प्रदूषण से निपटने हेतु दिल्ली सरकार का बड़ा फैसला, अक्टूबर से नहीं कर सकेंगे डीजल वाहन प्रवेश

दिल्ली में ठंडों में हवा ऐसी होती है जैसे किसी ने हवा में जहर घोल दिया हो, लोगों का सांस लेना दूभर हो जाता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए ही दिल्ली सरकार ने डीजल वाहनों को लेकर बड़ा फैसला लिया है।
प्रदूषण से निपटने हेतु दिल्ली सरकार का बड़ा फैसला, अक्टूबर से नहीं कर सकेंगे डीजल वाहन प्रवेश
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दिल्ली, भारत। देश में पॉल्यूशन का स्तर बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है। जिससे देश में अन्य बीमारियां जन्म ले रही हैं। जिन राज्यों में सबसे ज्यादा पॉल्यूशन होता है। उनमें राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का नाम सबसे ऊपर रहता है। इतना ही नहीं दिल्‍ली में फैलने वाला पॉल्यूशन (Delhi Pollution) तो नाम से ही जाना जाता है। यहां कि, हवा ठंडों में मानो ऐसी होती है जैसे किसी ने हवा में जहर घोल दिया हो, लोगों का सांस लेना दूभर हो जाता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए ही दिल्ली सरकार ने डीजल वाहनों को लेकर बड़ा फैसला लिया है।

दिल्ली सरकार का बड़ा फैसला :

दरअसल, दिल्ली-NCR की हवा सर्दियाँ आते ही जहरीली होती जाती है। यहां प्रदूषण का स्तर बहुत तेजी से बढ़ रहा है। क्योंकि, यहां वाहनों के चलते एयर क्वालिटी बहुत ज्यादा खराब होती जाती है और आने वाले समय में दिल्ली में वाहनों के चलते हवा और अधिक खराब होने लगेगी। इस बात को मद्देनजर रखते हुए दिल्ली सरकार ने दिल्ली को प्रदूषण से बचाने के लिए अक्टूबर से बड़े डीजल वाहनों का प्रवेश रोकने का ऐलान किया है। हालांकि, दिल्ली में प्रदूषण बढ़ते ही ऑड-ईवन का नियम लागू कर दिया जाता है।

कब से कब तक बंद रहेंगे वाहन :

दिल्ली सरकार द्वारा किए गए ऐलान के मुताबिक, वाहनों से होने वाला प्रदूषण दिल्ली की हवा को और ज्यादा जहरीला कर देता है। इसलिए इसे रोकने के मकसद से सरकार ने राजधानी में मध्यम और भारी मालवाहक डीजल वाहनों के प्रवेश पर 1 अक्टूबर 2022 से 28 फरवरी 2023 तक के लिए रोक लगा दी है। इस मामले में अधिकारियों ने जानकारी दते हुए बताया है कि, 'इन वाहनों से फैलने वाले प्रदूषण से सर्दियों में वायु गुणवत्ता बिगड़ जाती है इसलिए इन पर पाबंदी लगाई गई है। हालांकि फल, सब्जियां, दूध इत्यादि जरूरी चीजें लाने वाले वाहनों को अनुमति दी गई है।'

फैसले की आलोचना :

बताते चलें, दिल्ली सरकार द्वारा यह फैसला भले प्रदूषण को रोकने के चलते लिया गया हो, लेकिन इस फैसले की काफी आलोचना भी हो रही है। क्योंकि, दिल्ली के व्यापारी और ट्रांसपोर्टर इस पर कड़ी नाराजगी जताई है। इस बैन का हजारों कारोबारियों पर नकारात्मक असर हो सकता है और इससे करोड़ों का नुकसान भी होगा। इस मामले में दिल्ली गुड्स ट्रांसपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन का कहना है कि, 'राजधानी में लगभग 1.5 लाख डीजल वाहन देश के अलग-अलग हिस्सों से रोजाना आते और जाते हैं। कारोबारियों का कहना है कि प्रदूषण के मुख्य कारण निर्माण कार्य और फैक्ट्रियां हैं, सरकार उन पर बैन लगाएं।'

CAIT के महासचिव का कहना :

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने इस बारे में चर्चा करने 29 जून को कई संगठनों की बैठक बुलाई है। इस मामले में उनका कहना है कि, 'त्योहारों और शादियों के सीजन में ये नियम दिल्ली के व्यापारियों को मारने वाले साबित होंगे क्योंकि इस समय व्यापारिक गतिविधियां सबसे ज्यादा होती हैं। इस संबंध में ट्रांसपोर्टरों और व्यापारियों ने दिल्ली के उप राज्यपाल को पत्र लिखकर इस नियम को वापस लेने की मांग की है।'

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