राज एक्सप्रेस। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) भारत की एक ऐसी कंपनी है। जो, काफी समय से सिर्फ विदेश की कई कंपनियों के साथ डील करने के लिए चर्चा में रही है। वहीं, हाल ही में RIL की रिलायंस रिटेल वेंचर कंपनी की रीटेल किंग कहे जाने वाले किशोर बियानी की खुदरा कारोबार की दिग्गज कंपनी फ्यूचर ग्रुप से साझेदारी होने की खबरें सामने आईं थीं, लेकिन दोनों कंपनी की यह डील जेफ़ बेजोस की कंपनी Amazon के चलते विवादों में आ गई थी। कुछ समय पहले ये मामला दिल्ली हाई कोर्ट जा पहुंचा था। क्योंकि, इस मामले में Amazon ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की है। वहीं, दिल्ली हाई कोर्ट के फैसके ने दोनों कंपनियों को बड़ा झटका दे दिया है।
Amazon की याचिका पर सुनवाई :
दरअसल, किशोर बियानी की अगुवाई वाली फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (FRL) और मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस रिटेल वेंचर कंपनी की डील को लेकर Amazon ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सुनवाई गुरुवार को हुई। सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने फ्यूचर रिटेल को रिलायंस की 24,713 करोड़ रुपये की डील को आगे बढ़ने पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं। कोर्ट के इस फैसले से दोनों कंपनियों को काफी बड़ा झटका लगा है। इसके अलावा दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में सिंगापुर के मध्यस्थ का आदेश बरकरार रखा है। कोर्ट का भी यही कहना है कि, 'फ्यूचर ग्रुप ने जानबूझकर मध्यस्थ के आदेश का उल्लंघन किया है।'
दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश :
दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए किशोर बियानी और फ्यूचर ग्रुप से संबंधित अन्य की संपत्तियां अटैच करने का भी फैसला सुनाया है। साथ ही कोर्ट ने फ्यूचर ग्रुप के निदेशकों को आदेश दिए हैं कि, 'वह PM रिलीफ फंड में 20 लाख रुपये जमा करें। इस राशि से BPL श्रेणी के वरिष्ठ नागरिकों को कोरोना वायरस वैक्सीन उपलब्ध कराई जाएगी।'
Amazon का कहना :
Amazon का कहना है कि, 'फ्यूचर ग्रुप को मुकेश अंबानी के रिलायंस ग्रुप के साथ सौदा करने पर रोक लगाई जाए।' गौरतलब है कि, Amazon कंपनी पिछले साल से ही दोनों कंपनियों की इस डील को रोकने की लगातार कोशिशें कर रही थी। इतना ही नहीं Amazon कंपनी ने इस डील के विरोध में भारतीय SEBI , स्टॉक एक्सचेंजों और अन्य रेगुलेटरी एजेंसियों को कई पत्र तक लिखे थे, लेकिन अब दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले से लग रहा है कि, आखिरकार Amazon कंपनी को सफलता मिल गई है।
फ्यूचर ग्रुप का कहना :
इस मामले से जुड़े दस्तावेज में बताया गया है कि, फ्यूचर ग्रुप ने कहा था कि, 'अमेजन का यह दावा ठीक नहीं है कि, उसे रिलायंस के साथ हो रही उस डील की जानकारी नहीं थी। सिंगापुर के फोरम में दाखिल 12 अक्टूबर 2020 के इस दस्तावेज में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि, फ्यूचर रिटेल ने 29 अगस्त 2020 को सार्वजनिक सूचना में बताया था कि, उसने रिलायंस के साथ एक डील की है।'
दोनों कंपनियों की डील :
बताते चलें, यदि दोनों कंपनियों की इस डील को अनुमति मिल जाती तो, यह डील कुल 24,713 करोड़ रुपये में पूरी होती, लेकिन फिलहाल दिल्ली हाई कोर्ट ने इस डील पर रोक लगा दी है। I कोर्ट के इस फैसले से Amazon कंपनी को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि वह शुरुआत से ही इस डील के खिलाफ थी। Amazon ने इस डील को लेकर ऐतराज इसलिए जताया था क्योंकि, साल 2019 के अगस्त में Amazon ने फ्यूचर ग्रुप में 49% हिस्सेदारी हासिल की थी और तब दोनों कंपनियों के बीच कुछ शर्ते रखी गई थीं। Amazon में मुताबिक फ्यूचर ग्रुप ने इन शर्तो का उल्लंघन किया था।
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