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डालर की मजबूती व बाॅन्ड यील्ड के आकर्षण की वजह से एफपीआई ने सितंबर में निकाले 14,767 करोड़ रु.

एफपीआई डॉलर में मजबूती, अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल बढ़ने और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल की वजह से भारतीय शेयर बाजार में लगा पैसा खाली करने में जुट गए हैं।
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हाईलाइट्स

  • डॉलर में मजबूती, अमेरिका में बॉन्ड यील्ड बढ़ने और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल की वजह से एफपीआई निकाल रहे भारतीय शेयर बाजार से पैसा

  • वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में अनिश्चितताएं बढ़ने और महंगाई के आंकड़े एफपीआई की धारणाओं को प्रभावित कर रहे हैं

राज एक्सप्रेस। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) ने सितंबर में भारतीय शेयर बाजार से 14,767 करोड़ रुपये की निकासी की है। बताया जाता है कि डॉलर में मजबूती, अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल बढ़ने और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल की वजह से एफपीआई भारतीय शेयर बाजार में लगा पैसा खाली करने में जुट गए हैं। इसके अलावा वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में अनिश्चितताएं बढ़ने और महंगाई के आंकड़े एफपीआई की धारणाओं को प्रभावित कर रहे हैं। लगातार छह माह तक लिवाली के बाद एफपीआई ने सितंबर में भारतीय शेयर बाजारों से 14,767 करोड़ रुपये की निकासी की है। शेयर बाजार निवेशकों के अनुसार अगले कुछ दिनों तक भारतीय बाजारों में एफपीआई का प्रवाह अनिश्चित रहेगा।

अगले दिनों में कैसा रहेगा एफपीआई का रुझान

माना जा रहा है कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन, रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा और कंपनियों के सितंबर तिमाही के नतीजों पर निर्भर करेगा कि एफपीआई फिर से शेयर बाजार में निवेश करेंगे। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने सितंबर में शुद्ध रूप से 14,767 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं।इससे पहले अगस्त में शेयरों में एफपीआई का प्रवाह चार माह के निचले स्तर 12,262 करोड़ रुपये पर आ गया था। एफपीआई मार्च से अगस्त तक लगातार छह माह भारतीय शेयरों में शुद्ध लिवाल रहे थे। इस दौरान उन्होंने 1.74 लाख करोड़ रुपये के शेयर खरीदे थे। डॉलर की मजबूती की वजह से एफपीआई बिकवाली कर रहे हैं।

इन चीजों से प्रभावित होगा विदेशी पूंजी का प्रभाव

इसके अलावा, अमेरिका में बॉन्ड यील्ड (10 साल के लिए 4.7 प्रतिशत) आकर्षक बना हुआ है, ऐसे में एफपीआई अपना पैसा भारतीय शेयर बाजार से निकाल रहे हैं। ब्रेंट कच्चे तेल का दाम 97 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है। यह भी एफपीआई की बिकवाली की एक वजह है। अमेरिका और यूरो क्षेत्र में आर्थिक अनिश्चितता के अलावा वैश्विक आर्थिक वृद्धि को लेकर बढ़ती चिंता की वजह से एफपीआई ने बिकवाली शुरू की है। वे किसी तरह का धन संबंधी जोखिम लेने से बच रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने ऋण या बॉन्ड बाजार में 938 करोड़ रुपये डाले हैं। इस तरह चालू कैलेंडर वर्ष में अबतक शेयरों में एफपीआई का निवेश 1.2 लाख करोड़ रुपये रहा है। वहीं बॉन्ड बाजार में उन्होंने 29,000 करोड़ रुपये से ज्यादा निवेश किया है।

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