हाइलाइट्स :
PMCB के कारण जमाकर्ता ग्राहक परेशान
मोबाइल कंपनियां को शिथिल नियमों की आड़
एक के यहां रुपया डूबा, दूसरे के यहां सपने
बैंक से रुपया नहीं मिल रहा, दूसरे के कारण मोबाइल हुए डब्बा
राज एक्सप्रेस। PMCB मामले में RBI की बेरुखी और आजीवन मुफ्त सेवा के पर नाम धन बटोर कर सर्विस बंद करने वाली मोबाइल कंपनियों के मामले में TRAI के सुस्त कदमों के कारण दोनों बार मार कंज्यूमर पर पड़ रही है। बैंक से रुपया न मिला तो कई जमाकर्ता दुनिया से विदा हो गए, वहीं दुनिया को मुट्ठी में करवाने का सपना दिखाने वाली कंपनी ने जब कारोबार बीच में बंद किया तो कई महंगे मोबाइल और सिम, सपने की तरह डब्बे में कैद हो गए।
गाइडलाइन की असमंजस :
पंजाब महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक (PMCB) त्रासदी से जूझ रहे जमाकर्ता ग्राहक बैंक की कतार में लगने के बाद कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने हैरान, परेशान हैं, वहीं टेलिफोन मोबाइल या यूं कहें कि आधुनिक संचार के तमाम संसाधनों को लेकर कोई समाधानकारी गाइड लाइन न होने से सायबर (मोबाइल, कम्प्यूटर या अन्य साधनों) सर्विस प्रोवाइडर्स भी कानूनों से अनजान कस्टमर्स के हितों से खिलवाड़ कर रहे हैं।
PMCB में क्यों डूबा रुपया :
दरअसल कंज्यूमर्स की फ्री सर्विस का लुत्फ लेने के लिए कतार में लगने की आदत का ही सर्विस प्रोवाइडर्स लाभ उठाते हैं। बैंक ज्यादा ब्याज का लालच देते हैं ताकि ग्राहक मिले। अब चूंकि सहकारी बैंक सामान्य सार्वजनिक क्षेत्र और निजी बैंकों की तुलना में उच्च ब्याज दर का दावा करते हैं तो जमाकर्ता भी खिंचे चले आते हैं।
रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के नियम :
अनुपालन और विनियामक मुद्दों के संबंध में RBI सहकारी बैंकों की तुलना में PSU और निजी बैंकों के साथ बहुत सख्त है। हालांकि RBI के धन निकासी के प्रतिबंध से जमाकर्ता को धन की पहुंच में कटौती होने से जमाकर्ताओं की जान जाने तक की खबरें सुर्खी बन रहीं हैं। किसी बैंक के डूबने की दशा में निर्दिष्ट दशाओं में जमाकर्ता प्रति अकाउंट 1 लाख जबकि संयुक्त खाते की दशा में 2 लाख तक का मालिक माना जाएगा। अब उनके प्राण पखेरू तो उड़ने ही हैं जिन्होंने इसके कई गुना अधिक राशि PMCB में जमा की थी।
अटेंशन टू द बैंक कस्टमर्स :
किसी बैंक की वित्तीय हालत के साथ आरबीआई की एडवाइज़री, बैंक की रिटर्न ऑफ एसेट्स (ROA), बैंक के नेट NPA (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स) अनुपात की जांच करें।
RBI की गाइडलाइन्स के मुताबिक सभी कमर्शियल बैंक और कोऑपरेटिव बैंक डिपॉज़िट इन्श्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGC) के तहत इन्श्योर्ड होते हैं। सिर्फ प्राइमरी कोऑपरेटिव सोसाइटियों को डीआईसीजीसी के तहत कवर नहीं किया जाता है।
DICGC के मुताबिक प्रत्येक जमाकर्ता को उसके द्वारा मूलधन और ब्याज राशि दोनों के लिए 1 लाख रुपये तक का बीमा लाभ देने की अनिवार्यता है। इसमें करंट अकाउंट, सेविंग अकाउंट, सावधि जमा आदि में रखी गई सभी जमा राशियाँ शामिल हैं।
बैंक के दिवालिया होने की दशा में यदि जमाकर्ता की जमा रकम 1 लाख से ज्यादा है, तो उसे केवल 1 लाख रुपये तक मूलधन और ब्याज राशि प्राप्त होगी।
ये तो हुई बैंक की बात अब बात करते हैं मोबाइल वर्ग वाले ग्राहकों की-
सायबर संसार में भी डाका :
ऐसा नहीं है कि, लचीले नियम-कायदों का फायदा उठाकर सिर्फ बैंकिंग कारोबार में ग्राहक को चूना लगाया जा रहा हो मोबाइल, इंटरनेट, टेलिविज़न सभी जगह नए-नए प्लान बनाकर नियमों से अनजान ग्राहक की जेब ढीली की जा रही है।
ऐसे हुई शुरुआत :
भारत में मोबाइल युग की शुरुआत करने वाली कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशन ने जब मुफ्त में मोबाइल बांटे तो ग्राहक खुश हो गए। लेकिन बाद में जब नए-नए प्लानों में उलझे कस्टमर्स को महंगे सीडीएमए मोबाइल खरीदकर फंसने की हकीकत पता चली तब तक कंपनी ने कारोबार बंद करने की दु:खद घोषणा कर डाली।
ये कैसे सपने :
भूलना नहीं चाहिए यहां TRAI के नियम उस दौर में बुनियादी दौर में थे, कंपनी ने ताज़िंदगी सर्विस देने के नाम पर महंगे प्रीपेड, पोस्टपेड प्लान का झांसा दिया। जब कंपनी ही कुछ साल की थी फिर सर्विस कैसे लॉन्ग लाइफ सर्विस देने का वादा कर सकती है। अलबत्ता नुकसान यूज़र्स को हुआ उसे नंबर पोर्टेबिलिटी से लेकर नया मोबाइल तक खरीदने के लिए विवश होना पड़ा क्योंकि अब आदत जरूरत बन चुकी थी।
दोनों नियामक अनजान! :
PMCB मामले में कंज्यूमर्स जानकारी के अभाव में सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट भेजे गए हैं वैसे ही मोबाइल कंपनियों के खिलाफ दावा करने वालों की फाइल्स सुप्रीम कोर्ट में पैंडिंग हैं। शिकायत दर्ज करने को लेकर कंज्यूमर्स को असुविधा होती है। यहां भी TRAI के नियम सख्त नहीं हैं।
TRAI के पता ठिकानों
यहां साफ लिखा है कि, यह सरकार की सर्विस है उपभोक्ता की शिकायतें यहां सीधे नहीं सुनी जाएंगी। यहां शिकायत कहां करें ढूंढ़ने पर भी नहीं मिलेगा। फ्रीक्वेंटली आस्क्ड क्वेश्चन (FAQ) में भी पीडीएफ डाउनलोड करने के निर्देश हैं।
सोशल मीडिया पर नो ट्राय :
TRAI के सोशल मीडिया अकाउंट में भी वन वे सर्विस है। यानी यहां सिर्फ इसे हैंडल करने वाले अपनी राय रख सकते हैं। यहां साफ लिखा है-
“यह टेलिफोन रेग्युलैटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया का अधिकृत सोशल मीडिया हैंडल है, कंज्यूमर्स की व्यक्तिगत शिकायतों का यहां समाधान नहीं किया जाता।”
TRAI
जाएं तो जाएं कहां :
अब कंज्यूमर्स जाएं तो जाएं कहां? क्योंकि सर्विस प्रोवाइडर कस्टमर केयर सर्विस पर कंपनी का ऑफर परोसते समय तो मीठी बातें होती हैं लेकिन शिकायत करने पर तेवर तेढ़े हो जाते हैं। किस कोर्ट में की जाए शिकायत? ऐसे कोई नियम कायदों का ग्राहक हित में प्रसार नहीं होने से कस्टमर्स की गाढ़ी कमाई पर डाका पड़ रहा है। कस्टमर की हालत को देखकर कहा जा सकता है RBI और TRAI उसके लिए आगे कुआं और पीछे खाई वाले नियामक बनते जा रहे हैं।
ताज़ा ख़बर पढ़ने के लिए आप हमारे टेलीग्राम चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। @rajexpresshindi के नाम से सर्च करें टेलीग्राम पर।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।