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सुब्रत रॉय सहारा के निधन के बाद सेबी के पास जमा 25,000 करोड़ रुपए से अधिक धनराशि पर चर्चा शुरू

सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय के निधन के बाद शेयर बाजार नियामक सेबी के खाते में जमा की गई 25,000 करोड़ से अधिक की अवितरित धनराशि पर फिर चर्चा शुरु हो गई है।
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हाईलाइट्स

  • सहारा श्री को अपनी कंपनियों को लेकर कई कानूनी लड़ाइयों का सामना करना पड़ा।

  • उन पर पोंजी योजनाओं के साथ नियमों को दरकिनार करने का आरोप लगाया गया।

राज एक्सप्रेस। सहारा समूह के विशाल कारोबारी साम्राज्य के कल्पनाशील वास्तुकार सुब्रत रॉय का 75 साल की उम्र में लंबी बीमारी के बाद मुंबई के कोकिला बेन अस्पताल में निधन हो गया है। सुब्रत रॉय सहारा की तबीयत बिगड़ने के बाद रविवार को उन्हें मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल एंड मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट में भर्ती कराया गया था। जहां मंगलवार रात उनका निधन हो गया। अब उनका पार्थिव शरीर लखनऊ के लिए रवाना हो गया है। लखनऊ के सहारा सिटी में उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शनों के लिए रखा जाएगा। इसके बाद कल उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय के निधन के बाद पूंजी बाजार नियामक सेबी के खाते में जमा की गई 25,000 करोड़ से अधिक की अवितरित धनराशि पर फिर से चर्चा शुरु हो गई है। सहारा श्री को अपने समूह की कंपनियों के संबंध में कई विनियामक और कानूनी लड़ाइयों का सामना करना पड़ा। उन पर पोंजी योजनाओं के साथ नियमों को दरकिनार करने का आरोप लगाया गया था, जबकि सहारा समूह हमेशा इन आरोपों से इनकार करता रहा है।

पूंजी बाजार नियामक सेबी ने 2011 में सहारा समूह की दो कंपनियों सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईएल) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसएचआईसीएल) को लगभग 3 करोड़ निवेशकों से जुटाए गए धन को वापस करने का आदेश दिया था। यह धन इन कंपनियों ने आप्शनली फुली कंवर्टिबल बॉन्ड या ओएफसीडी के माध्यम से जुटाए थे। यह आदेश नियामक के इस फैसले के बाद आया कि दोनों कंपनियों ने उसके नियमों और विनियमों का उल्लंघन करके यह धन जुटाया है।

अपील और क्रॉस-अपील की लंबी प्रक्रिया के बाद देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2012 को सेबी के निर्देशों को बरकरार रखते हुए सहारा समूह की दोनों कंपनियों को 15 प्रतिशत ब्याज के साथ निवेशकों से एकत्र धन वापस करने के लिए कहा गया। अंततः सहारा को निवेशकों को रिफंड करने के लिए सेबी के पास अनुमानित 24,000 करोड़ रुपए जमा करने के लिए कहा गया, हालांकि सहारा समूह लगातार यह कहता रहा है कि वह पहले ही 95 प्रतिशत से अधिक निवेशकों को उनके पैसे सीधे वापस कर चुका है।

शेयर बाजार नियामक सेबी की नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सहारा समूह की दो कंपनियों के निवेशकों के खातों में 11 सालों में 138.07 करोड़ रूपए रिफंड किए है। इस बीच, पुनर्भुगतान के लिए विशेष रूप से खोले गए बैंक खातों में जमा धनराशि बढ़कर 25,000 करोड़ से अधिक हो गई। सहारा की दो कंपनियों के अधिकांश बांडधारकों के दावों के अभाव में, 2022-23 के दौरान सेबी द्वारा वापस की गई धनराशि लगभग 7 लाख बढ़ गई है, जबकि सेबी-सहारा रिफंड खातों में बची शेष राशि में व्याज जुड़ने के बाद 1,087 करोड़ रूपए बढ़ गई।

शेयर बाजार नियामक की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, सेबी को 31 मार्च 2023 तक 53,687 खातों से जुड़़े 19,650 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इनमें से 48,326 पंजीकरण से जुड़े 17,526 आवेदनों के लिए कुल 138.07 करोड़ रिफंड किए जा चुके हैं। इसमें 67.98 करोड़ ब्याज राशि भी शामिल है। शेष आवेदन दो सहारा समूह फर्मों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से मेल नहीं खाने की वजह से अस्वीकार कर दिया गया। अपने पिछले अपडेट में, सेबी ने 31 मार्च, 2022 तक 17,526 आवेदनों को दी गई कुल राशि 138 करोड़ बताई थी। इसके साथ ही, सेबी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न आदेशों और शेयर बाजार नियामक द्वारा पारित कुर्की आदेशों के तहत, 31 मार्च, 2023 तक कुल 15,646.68 करोड़ की राशि वसूल की गई।

सुप्रीम कोर्ट के 31 अगस्त 2012 के फैसले के अनुसार पात्र बांडधारकों को देय रिफंड के बाद यह राशि राष्ट्रीयकृत बैंकों में जमा की गई थी। सेबी ने कहा 31 मार्च, 2023 तक राष्ट्रीयकृत बैंकों में जमा कुल राशि लगभग 25,163 करोड़ हो गई है। 31 मार्च 2020 को यह राशि 21,770.70 करोड़ थी। जबकि इसके अगले साल 31 मार्च 2021 को 23,191 करोड़ थी। जबकि 31 मार्च को यह राशि बढ़कर 24076 करोड़ हो गई थी। इस बीच, केंद्र सरकार ने अगस्त माह में उन जमाकर्ताओं के 5,000 करोड़ वापस करने की प्रक्रिया शुरू की, जिनकी धनराशि सहारा समूह की चार सहकारी समितियों में फंस गई थी।

इससे पहले, तत्कालीन केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने निवेशकों को पैसा लौटाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए जुलाई में 'सीआरसीएस-सहारा रिफंड पोर्टल' लॉन्च किया था। इस पोर्टल पर लगभग 18 लाख जमाकर्ताओं का पंजीकरण किया जा चुका है। मार्च में सरकार ने घोषणा की थी कि सहकारी समितियों के 10 करोड़ निवेशकों को 9 माह के भीतर पैसा लौटाया जाएगा। यह घोषणा सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद की गई, जिसमें सहारा-सेबी रिफंड खाते से सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार (सीआरसीएस) को 5,000 करोड़ हस्तांतरित करने का निर्देश दिया गया था।

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