राज एक्सप्रेस। बीते सालों में देश में कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन के कारण देशों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। हालांकि, उस समय कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई थी, लेकिन पिछले साल तेल की कीमतों में काफी बढ़त दर्ज हुई थी। जो दुनियाभर में लगभग दो साल बाद अपने उच्च स्तर पर जा पहुंची थी। वहीं, मार्च में कच्चे तेल की बढ़ी हुई कीमतें बीते 8 सालों के अपने उच्चतम स्तर पहुंच गई थीं। वहीं, अब रूस और यूक्रेन की जंग के चलते कच्चे तेल (क्रूड ऑइल) की कीमतों में लगातार बढ़त दर्ज हो रही है। रूस के खिलाफ लगे प्रतिबंध के कारण कच्चा तेल 105 डॉलर के पार पहुंच गया है।
कच्चे तेल की कीमतें 105 डॉलर के पार :
दरअसल, रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण रूस के खिलाफ एक्शन लेते हुए कई देशों और कंपनियों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए है। ऐसे में यूरोपीय संघ ने भी रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाए थे। जिसका असर सीधे कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ता नज़र आ रहा है। कच्चे तेल की कीमतें बढ़ते हुए 105 डॉलर को भी पार कर गई है। जी हां, अब कच्चे तेल की कीमतें 105 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गई है। इसी बीच समर्थन और आपूर्ति से जुड़ी चिंता बढ़ने से ब्रेंट क्रूड में 2.99% की बढ़त दर्ज की गई है।
और अधिक बढ़ सकती है कीमतें :
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमत इस साल बढ़कर 139 डॉलर पर पहुंच गई थी। बताते चलें, पहले पिछले दो सत्रों के दौरान भी कच्चे तेल की कीमतों में 10% की गिरावट दर्ज हुई थी। जानकारों का कहना है कि, 'यूरोपीय संघ के रूसी तेल पर प्रतिंबध लगाने के प्रस्ताव से आने वाले समय में तेल की कीमतें और बढ़ सकती हैं।' जबकि एक ब्रोकरेज हाउस का कहना है कि, 'चीन की अर्थव्यवस्था में राहत की उम्मीदों के कारण भी तेल की कीमतों में तेजी बनी रही। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमत इस साल बढ़कर 139 डॉलर पर पहुंच गई थी।'
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