हाइलाइट्स –
MNEs पर लागू होंगे OECD के नियम
15% कर लगाने का अधिकार मिलेगा
दूरगामी परिणाम के लिए वैश्विक कर
राज एक्सप्रेस। द ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (OECD) यानी आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) ने सोमवार को बहुराष्ट्रीय उद्यमों (एमएनई/MNEs) को 2023 से 15% न्यूनतम कर के अधीन करने के उद्देश्य से एक दूरगामी वैश्विक कर सौदे के कार्यान्वयन के लिए विस्तृत नियम जारी किए।
आर्थिक विश्लेषकों के अनुसार; आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी/OECD) की इस इच्छा के साथ कि देश 2022 में तथाकथित ग्लोबल एंटी-बेस इरोजन (ग्लोबीई/GloBE) नियमों को घरेलू कानून में लाएं, तो ऐसे में 2022-23 के लिए भारत का बजट भारत की स्थिति को स्पष्ट करेगा। साथ ही इन नियमों को शामिल करने के लिए विधायी ढांचा तैयार करने की शुरुआत होगी।
नये नियम का मतलब - न्यूनतम कर, जिसे पिलर टू के रूप में जाना जाता है, कम कर दरों की पेशकश करके निगमों को आकर्षित करने के लिए प्रतिस्पर्धा करने से देशों को हतोत्साहित करेगा। नए नियम भारत (India) जैसे देशों को उन कंपनियों पर अतिरिक्त कर लगाने की अनुमति देते हैं जो किसी अन्य क्षेत्राधिकार में 15% प्रभावी न्यूनतम दर को पूरा नहीं करती हैं।
वर्तमान में, एक भारतीय एमएनई (MNE) शून्य-कर क्षेत्राधिकार (zero-tax jurisdiction) में एक इकाई स्थापित कर सकता है और वह वैध रूप से वहां कोई कर नहीं चुकाएगा और भारत को लाभ वापस वितरित नहीं करेगा। ओईसीडी (OECD) बहुपक्षीय समझौते के तहत, भारत को उन पर न्यूनतम 15% की दर से कर लगाने का अधिकार प्राप्त होगा।
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137 देशों की सहमति -
पिलर टू मॉडल नियम सरकारों को डिजिटलीकरण और अर्थव्यवस्था के वैश्वीकरण से उत्पन्न होने वाली कर चुनौतियों का समाधान करने के लिए दो-स्तंभ समाधान को आगे बढ़ाने के लिए एक सटीक टेम्पलेट प्रदान करते हैं।
भारत और ओईसीडी/जी 20 (OECD/G20) समावेशी ढांचे के तहत क्षेत्राधिकार सहित 137 देशों द्वारा अक्टूबर 2021 में आधार क्षरण और लाभ स्थानांतरण (बीईपीएस/BEPS) पर सहमति व्यक्त की गई थी।
GloBE के नियम - नियम दायरे को परिभाषित करते हैं और ग्लोबई (GloBE ) नियमों के लिए तंत्र निर्धारित करते हैं, जो वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर दर पेश करेगा।
आपको बता दें ग्लोबई पर्यावरण संवर्धन संबंधी एक विश्व स्तरीय कार्यक्रम है। इसका मतलब द ग्लोबल लर्निंग एंड ऑब्जर्वेशन टू बेनिफिट द एनवायरनमेंट (The Global Learning and Observation to Benefit the Environment-GloBE) यानी पर्यावरण को लाभ पहुंचाने के लिए वैश्विक शिक्षा और अवलोकन कार्यक्रम से है।
न्यूनतम कर 750 मिलियन यूरो से अधिक राजस्व वाले मल्टीनेशनल एंटरप्राइज (multinational enterprise-MNE) यानी बहुराष्ट्रीय उद्यम पर लागू होगा। इससे सालाना अतिरिक्त वैश्विक कर राजस्व (global tax revenues) में लगभग 150 बिलियन डॉलर प्राप्त होने का अनुमान है।
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स्थिति स्पष्ट करना जरूरी - फाइनेंशियल एक्सप्रेस के लेख में नांगिया एंडरसन एलएलपी के टैक्स लीडर और पार्टनर अरविंद श्रीवत्सन की दर्ज राय के मुताबिक;
“सरकार को कॉर्पोरेट्स को अपने समूह संरचना का मूल्यांकन एवं विवेचना करने और अनुपालन ढांचे का निर्माण शुरू करने की अनुमति देने के लिए अपनी स्थिति को जल्दी से स्पष्ट करने की आवश्यकता है। भारत ने पिलर टू से पिलर वन पर लाभ की उम्मीद के साथ अनौपचारिक रूप से आधार क्षरण भुगतान पर एसटीटीआर (STTR) लागू करने के लिए प्राथमिकता व्यक्त की है।”
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समन्वित कर प्रणाली - GloBE नियम कराधान की एक समन्वित प्रणाली प्रदान करते हैं जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बड़े एमएनई (MNE) समूह प्रत्येक क्षेत्राधिकार में उत्पन्न होने वाली आय पर कर के इस न्यूनतम स्तर का भुगतान करते हैं जिसमें वे काम करते हैं।
आर्थिक नीति के जानकारों के अनुसार नियम के अध्याय 3 और 5 मॉडल नियमों का केंद्र हैं जो अतिरिक्त लाभ, समायोजित कवर करों, प्रत्येक कम-कर क्षेत्राधिकार के लिए क्षेत्राधिकार टॉप-अप कर प्रतिशत, GloBE आय की गणना में पदार्थ-आधारित आय बहिष्करण के निर्धारण को निर्धारित करते हैं।
पिलर वन 10% से अधिक लाभप्रदता और 20 बिलियन यूरो से अधिक के वैश्विक कारोबार वाले एमएनई पर लागू होगा। बाजारों में पुनः आबंटित किए जाने वाले लाभ की गणना राजस्व के 10% से अधिक कर पूर्व लाभ के 25% के रूप में की जाएगी।
डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स और जारी आंकड़ों पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।
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