हाइलाइट्स –
भारत-चीन संबंधों पर कयास
नई संभावनाओं को मिला बल
नए निवेश प्रस्तावों की मंजूरी की तैयारी!
राज एक्सप्रेस। भारत-चीन के मध्य उपजी जिओ पॉलिटिकल टेंशन की वजह से व्यापारिक संबंधों पर असर पड़ा है। इसके जवाब में भारत ने चीन की कूटनीति पर लगाम कसने कई नीतियों को तैयार किया है।
सूत्र आधारित मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत सरकार आगामी कुछ सप्ताह में चीन के कुछ नए निवेश प्रस्तावों को मंजूरी देने की तैयारी में है!
इसके पहले -
ड्रैगन के भारत की सरकारी निविदाओं में भाग लेने की राह में नीतिगत अवरोध, भारत में निवेश करने वाली चीन की कंपनी के अनुमोदन पूर्व सख्त जांच एवं दर्जनों चाइनीज ऐप पर प्रतिबंध लगाने जैसे कदम; हाल ही में सीमा पर उपजे तनाव के कारण चीन पर लगाम कसने की कड़ी रहे।
चीन के ग्रेट वाल मोटर्स के भारत में जनरल मोटर्स के संयंत्र के अधिग्रहण प्रस्ताव में हुई देरी को भी इस वजह से विदेशी मीडिया में तरजीह मिली।
इनकी रिपोर्ट -
रॉयटर्स (reuters) और इकोनॉमिक टाइम्स (ईटी) (economictimes-ET) की रिपोर्ट ने मामले की जानकारी रखने वाले तीन सरकारी अधिकारियों के हवाले से भारत सरकार के अगले कदमों से जुड़ीं नई संभावनाओं को बल दिया है।
बयान से मिले संकेतों के अनुसार दोनों देशों के मध्य चल रहे तल्ख रिश्तों में ठंडक घुलने के साथ ही सीमा तनाव में कमी आने पर भारत आने वाले हफ्तों में चीन के कुछ नए निवेश प्रस्तावों को मंजूरी देने की तैयारी में है।
गतिरोध के बाद वापसी! -
गौरतलब है कि साल 1962 में पड़ोसी देशों के बीच सबसे जटिल संघर्ष के बाद हाल ही के महीनों से दोनों राष्ट्रों के बीच लंबा गतिरोध देखने को मिला है।
आपको बता दें पिछले सप्ताह भारत और चीन की सेना ने पश्चिमी हिमालय के लद्दाख क्षेत्र में पैंगोंग त्सो क्षेत्र से वापसी शुरू की है।
सरकार की अनुमति –
भारत सरकार का विदेशी निवेश नियम में बदलाव कहता है कि; ऐसी किसी इकाई से निवेश; जो ऐेसे देश से वास्ता रखता है जिसका भारत से सीमा रेखा साझा संबंधी नाता है तो संबंधित इकाई को सरकार से मंजूरी की आवश्यकता होगी। सनद रहे स्पष्ट रूप से चीन भारत में धीमे निवेश का एक स्त्रोत है।
चीन को धक्का -
भारत के नियम परिवर्तन के कारण चीन के लगभग 2 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के 150 से अधिक प्रस्ताव प्रभावित हुए। इससे भारत में चीनी कंपनियों की योजनाओं को भी धक्का पहुंचा।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में जनरल मोटर्स संयंत्र के अधिग्रहण में चीन के ग्रेट वाल मोटर्स को नियमों के बदलने से विलंब का सामना करना पड़ा।
एक आधिकारिक सूत्र के अनुसार "पहले कुछ ग्रीनफील्ड निवेश प्रस्तावों को मंजूरी देना शुरू करेंगे, लेकिन हम केवल उन्हीं क्षेत्रों को मंजूरी देंगे जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संवेदनशील नहीं हैं।"
नाम की गोपनीयता की शर्त पर आधारित ईटी की रिपोर्ट में अधिकारियों ने हालांकि उन प्रस्तावों का खुलासा नहीं किया है जिनको अगले कुछ हफ्तों में हरी झंडी मिलने की संभावना है। इस बारे में उन्होंने आगामी सप्ताहों में ऐेसे प्रस्तावों पर से पर्दा हटने की संभावना जरूर जताई है।
नहीं मिला जवाब -
ईटी की रिपोर्ट में उल्लेख है कि इस संदर्भ में सरकारी स्तर पर पक्ष जानने पीएम दफ्तर को भेजे गए ईमेल का तुरंत जवाब नहीं मिला जबकि गृह मंत्रालय ने भी ईमेल, कॉल या संदेश का जवाब नहीं दिया।
सरकारी सूत्रों के अनुसार सरकार कुछ ब्राउनफील्ड प्रोजेक्ट्स पर भी विचार कर रही है। हालांकि इसमें इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा कि मौजूदा परियोजनाओं में नए निवेश से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा तो नहीं।
अधिकारियों के हवाले से ईटी की रिपोर्ट में उल्लेख है कि सरकार कुछ क्षेत्रों में चीनी कंपनियों को "स्वचालित" मार्ग या बिना सरकारी जांच के कुछ निवेश की अनुमति देने पर भी विचार कर रही है।
अधिकारियों ने कहा कि "गैर-संवेदनशील" क्षेत्रों में 20 प्रतिशत तक के दांव के लिए निवेश, उन देशों को स्वचालित मार्ग पर वापस ला सकता है जिनके साथ भारत अपने देश की सीमा भूमि साझा करता है।
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चाइना छोड़ने वाली कंपनियों के लिए “सेज़” तैयार
डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारियां जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।
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