वित्तीय संस्थानों को अपनी बैलेंस शीट मजबूत करने की जरूरत है
भारत में संभावित उत्पादकता को लेकर माहौल गति पकड़ रहा है
08 फरवरी को होगी आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक
राज एक्सप्रेस। देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने मासिक बुलेटिन में कहा है कि मौजूदा दौर में वित्तीय संस्थानों को अपनी बैलेंस शीट मजबूत करने की जरूरत है। रिजर्व बैंक ने अपने बुलेटिन में कहा है कि मैक्रोइकोनॉमिक मोर्चे पर स्थिरता वाले इस माहौल में भारत को आर्थिक विकास की मौजूदा रफ्तार को बरकरार रखने की जरूरत है। उसे अगले वित्त वर्ष में 7 फीसदी से अधिक जीडीपी ग्रोथ हासिल करने के लिए प्रयास करने चाहिए।
रिजर्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट 'अर्थव्यवस्था की स्थिति' में कहा है कि भारत में संभावित उत्पादकता को लेकर माहौल गति पकड़ रहा है। वास्तविक वास्तविक उत्पादकता संभावित उत्पादकता से ऊपर है। देश के सांख्यिकी कार्यालय द्वारा इसी माह जारी आंकड़ों में मौजूदा वित्त वर्ष के लिए 7.3 फीसदी सालाना विकास दर का अनुमान जताया गया है, जो दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की ग्रोथ के मुकाबले ज्यादा है।
आरबीआई ने विकास दर 7 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया है। हालांकि, केंद्रीय बैंक आठ फरवरी को होने वाली मौद्रित नीति समिति की बैठक में इसमें और वृद्धि कर सकता है। केंद्रीय बैंक के मासिक बुलेटिन में यह भी कहा गया है कि वित्तीय संस्थानों को अपनी बैलेंस शीट मजबूत रखने की जरूरत है। इसके साथ ही कंपनियों को अपनी एसेट क्वॉलिटी में भी सुधार करने की जरूरत है।
रिजर्व बैंक के बुलेटिन के मुताबिक, 'सरकारी कैपिटल एक्सपेंडिचर के साथ-साथ इसमें निजी सेक्टर की भागीदारी करने की जरूरत है और कॉरपोरेट सेक्टर और फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट के जरिये इसकी रफ्तार और तेज हो सकती है। मुद्रास्फीति पर खाद्य पदार्थों की कीमतों के असर से जुड़े एक अन्य लेख में भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि खाद्य पदार्थों की कीमतों में बदलाव से महंगाई पर असर निश्चित ही देखने को मिलेगा। इस लिए खाद्य पदार्थों की महंगाई को कम करने के प्रयास किेए जाने चाहिए।
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