दिल्ली एयरपोर्ट पर डिजी यात्रा सिस्टम के तहत चेहरा ही होगा बोर्डिंग पास
दिल्ली, भारत। आप दुनियाभर के किसी भी एयरपोर्ट पर चले जाएं हवाई यात्रा करने के लिए आपको बोर्डिंग पास की आवश्यकता होती ही है। वहीं, अब देश-दुनिया में लगातार बढ़ती जा रही टक्नोलॉजी के चलते अब लगभग सभी कार्य डिजिटली होते जा रहे है। इसी कड़ी में अब दिल्ली के इंदिरा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र (एयरपोर्ट) पर डिजी (डिजिटल) यात्रा सिस्टम के तहत भी यात्रा शुरू की गई है।
डिजी यात्रा सिस्टम के तहत शुरू हुई यात्रा :
दरअसल, दिल्ली एयरपोर्ट पर अब डिजी (डिजिटल) यात्रा सिस्टम के तहत यात्रा शुरू कर दी गई है। यानी अब एयरपोर्ट पर यात्रियों का चेहरा ही उनका बोर्डिंग पास होगा। उन्हें किसी और टिकट और आईडी चेक कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसकी शुरुआत 75वें स्वतंत्रता दिवस से की गई है। हालांकि, इसकी शुरुआत करने से पहले 20 हजार यात्रियों पर इसका ट्रायल किया गया था। नागरिक उड्डयन मंत्रालय के निर्देशों पर काम करते हुए इसकी शुरुआत टी-3 से की गई है। अभी यह शुरुआत टी-3 पर ही की गई है। जबकि, टी-1 और टी-2 में अभी भी पहले की तरह की यात्रियों की एंट्री होगी। आगे चलकर हो सकता है इसमें ओर भी बदलाव किये जाएं।
करना होगा पहले खुद को रजिस्टर्ड :
खबरों की मानें तो, डिजी यात्रा सिस्टम के तहत जरूरी नहीं है कि, टी-3 से सिर्फ इसी सिस्टम के तहत यात्रियों को एंट्री दी जाएगी। वर्तमान समय में यहां दो फ्लैप गेट (ई-गेट) लगाए गए हैं। जहां से डिजी यात्रा ऐप पर रजिस्टर्ड यात्री प्रवेश पा सकेंगे। बाकी इनके अलावा बाकि के सभी गेटों से पहले की तरह ही यात्रियों को प्रवेश करने मिलेगा। बता दें, इस पेपरलेस और यात्रियों की पहचान वाले और ज्यादा सुरक्षित सिस्टम का लाभ लेने के लिए यात्रियों को पहले डिजी यात्रा ऐप पर आधार या अन्य किसी सरकारी पहचान पत्र के माध्यम से खुद को रजिस्टर्ड कराना होगा। यह पहचान पत्र ऐसा होना चाहिए, जिसमें यात्री के चेहरे की फोटो हो।
यात्री का बचेगा समय :
यदि आप पहले डिजी यात्रा ऐप पर रजिस्टर्ड होंगे तो आपको बस यात्रा की डिटेल रजिस्टर्ड करनी होगी। फिर एयरपोर्ट में एंट्री करते समय आपसे CISF का जवान आपसे न ही टिकिट की मांग करेगा न ही अन्य किसी डॉक्यूमेंट की। हालांकि, CISF के जवान को कुछ संदेह होने पर आपकी जांच की जा सकती है। इसके बाद टी-3 में अंदर जाने पर बोर्डिंग पास लेने या ई-बोर्डिंग पास के साथ यात्री CISF द्वारा जांच की जाने वाले जोन में पहुंचेगा। यहां भी डिजी यात्रा सिस्टम वाले यात्रियों के लिए दो इलेक्ट्रॉनिक-गेट (ई-गेट) दिए गए हैं। जहां से यात्री लाइन से अलग फटाफट अपने चेहरे को स्कैन कराते हुए निकल जाएंगे। हालांकि, CISF के जवान द्वारा यात्री की जांच जरूर की जाएगी। इस प्रक्रिया को शुरू करने से यात्री का समाय बचेगा।
क्या हैं फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी :
फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी की यह तकनीकी सरकार के डिजी यात्रा की स्कीम का एक हिस्सा हैं। इससे आपका फेस आपकी ID का ही काम करता है। ये एक उच्च परिभाषा वाला कैमरा है, जो किसी भी व्यक्ति के फेस की छवि को कैप्चर करता हैं, फिर इन निष्कर्षों की तुलना अपने डेटाबेस में करता है।
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