हाइलाइट्स –
देने हैं 91,000 करोड़
2019 में डूब गई थी DHFL
मामला अभी एनसीएलटी के पास
राज एक्सप्रेस। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी/NCLT) ने दिवालिया दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्प लिमिटेड (डीएचएफएल/ DHFL) के ऋणदाताओं को पूर्व प्रमोटर कपिल वधावन द्वारा किए गए प्रस्ताव पर बुधवार को विचार करने का निर्देश दिया।
यह प्रस्ताव दिया -
पूर्व प्रमोटर कपिल वधावन ने शुरुआती कुछ वर्षों में 43,000 करोड़ रुपयों सहित, बंधक ऋणदाता के 91,000 करोड़ बकाया रुपयों को पूरी तरह से निपटाने का प्रस्ताव दिया है।
10 दिन का समय -
ट्रिब्यूनल की मुंबई बेंच ने डीएचएफएल की (DHFL’s) लेनदारों की समिति (सीओसी/CoC) को वधावन की पेशकश पर विचार करने के लिए 10 कार्य दिवसों के भीतर मिलने के लिए कहा है।
विचारणीय स्थिति -
आश्चर्यजनक मोड़ ऐसे समय में आया है जब सीओसी और भारतीय रिजर्व बैंक दोनों ने पहले ही पिरामल समूह (Piramal Group) के डीएचएफएल (DHFL) के अधिग्रहण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है और प्रस्ताव एनसीएलटी (NCLT) के समक्ष है।
आरोप-प्रत्यारोप -
मनी लॉन्ड्रिंग और बैंक फंड के डायवर्जन के आरोपों का सामना कर रहे वधावन ने बार-बार डीएचएफएल के ऋणदाताओं पर कंपनी को उसके उचित मूल्य से काफी कम दाम पर बेचने का आरोप लगाया है।
वधावन की अनुसुनी -
पिछले नवंबर में, वधावन ने आरबीआई द्वारा नियुक्त डीएचएफएल प्रशासक से बोली प्रक्रिया में शामिल करने का अनुरोध किया, लेकिन ऋणदाताओं ने पिरामल की राह चुनी।
आपको बता दें ओकट्री कैपिटल (Oaktree Capital), अडाणी समूह (Adani group) और संकट ग्रस्त संपत्ति खरीदार एससी लोवी (SC Lowy) के बीच एक तीव्र बोली युद्ध के बाद पिरामल समूह सबसे अधिक बोली लगाने वाले के रूप में उभरा था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक सीओसी की वार्ता से अवगत एक व्यक्ति ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा, "ऋणदाताओं को विश्वास नहीं है कि कपिल वधावन के पास डीएचएफएल का कर्ज चुकाने के लिए संसाधन हैं।"
दिवालिया कानून -
भारत का दिवाला कानून किसी भी दिवालिया कंपनी के प्रमोटर या प्रबंधन को इसे फिर से हासिल करने का प्रयास करने से रोकता है।
आगे की राह -
एनसीएलटी के आदेश ने स्पष्ट रूप से ऋणदाताओं को आश्चर्यचकित कर दिया है और वे राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी/NCLAT) से संपर्क कर सकते हैं।
वे एनसीएलटी के आदेश को चुनौती दे सकते हैं क्योंकि आईबीसी की धारा 29 ए वधावन या किसी भी प्रमोटर समूह इकाई को डीएचएफएल की बोली में भाग लेने की अनुमति नहीं देती है।
समर्थन हासिल -
नवंबर 2018 में, RBI ने DHFL के बोर्ड को हटा दिया। इस साल 16 जनवरी को अजय पिरामल के नेतृत्व वाले पिरामल समूह ने अपने समाधान योजना के पक्ष में अपने लेनदारों के वोटों का 94% हासिल किया, जो बंधक ऋणदाता की संपत्ति को लेने के लिए 38,250 रुपये करोड़ का वादा करता है।
सूत्र के मुताबिक आईबीसी प्रक्रिया को वापस लेना केवल उस पक्ष के इशारे पर संभव है जिसने मामले को पहले आईबीसी में लाया जो कि यहां आरबीआई है, न कि कोई व्यक्तिगत ऋणदाता।
इतने लेनदार - डीएचएफएल के लगभग 150,000 लेनदार हैं, जिनमें सावधि जमा और बॉन्ड धारक, बैंक और एनबीएफसी शामिल हैं।
इन्होंने बोली लगाई थी -
14 दिसंबर को ओकट्री कैपिटल, पिरामल एंटरप्राइजेज, अडाणी ग्रुप और एससी लोवी जैसे संकल्प आवेदकों द्वारा दिन की संशोधित बोली लगाई गई थी। फिर वधावन ने एक और पेशकश की।
यह पेशकश की -
प्रशासक को लिखे एक पत्र में, वधावन ने 9,000 करोड़ रुपये के अग्रिम भुगतान के साथ 7-8 वर्षों के भीतर सभी लेनदारों को 100% पुनर्भुगतान करने की अपनी पेशकश दोहराई।
वधावन ने प्रस्तावित किया कि निपटान योजना वित्त वर्ष 22 से शुरू होगी और थोक व्यापार में उधारकर्ताओं से बकाया राशि की वसूली के लिए रुकी हुई परियोजनाओं को पूरा करना सुनिश्चित करेगी।
...फिर किया रुख NCLT का -
दिसंबर में, वधावन ने अपनी संपत्ति को लेने के लिए लगाई गई बोलियों पर ऋणदाता के प्रशासक और सीओसी के खिलाफ एनसीएलटी का रुख किया। सनद रहे अन्य बोलीदाताओं की तुलना में, पिरामल की पेशकश को सीओसी द्वारा चुना गया था।
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डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।
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