फारेन ट्रेड पालिसी-2023 घोषित, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बताया नई नीति में किन-किन क्षेत्रों पर रहेगा फोकस

केंद्रीय उद्योग और टेक्सटाइल मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को विदेश व्यापार नीति-2023-28 की घोषणा कर दी। नई पॉलिटी में इन्सेंटिव की जगह रेमिशन पर जोर दिया गया है।
Piyush Goyal
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राज एक्सप्रेस। केंद्रीय उद्योग और टेक्सटाइल मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को विदेश व्यापार नीति-2023-28 की घोषणा कर दी है। नई पॉलिटी में इन्सेंटिव की जगह रेमिशन पर जोर दिया गया है। नई नीति के मुताबिक ई-कॉमर्स के जरिए सरकार एक्सपोर्ट पर फोकस करेगी। मर्चेंट्स ट्रेड को बढ़ावा देने पर भी जोर रहेगा। विदेश व्यापार नीति या फारेन ट्रेड पालिसी 1 अप्रैल से लागू हो जाएगी। विदेश व्यापार नीति का मकसद है कि देश में विनिर्माण गतिविधियों को प्रोत्साहन देते हुए निर्यात को बढ़ावा दिया जाए, ताकि लोगों की आमदनी बढ़े और य़ुवाओं को नौकरियां उपलब्ध कराई जा सकें। देश वासियों की रोजी-रोटी विधिवत रूप से चलती रहे, इस लिए फॉरेन ट्रेड यानि विदेशी व्यापार की समुचित नीति बहुत जरूरी है। जिस पर आगे बढ़ते हुए कारोबारी लक्ष्य हासिल किए जा सकें। मोदी सरकार द्वारा पेश की गई नई विदेश व्यापार नीति में देश में विनिर्माण गतिविधियों को इस तरह प्रोत्साहित करने का रोडमैप तैयार किया गया है, ताकि निर्यात को प्रोत्साहित करते हुए देश की अर्थव्यस्था को बढ़ावा दिया जा सके। उल्लेखनीय है कि कोरोना महामारी और यूरोप में संघर्षों को देखते हुए 2020 में निर्यात नीति घोषित नहीं की जा सकी थी। 2015-20 की निर्यात नीति को ही आगे बढ़ा दिया गया था।

2030 तक 2 ट्रिलियन डॉलर निर्यात लक्ष्य

विदेश व्यापार नीति लांच करने के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि कहा जाता है कि साधारण लोग अपनी लगन और मेहनत से असाधारण नतीजे हासिल कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पास कौशल और क्षमता की कोई कमी नहीं है। हमारे भीतर हमेशा कुछ ज्यादा कर दिखाने की सामर्थ्य रही है। लेकिन इस प्रदर्शन को उत्प्रेरित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आवश्यकता थी, जिसके कारण भारत के निर्यात में उछाल देखने में आई है। उन्होंने देश के निर्यातकों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि हमें आगे बढ़ते हुए अपने निर्यात लक्ष्यों को हासिल करना है। हम 2030 तक 2 ट्रिलियन डॉलर निर्यात लक्ष्य हासिल कर लेंगे, यह तय है। लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए कि व्यापारिक निर्यात, सेवा निर्यात से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछली पंच वर्षीय योजना पर काम करते हुए हमने निर्यात के क्षेत्र में 70 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल द्वारा पेश विदेश व्यापार नीति 1 अप्रैल से लागू हो जाएगी। पीय़ूष गोयल ने कहा कि इस एक्सपोर्ट पालिसी का मकसद है कि देश में उद्योग धंधों का विकास और निर्यात के मोर्चे पर भारतीय कारोबारियों की भागीदारी क्रमशः बढ़े। प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पीयूष गोयल ने बताया है कि इस नीति के तहत जीडीपी ग्रोथ कतो 7 फीसदी तक रहने का अनुमान है। केंद्रीय मंत्री पियूष गोयल ने बताया कि इस साल 760 बिलियन डॉलर से ज्यादा का निर्यात किया जा सकता है।

नई नीति में इन चीजों पर रहेगा फोकस

सरकार का जोर फॉरन ट्रेड पॉलिसी के जरिए निर्यात बढ़ाने और आयात घटाने पर जोर रहेगा। इसके साथ ही, इस बात पर भी जोर रहेगा कि ज्यादा से ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय कारोबार डॉलर के बजाय भारतीय रुपये में किया जाए। हाल के दिनों में दुनिया के 18 देशों ने रुपए में कारोबार करने में सहमति जताई है। रुपए में ट्रेड की परंपरा को आगे बढ़ाया जाएगा। सरकार की फॉरन ट्रेड पॉलिसी में मर्चेंट्स ट्रेड को भी शामिल किया जाएगा। भारतीय उत्पादों की प्रजेंस अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बढ़ाई जाएगी। इस बार सरकार ने अपनी नीति में ई-कॉमर्स के जरिए एक्सपोर्ट पर भी जोर दिया है। इस पॉलिसी के तहत माल और सेवाओं के निर्यात से अर्थव्यवस्था को सहारा देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, ताकि एक समयबद्ध कार्यक्रम के तहत देश में विनिर्माण गतिविधियों को प्रोत्साहन दिया जा सके।

39 टाउन आफ एक्सपोर्ट एक्सीलेंस

नई विदेश व्यापार नीति में 39 टाउन आफ एक्सपोर्ट एक्सीलेंस (टीईई) के तहत फरीदाबाद, मुरादाबाद, मिर्जापुर और वाराणसी शहरों को जोड़ा गया है। इससे पहले केंद्र सरकार ने 2015 में विदेश व्यापार नीति की घोषणा की थी। यह योजना पांच सालों के लिए लाई गई थी। यह नीति 2020 तक जारी रही। 2020 में नई विदेश व्यापार नीति लागू किया जाना चाहिए था, लेकिन कोरोना महामारी और यूरोपीय देशों में पैदा हुई अस्थिरता की वजह से नई विदेश व्यापार नीति नहीं घोषित की जा सकी और पुरानी नीति को ही अगले सालों के लिए लागू मान लिया गया। अब जबकि देश कोरोना के संकट से बाहर निकल चुका है। विभिन्न वजहों से पैदा हुए वैश्विक दबावों का भी भारत पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ा है। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने अब नई विदेश नीति घोषित करने की योजना बनाई है। तब पॉलिसी का फोकस मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया के साथ-साथ ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को लेकर था। इस बार की न्यू फॉरेन ट्रेड पॉलिसी भी अगले 5 साल के लिए लाई गई है। इस एक्सपोर्ट पालिसी में निर्यात बढ़ाने के साथ-साथ देश के विनिर्माण उद्योग को सहारा देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

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