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दुनिया भर में तेजी से घट रही चीनी उत्पादों की मांग, मई में चीन के निर्यात में दर्ज की गई 7.5 फीसदी गिरावट

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राज एक्सप्रेस । दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन, आर्थिक मोर्चे पर इन दिनों बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है। पहले माना जा रहा था कि कोरोना महामारी से उबरने के बाद चीन की अर्थव्यवस्था गति पकड़ लेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। शुरुआत में देश में आर्थिक गतिविधियों ने गति पकड़ी थी, लेकिन अब वहां ग्रोथ ठहरी हुई नजर आ रही है। इस स्थिति से देश के युवा निराश हैं। निराशा से उबरने के लिए चीनी युवा बौद्ध और ताओ मंदिरों की ओर रुख कर रहे हैं। वे नौकरी, अच्छे स्कूलों में एडिमिशन और रातोंरात अमीर बनने के लिए मंदिरों में प्रार्थना कर रहे हैं। कम्युनिस्ट देश चीन में इस तरह का नजारा पहले कम ही देखने को मिलता था। ताजा आंकड़ों के मुताबिक चीन के निर्यात में मई में पिछले साल के मुकाबले 7.5 फीसदी की गिरावट आई है।

मई में फैक्ट्री एक्टिविटी में भी आई गिरावट

दुनियाभर में चीनी उत्पादों की मांग में कमी आई है, जिस कारण चीन का एक्सपोर्ट गिरा है। साथ ही मई में फैक्ट्री एक्टिविटी में भी गिरावट आई है और बेरोजगारी चरम पर पहुंच गई है। अनिश्चितता के इस दौर में युवा मंदिरों का रुख कर रहे हैं। इस कारण मंदिरों में भीड़ बढ़ गई है और टूरिज्म में तेजी आई है। मार्च से सोशल मीडिया पर No school-going, no hard-working, only incense-burning पॉपुलर हैशटैग बना हुआ है। हाल के दिनो में युवाओं का मंदिर जाना नियमित दिनचर्या का हिस्सा बन गया है। चीन की भारी दबाव वाली सोसाइटी से बचने के लिए युवा मंदिरों में जा रहे हैं। इस साल चीन की टूरिज्म इंडस्ट्री के लिए Incense-burning youth नंबर वन कैचवर्ड बन गया है।

रेकॉर्ड स्तर पर बेरोजगारी

चीन में रोजगार के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल में 16 से 24 साल के युवाओं की बेरोजगारी 20.4 फीसदी के रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। स्थिति और भी खराब हो सकती है क्योंकि इन गर्मियों में 1.16 करोड़ कॉलेज स्टूडेंट कठिन जॉब मार्केट में पहुंच जाएंगे। अलग-अलग मंदिरों में अलग-अलग तरह के लोग पहुंच रहे हैं। उदाहरण के लिए करियर या फाइनेंशियल सक्सेस की चाहत रखने वाले युवा बीजिंग के योंगे मंदिर में जा रहे हैं। इस मंदिर को लामा मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर में मार्च और अप्रैल में आने वाले विजिटर्स की संख्या में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 530 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है।

युवा बौद्ध और ताओ मंदिरों की ओर रुख कर रहे

चीन आधिकारिक रूप से नास्तिक देश है लेकिन यहां पांच तरह के मतों को मान्यता दी गई है। इनमें बौद्ध, ताओ, प्रोटेस्टेंट, कैथोलिक और इस्लाम शामिल है। बौद्ध और ताओ चीन की संस्कृति का अहम हिस्सा हैं। चीन में बौद्ध और ताओ मत के हजारों मंदिर और मठ हैं। मंदिर जाने वाले अधिकांश लोग युवा हैं। उनकी उम्र 20 से 40 के बीच है। इतना ही नहीं युवा सोशल नेटवर्क्स पर अपने अनुभव भी साझा कर रहे हैं। दक्षिणपश्चिम सिचुआन प्रांत में स्थित इमेई माउन्टेन में बौद्ध मठ में इस साल जनवरी से मई में 24.8 लाख श्रद्धालु आए जो 2019 की तुलना में 53 फीसदी ज्यादा है। टूरिज्म कंपनियों के शेयरों में हाल में काफी तेजी आई है। साथ ही लॉटरी का चलन भी बढ़ रहा है।

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