भारतीय अर्थव्यवस्था ने गिरकर रचा इतिहास, GDP 23.9% घटी

"जीडीपी किसी देश की आर्थिक नीतियों का आइना होती है। इसमें संबंधित देश की प्रगति की दिशा-दशा के प्रतिबिम्ब को देखा जा सकता है।"
पहली तिमाही में GDP को तगड़ा झटका।
पहली तिमाही में GDP को तगड़ा झटका।- Social Media
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हाइलाइट्स –

  • हिस्ट्री की पहली बड़ी गिरावट

  • पहली तिमाही में तगड़ा झटका

  • बदल गया 40 सालों का इतिहास

राज एक्सप्रेस। वित्तीय वर्ष-21 की पहली तिमाही (Q1FY21) में भारत के ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (जीडीपी-GDP) यानी सकल घरेलू उत्पाद के पतन का रिकॉर्ड बन गया। भारत के 40 सालों के इतिहास में भारतीय अर्थव्यवस्था की यह अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है।

यह GDP क्या है? –

GDP प्रत्येक साल देश में पैदा होने वाली सभी सामग्री और सेवाओं के कुल मूल्य को कहते हैं। जीडीपी किसी देश की आर्थिक नीतियों का आइना होती है। इसमें संबंधित देश की प्रगति की दिशा-दशा के प्रतिबिम्ब को देखा जा सकता है।

अर्थशास्त्री अक्सर इन्हीं आंकड़ों की मदद से किसी देश की तरक्की और भविष्य की प्रगति, कमजोर सेक्टर्स का आंकलन करते हैं।

पहली तिमाही का डाटा -

भारत की केंद्रीय सरकार ने सोमवार को चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही (FY2020-21 Q1 GDP) में जीडीपी ग्रोथ रेट यानी आर्थिक विकास दर के आंकड़े देश-दुनिया के सामने रखे।

एक तरह से इन आंकड़ों को लॉकडाउन के आंकड़े इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि इनका नाता तालाबंदी के दिनों यानी अप्रैल-जून 2020 से है।

तालाबंदी की गूंज-

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक विकास दर यानी जीडीपी ग्रोथ रेट -23.9 प्रतिशत आंकी गई है। हालांकि इस बात पर गौर करना होगा कोरोना वायरस महामारी के कारण दुनिया के तमाम देशों की तरह भारतीय अर्थव्यवस्था को भी तगड़ी चोट पड़ी है।

NSO के आंकड़े -

नेशनल स्टेटिस्टिक्स ऑफिस (NSO) यानी राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय से आंकड़े जारी होने के बाद विपक्षी दलों को नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार पर निशाना साधने का भरपूर मौका मिल गया। आंकड़े बता रहे हैं कि; पिछले वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 5.2 फीसदी रही।

सही निकले अनुमान –

जारी वित्त वर्ष की पहली तिमाही की जीडीपी ग्रोथ रेट के बारे में अधिकांश रेटिंग एजेंसियों ने पहले ही गिरावट का अंदेशा जता दिया था। आपको ज्ञात हो कोरोना वायरस महामारी संक्रमण के प्रसार को रोकने केंद्र सरकार ने 25 मार्च से भारत में लॉकडाउन लागू किया था।

पुरानी विकास दर-

इसके बाद सरकार ने 20 अप्रैल के बाद कुछ तय की गई आर्थिक गतिविधियों में तालाबंदी से राहत देते हुए कामकाज की शुरुआत कराई। विभागीय डाटा के अनुसार फाइनेंशियल ईयर 2018-19 में इंडियन इकोनॉमी 6.1 फीसदी दर की रफ्तार पर थी। फिर इसके बाद 2019-20 में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर घटकर 4.2 प्रतिशत पर आ गई।

सेक्टर्स की हालत पतली -

राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (NSO) के आंकड़ों के मान से वित्तीय वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही के दौरान विनिर्माण क्षेत्र में ग्रॉस वैल्यू एडिंग (GVA) यानी सकल मूल्य वर्धन– 39.3% पर है।

कंस्ट्रक्शन सेक्टर में इसे -50.3% दर्ज किया गया। बिजली सेक्टर का जीवीए -7 फीसदी है।उद्योग का GVA -38.1 प्रतिशत जबकि सर्विस सेक्टर में इसे -20.6 प्रतिशत आंका गया।

हलधर का सहारा -

फिर एक बार भारतीय अर्थव्यवस्था का बोझ हलधर ने ही उठाया है। एकमात्र कृषि क्षेत्र ऐसा है जिसमें 3.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। खनन क्षेत्र का GVA -23.3%, ट्रेड एंड होटल का -47%, पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में इसे -10.3% दर्ज किया गया। फाइनेंस और रियल एस्टेट में इसकी दर -5.3% रही।

पिछली तिमाहियों पर नजर –

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार वित्त वर्ष 2020 की पहली तिमाही में कभी 5 फीसद रही विकास दर दूसरी तिमाही में घटकर 4.5 प्रतिशत पर आ गई। फिर तीसरी तिमाही में यह 4.7 फीसदी रही।

इसके बाद चौथी तिमाही में इसे 3.1 फीसद आंका गया। लॉकडाउन की मार झेल रही अर्थव्यवस्था में इस बार मौजूदा वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही में भारी गिरावट दर्ज हुई है। इस बार यह (-)23.9% दर्ज की गई है।

स्थायी और प्रचलित मूल्य -

फाइनेंशियल ईयर 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी 2011-12 के स्थायी मूल्य पर 26.90 लाख करोड़ रुपया रही। पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इसकी वैल्यू 35.35 लाख करोड़ रुपया थी। गणित के मान से इसमें 23.9 प्रतिशत की गिरावट आई है।

जबकि करंट प्राइस यानी प्रचलित मूल्य की बात करें तो जून 2020 की तिमाही में जीडीपी 38.08 लाख करोड़ रुपया रही, जो पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 49.18 लाख करोड़ रुपये दर्ज की गई थी। इस लिहाज से इसमें 22.6 प्रतिशत की गिरावट आई है।

बोले मुख्य आर्थिक सलाहकार -

“चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था में 23.9 फीसदी की गिरावट का मुख्य कारण कोविड-19 संक्रमण रोकने के लिए लगाया गया कड़ा लॉकडाउन है। आगामी तिमाहियों में देश बेहतर प्रदर्शन करेगा।”

केवी सुब्रमण्यन, मुख्य आर्थिक सलाहकार

चीफ इकोनॉमिक एडवाइज़र सुब्रमण्यन के अनुसार कई सेक्टर्स में ‘वी’ आकार (अंग्रेजी के वी (V) अक्षर की भांति) सुधार देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि बिजली उपभोग और रेल माल वहन से आर्थिक गतिविधियों में सुधार के संकेत मिले हैं।

10% तक गिरावट का अंदेशा! -

पहली तिमाही की गिरावट पर विशेषज्ञों का अनुमान है कि कोविड-19 महामारी की चपेट में आने से चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में तकरीबन 10 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है।

उनकी राय है कि अर्थव्यवस्था की तरक्की के कारक उपभोग, मांग और आपूर्ति में तेजी लाने के लिए पहले प्राण घातक महामारी को काबू करना होगा।

वहीं कारोबारियों ने उम्मीद जताई है कि कई आर्थिक सुधारों, 20 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज के साथ ही रिजर्व बैंक के उपायों से आगामी तिमाहियों में अर्थव्यवस्था फिर पटरी पर लौट सकती है।

GDP खास-खास-

भारत में जीडीपी की गणना राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) करता है। इससे जुड़े आंकड़े प्रत्येक तीन महीनों के अंत में जारी होते हैं। इस तरह साल में चार बार जारी होने वाले आंकड़े खासे महत्वपूर्ण हो जाते हैं।

जीडीपी की गणना मूल तौर पर चार घटकों पर निर्भर है। इसमें उपभोग व्यय, सरकारी व्यय, निवेश व्यय और शुद्ध निर्यात के जरिए विकास दर तय होती है।

अहम हैं ये क्षेत्र -

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय इस महत्वपूर्ण गणना के लिए देश के आठ प्रमुख क्षेत्रों से आंकड़े जुटाता है। इनमें कृषि, रियल एस्टेट, मैन्युफैक्चरिंग, विद्युत, गैस आपूर्ति, खनन, वानिकी एवं मत्स्य, होटल, निर्माण, ट्रेड एंड कम्युनिकेशन, वित्त और इंश्योरेंस जैसे खास सेक्टर्स के अलावा सोशल एवं सार्वजनिक सेवाओं से जानकारी हासिल कर जीडीपी ग्रोथ रेट तय होती है।

डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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