ने से लोगों ने सोना और रियल एस्टेट में निवेश किया। बाकी कंज्यूमर गुड्स के नाम रहा।”
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बदलाव की बयार –
ऐसा नहीं है कि लॉकडाउन और मंहगे क्रूड ऑयल के कारण एकाएक बढ़ी महंगाई के कारण सब नुकसानदायक रहा, बल्कि लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी में भी कई बदलाव आए हैं। बात करें ऑटोमोबाइल सेक्टर की तो यहां पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण लोगों का रुझान अब इलेक्ट्रिक और बायो डीजल बेस्ड व्हीकल्स की ओर देखने को मिल रहा है। सरकारी प्रयासों से हाइवे और मुख्य मार्गों-जगहों पर चार्जिंग स्टेशन बनने के बाद इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग में इजाफा निश्चित है।
टाटा, लिलैंड, महिंद्रा, आयशर जैसे बड़े निर्माताओं ने फिलहाल सेमी इलेक्ट्रिक वीकल्स मार्केट में उतारे हैं। आगे चलकर कंपनियों की योजना पूरी तरह इलेक्ट्रिक वीकल लाने की है। इलेक्ट्रिक वाहनों की एक तरह से यह फर्स्ट स्टेज है जो फिलहाल ट्रायल मोड में है। दरअसल बैटरी के मामले में भारत आयात पर निर्भर है इसलिए बैटरी निर्माण में भारत को दक्षता बढ़ानी होगी।
विमल पाटीदार, प्रोपराइटर, माय ट्रक आटोमोबाइल्स, इंदौर
पाटीदार बताते हैं कि; “ट्रांसपोर्टर्स को बचत नहीं होने से वो आगामी योजना पर काम नहीं कर पा रहे। माल परिवहन किराया-भाड़ा न बढ़ने से भी परेशानी बढ़ी है। लुब्रिकेंट्स और रबर की कीमत बढ़ने से गाड़ी का रखरखाव महंगा हो गया है। बायोडीजल को सपोर्ट न करने वाली गाड़ियों में बायोडीजल उपयोग करने से उनकी मैंटनेंस कॉस्ट बढ़ गई है। ऐसे में वाहन निर्माताओं का का भी रुझान बदला है।”
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बदल गया लेनदेन का तरीका-
इसी तरह लॉकडाउन के दौर में आईटी सेक्टर की चांदी रही। दुनिया भर की तमाम बड़ी आईटी कंपनियों ने इस दौर में जमकर चांदी कूटी। इस दौर में नेट बैंकिंग का चलन बढ़ा, जबकि घरों का बजट बिगड़ गया
घरों में बंद लोगों के सामने ऑनलाइन कैश ट्रांजेक्शन को अपनाने के सिवाय कोई चारा नहीं रहा। बैंक जहां बंद होते रहे वहीं पेटीएम, फोनपे, गूगलपे, योनोएसबीआई और भीम जैसे छोटे-बड़े ऐप लोगों के बीच आर्थिक लेनदेन का अहम हिस्सा हो गए।
अरुणा वाजपेयी मिश्रा, गृहिणी, ग्वालियर
मोटर साइकिल मजबूरी में चलाना पड़ रही है। पहले 100 रुपये का पेट्रोल 5 से 8 दिन तक चलता था। अब पेट्रोल की टंकी मात्र दो दिन में खाली हो जाती है। परिवार पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है। महंगे पेट्रोल-डीजल के कारण बच्चों के स्कूल के ऑटो का किराया भी बढ़ा है। खाद्य तेल जो पिछले साल तक 80 से 90 रुपये मिलता था उसे अब दोगुनी कीमत पर खरीदना पड़ रहा है।
अमित पटेरिया, मीडिया पर्सन, भोपाल
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ऑनलाइन भुगतान करने पर अभी तो कोई चार्जेस नहीं काटे जा रहे हैं। जनरल इंश्योरेंस और एलआईसी पॉलिसीज में बदलाव आए हैं। क्लेम सेटल करने में दिक्कत हुई थी। मेडिक्लेम पॉलिसी में दिक्कत हुई थी। पहले डिस्पोजिबल किट का पैसा कटकर मिलता था। कोरोना कवच और रक्षक पॉलिसी से सुधार की कोशिश की गई। मेडिक्लेम पॉलिसी महंगी होने से सभी कोई उसका उपयोग नहीं कर पाते। मौजूदा दौर में नेट बैंकिंग का क्रेज बढ़ा है। कैश ट्रांसफर करने पर जरूर शुल्क लगता है।
अनिल उप्पल, उप्पल फाइनेंसियल सर्विसेज, ग्वालियर
कोयले की आंच -
यह तो हुई आम परेशानियों की बात लेकिन क्रूड ऑयल के दामों पर लगाम न कसी गई तो खेत से लेकर रसोई तक महंगाई की जो आग लगी है वह और विकराल हो जाएगी। इसकी आंच अर्थव्यवस्था को लॉकडाउन के कहर के बाद एक बार फिर से कुम्हलाने के लिए काफी होगी।
दरअसल देश की कोयला खदानों में कोयले के कुप्रबंधन के कारण बिजली की कमी की समस्या पहले ही अपना रोल दिखा चुकी है। ऐसे में तमाम प्रदेशों में अघोषित तौर पर बिजली कटौती का दौर देखा जा रहा है। अभी सिंचाई के लिए बिजली की जरूरत है, कुछ दिनों में फसल कटने के लिए तैयार रहेगी ऐसे में बिजली न होने पर बिजली जनरेटर एक मात्र सहारा रहेंगे।
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जनरेटर चलाने के लिए अत्यावश्यक डीजल के दाम अधिक होने से फसल की लागत ज्यादा रहेगी जिससे निश्चित तौर पर उसके बाय प्रोडक्ट (By-product) यानी उपोत्पाद में शामिल आटा-दाल-चावल, बिस्कुट जैसी राशन सामग्री भी महंगी होगी।
वस्तुओं को दुकान से घर तक पहुंचाने के लिए लगने वाला किराया भी बढ़ेगा। साथ ही अन्य दैनिक जरूरत की चीजों के दामों पर भी महंगे ईंधन का असर पड़ेगा। इसकी एकमात्र वजह होगा कच्चा ईंधन (CRUDE OIL), जिसमें पेट्रोल, डीजल, कुकिंग गैस आदि समाहित हैं।
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