दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल कॉरिडोर होगा आधुनिक सिग्नलिंग सिस्टम से लैस

दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल कॉरिडोर प्रोजेक्ट को पूरा करने कार्यो को रफ्तार देने के लिए तैयारियां काफी जोरों पर हैं। इसी बीच कॉरिडोर के आधुनिक सिग्नलिंग सिस्टम से लैस होने की जानकारी सामने आई है।
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राज एक्सप्रेस। देश में कोरोना संकट के बीच ही दिल्ली-मेरठ के रैपिड मेट्रो-रेल प्रोजेक्ट के अपने अंतिम चरण में पहुंचने की खबर सामने आई थी। इतना ही नहीं, इस रैपिड रेल प्रोजेक्ट को पूरा करने कार्यो को रफ्तार देने के लिए तैयारियां काफी जोरों पर हैं। इस प्रोजेक्ट के लिए पिलर, ट्रैक से लेकर ट्रेनसेट तक सभी का टेंडर फाइनल होने की प्रक्रिया जारी है। वहीं, अब इस कॉरिडोर के आधुनिक सिग्नलिंग सिस्टम से लैस होने की जानकारी सामने आई है।

आधुनिक सिग्नलिंग सिस्टम से लैस :

दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल कॉरिडोर प्रोजेक्ट को दिल्ली से मेरठ जाने का रास्ता आसान करने के मकसद से तैयार किया गया है। इसके पूरा होते ही दिल्ली से मेरठ तक जाने के लिए महज एक घंटे से भी कम समय लगेगा। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रैपिड रेल कॉरिडोर को आधुनिक सिग्नलिंग सिस्टम से लैस किया जाएगा। यह तकनीक बिल्कुल ऑस्ट्रेलिया, ताईवान, दक्षिण कोरिया एवं सऊदी अरब के सबसे बेहतर ट्रेन कंट्रोल सिस्टम की तरह ही तैयार किया जाएगा। इस कॉरिडोर के निर्माण कार्य में लगभग 910 करोड़ रुपये खर्च आएगा। जिसमें सिग्नलिंग, ट्रेन कंट्रोल एवं टेलीकम्युनिकेशन सिस्टम के डिजाइन, आपूर्ति एवं इंस्टॉलेशन का काम शामिल है। इसके लिए टेंडर जारी कर दिया गया है।

योजना का टेंडर:

बताते चलें, दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल कॉरिडोर को विदेशों की तर्ज पर तैयार किया जा रहा है। यहीं कारण है कि, इसे सिग्नलिंग सिस्टम से लैस रखा जाएगा। इस योजना को तैयार करने के लिए यह टेंडर 12 हजार हॉर्स पावर का भारतीय रेलवे के लिए विद्युत इंजन तैयार करने वाली कंपनी एल्सटॉम को दिया गया है। इसमें सिग्नलिंग एवं ट्रेन कंट्रोल, सुपरविजन, प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर्स एवं टेलीकम्युनिकेशन सिस्टम का डिजाइन, आपूर्ति, टेस्टिंग एवं कमिशनिंग शामिल होगी। यह भारत का ऐसा पहला कॉरिडोर होगा जो, यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (ETCS) हाईब्रिड लेवल-3 सिग्नलिंग सिस्टम का इस्तेमाल करेगा। यूरोप के रेल ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (ERTMS) का प्रमुख सिग्नलिंग एवं ट्रेन कंट्रोल कंपोनेंट है।

सिग्नलिंग सिस्टम का फायदा :

खबरों की मानें तो, यात्रियों को ट्रेन बदलते में कोई परेशानी न उठानी पड़े इसके लिए अलग से कॉरिडोर तैयार किया जाएगा, जिससे यात्री आराम से आना जाना कर सकेंगे। इस सिग्नलिंग सिस्टम का फायदा यह भी होगा कि, ट्रेन ज्यादा से ज्यादा चक्कर लगा सकेगी। इससे यात्रियों के  लम्बे समय तक इंतजार नहीं करना होआ और समय की बचत होगी।

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