हाइलाइट्स –
ईंधन की कीमतों पर सफाई
सिटिजन फोरम के कार्यक्रम में कहा
केंद्र और राज्य सरकारों को करनी होगी चर्चा
राज एक्सप्रेस। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को पेट्रोल और डीजल की रिकॉर्ड तोड़ ऊंचाई को छूने वाली कीमतों पर केंद्र और राज्य सरकारों से मिलकर खुदरा दरों को उचित स्तर पर लाने के लिए एक तंत्र तैयार करने की बात पर बल दिया।
केंद्रीय उत्पाद शुल्क -
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों से होने वाले लाभ को दो-दशक के निचले स्तर तक बढ़ाने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल रिकॉर्ड अंतर से पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क बढ़ाया था।
यह उपभोक्ताओं को राहत देने करों में कटौती करने के मामले में सरकार का कपटपूर्ण रवैया माना जा रहा है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक रिकॉर्ड उच्च डीजल दरों पर करीब 56 प्रतिशत तक कर लगता है।
हालांकि वित्त मंत्री ने एक चर्चा में कहा कि खुदरा ईंधन की बढ़ती कीमतें एक गंभीर मुद्दा है। इसका समाधान संभवतः पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने से हो सकता है।
शतकवीर ईंधन -
राजस्थान और मध्य प्रदेश राज्यों में कुछ जगहों पर पेट्रोल की खुदरा कीमत 100 रुपया निशान से ऊपर जा पहुंचीं। वहीं देश के अन्य राज्यों और शहरों में भी दोनों ईंधन की कीमतें ऑल टाईम उच्च पर बनी हुई हैं।
गौरतलब है कि रीटेल प्राइज का 60 फीसद केंद्र और राज्य के टैक्सों का हिस्सा है। रिकॉर्ड हाई डीजल रेट में टैक्सों के कारण तकरीबन 56 फीसद वृद्धि हुई है।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि; "यह एक अफसोसनाक मुद्दा है, जिसका जवाब कीमतें कम करने से किसी को भी मंजूर नहीं होगा। मैं जानती हूं कि मैं ऐसे दौर में हूं जहां मैं हकीकत सामने लाने जो कुछ भी कहूंगी, वह ऐसा लगेगा कि मैं विषय को उलझाने की कोशिश कर रहीं हूं, मैं जवाब देने से बच रहीं हूं, मैं आरोपों से बच रहीं हूं।"
चेन्नई सिटिजन फोरम के चेन्नई में आयोजित एक कार्यक्रम में वित्त मंत्री ने एक सभा को संबोधित करते हुए ईंधन की कीमतों पर लगी आग पर अपनी सफाई पेश की।
चर्चा का विषय -
कार्यक्रम में उनको तेल संरचना और तेल उत्पादक ओपेक (OPEC) संघ और उसके सहयोगियों के तेल उत्पादन में कटौती करने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों में आने वाली तेजी के साथ ही इसके भारत में ईंधन की खुदरा कीमतों में पड़ने वाले असर संबंधी विषय पर बोलने आमंत्रित किया गया था।
जीएसटी का दायरा -
उन्होंने कहा कि पेट्रोल और डीजल पर लागू करों के व्यापक प्रभाव को समाप्त करने और एकरूपता लाने के लिए पेट्रोल-डीजल को माल और सेवा कर (GST) के तहत लाने का उत्तर लोगों को झूठ लग सकता है।
वर्तमान में, केंद्र सरकार उत्पाद शुल्क की एक निश्चित दर वसूलती है, जबकि राज्य सरकारें वैट की विभिन्न दरों पर शुल्क लगाती हैं।
उन्होंने कहा कि “जीएसटी के तहत, दोनों (केंद्र और राज्य) विलय करेंगे और एकरूपता लाएंगे, जिससे उच्च वैट वाले राज्यों में ईंधन दरों की समस्या का समाधान होगा।”
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा - "मैं जो कह रही हूं वह एक जटिल मुद्दा है, और कोई भी मंत्री किसी को भी इस बात पर सहमत नहीं कर सकता क्योंकि भारतीय, भारतीय होते हैं और मैं भी उनमें से एक हूं, (आश्वस्त नहीं होउंगी)। "मुद्दे की बात यह है कि केंद्र और राज्यों को इस मुद्दे पर एक-दूसरे से चर्चा करनी होगी।"
यह कहते हुए कि राज्यों ने बिक्री कर या वैट संबंधी एड वैलोरम रेट्स (ad valorem rates) को लागू किया है। इससे कीमतें बढ़ने पर उन्हें अधिक राजस्व प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
तो भी समस्या का समाधान नहीं -
उन्होंने कहा कि यदि सरकार एक्साइज ड्यूटी को शून्य पर ले भी आए तो यह किसी भी उद्देश्य की पूर्ति नहीं करेगा।
"मैं ऐसा (करों में कटौती) कर सकती हूं यदि मेरे पास एक निश्चित गारंटी हो कि; मेरे राजस्व का हिस्सा किसी और के लिए इस स्थान में आने और इसे हासिल करने का अवसर नहीं होगा।"
"अगर हम सभी उपभोक्ता मूल्य (ईंधन पर) के बारे में बात कर रहे हैं कि केंद्र द्वारा लागू करों से इसमें कमी आएगी, तो राज्यों द्वारा लागू कर भी इसका एक हिस्सा है।" उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्यों के टैक्स लगभग बराबर हैं।
कीमत की वजह इनकी आजादी -
केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि फ्यूल रिटेलर्स, जिन्हें वर्षों से मूल्य निर्धारण की आजादी दी गई थी, वे बेंचमार्क अंतरराष्ट्रीय कीमतों और विदेशी विनिमय दरों के आधार पर खुदरा दरों पर दैनिक निर्णय लेते हैं।
सीतारमण ने अपने जवाब में कहा कि; "तकनीकी रूप से तेल की कीमतों को मुक्त कर दिया गया है और सरकार का इस पर कोई नियंत्रण नहीं है।" उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतें कम हो जाएंगी।
भारत अपनी तेल की जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर 85 प्रतिशत निर्भर है इसलिए खुदरा दरें अंतरराष्ट्रीय कीमतों से जुड़ी हुई हैं।
मिलकर करना होगी चर्चा -
उन्होंने कहा कि; "लंबे और छोटे अंतराल के लिए राज्यों और केंद्र को एक साथ बैठना और देखना है कि क्या कोई ऐसा तरीका है जिसमें ईंधन का खुदरा मूल्य उचित स्तर पर है।"
सीतारमण ने कहा कि वित्त मंत्री के रूप में वह यह कहने के लिए केंद्र सरकार में एक मंत्री नहीं हो सकतीं कि कीमत कितनी घटाई जा सकती है और क्या इससे राज्यों को अधिक पैसा कमाने की गारंटी नहीं मिलेगी।
"क्योंकि हर सरकार को अधिक धन की आवश्यकता होती है, राजस्व की आवश्यकता होती है और साथ ही मैं एक यह राहत भी देख सकती हूं कि करदाताओं (बजट में) से अतिरिक्त एक भी पैसा नहीं मांगा जा रहा है।"
निर्मला सीतारमण, वित्त मंत्री, भारत सरकार
अहम सवाल का जवाब -
यह पूछे जाने पर कि क्या गुड्स एंड सर्विस टैक्स के तहत ईंधन की कीमतें लाने से समस्या हल होगी? उन्होंने कहा, "यह हो सकता है। लेकिन जीएसटी के तहत इसे (ईंधन की कीमतें) लाने के लिए जीएसटी परिषद (केंद्र और राज्यों को मिलाकर) में गहन चर्चा की आवश्यकता है।"
वित्त मंत्री ने कहा कि अगर जीएसटी परिषद एक दर पर सहमत है तो पूरे देश में ईंधन की एक कीमत हो सकती है। नई दिल्ली की तुलना में चेन्नई अधिक महंगा है या नई दिल्ली तुलना में अधिक महंगा है मुंबई से।
उन्होंने कहा कि “जीएसटी के तहत इस विसंगति का समाधान किया जा सकता है और वह केवल एक कर हो सकता है जिसे केंद्र और राज्य दोनों द्वारा साझा किया जा सकता है।”
गौरतलब है कि पेट्रोल और डीजल की कीमत में हुई सीधी वृद्धि ने विषय पर ध्यान खींचा है। इस कारण मुंबई में पेट्रोल अपने अब तक के उच्चतम मूल्य 97 रुपया प्रति लीटर जबकि डीजल 88 रुपया प्रति लीटर दाम पर जा पहुंचा है।
आपको बता दें स्थानीय करों (वैट/VAT) और माल ढुलाई के आधार पर राज्यों में खुदरा पंप की कीमतें अलग-अलग तय होती हैं।
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डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।
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