राज एक्सप्रेस । भीषण नकदी संकट से जूझ रही निजी क्षेत्र की विमानन कंपनी गो फर्स्ट के क्रेडिटर्स ने विमानन कंपनी को अपना परिचालन फिर शुरू करने के लिए रिवाइवल पैकेज के रूप में शनिवार रात 425 करोड़ रुपए की अंतरिम फंडिंग को मंजूरी दे दी है। कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (सीओसी) में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, डॉयचे बैंक और आईडीबीआई बैंक शामिल हैं। निजी क्षेत्र की विमानन कंपनी गो फर्स्ट ने हाल ही में ऑपरेशन शुरू करने के लिए लेंडर्स का दरवाजा खटखटाया था। इस फंडिंग से कंपनी को आपरेशनल होने में मदद मिलेगी, हालांकि अभी उसकी सभी बाधाएं खत्म नहीं हुई हैं।
विमानन कंपनी को अपने ऑपरेशन शुरू करने के लिए अभी डीजीसीए की भी मंजूरी चाहिए होगी। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस सप्ताह की शुरुआत में हुई बैठक में धनापूर्ति का प्रस्ताव गो फर्स्ट की क्रेडिटर्स कमेटी के सामने रखा गया था। गो फर्स्ट ने जुलाई में ऑपरेशन फिर से शुरू करने और 22 विमानों के साथ 78 रोजाना उड़ानें शुरू करने की योजना बनाई है। उसकी इस योजना को क्रेडिटर्स की मंजूरी मिल गई है, अब डीजीसीए की अनुमति मिलने के बाद विमान कंपनी अपनी उड़ानें फिर से संचालित करने लगेगी।
संकटग्रस्त गो फर्स्ट पर अपने लेंडर्स का 6,521 करोड़ रुपए बकाया है। एक्यूइट रेटिंग्स एंड रिसर्च ने 19 जनवरी की रिपोर्ट में बताया था कि सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का सबसे ज्यादा 1,987 करोड़ रुपए का एक्सपोजर था, इसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा का 1,430 करोड़ रुपए, डॉयचे बैंक का 1,320 करोड़ रुपए और आईडीबीआई बैंक का 58 करोड़ रुपए था। विमानन कंपनी ने सबसे पहले अपनी उडा़नें 3, 4 और 5 मई के लिए स्थगित की थीं। इसके बाद इसे बढ़ाकर 9 मई तक कर दिया गया। फिर 12 मई कर दिया गया। इसी तरह फ्लाइट स्थगित करने का क्रम बढ़ाते-बढ़ाते 28 जून तक आ गया है।
गो फर्स्ट एयरलाइन ने 2 मई को बताया कि वह 3, 4 और 5 मई के लिए अपनी सभी फ्लाइट कैंसिल कर रही है। 3 मई को एयरलाइन स्वैच्छिक दिवालिया याचिका के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल यानी एनसीएलटी जा पहुंची। गो फर्स्ट एयरलाइन की याचिका पर एनसीएलटी ने 4 मई को सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था। फ्लाइट सस्पेंशन को 4 मई से बढ़ाकर 9 मई तक किया। फिर 12 मई और आगे 19 मई तक इसे बढ़ा दिया।
10 मई को एनसीएलटी ने एयरलाइन को राहत देते हुए मोरेटोरियम की मांग को मान लिया और आईआकपी नियुक्त किया। अभिलाष लाल को आईआरपी नियुक्त किया। जस्टिस रामलिंगम सुधाकर और एलएन गुप्ता की दो सदस्यीय बेंच ने कर्ज में डूबी गो फर्स्ट को चलाने के लिए अभिलाष लाल को अंतरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (आईआरपी) नियुक्त किया था। उल्लेखनीय है कि यह पहली बार है जब किसी भारतीय एयरलाइन ने खुद से ही अपने कॉन्ट्रेक्ट और कर्ज को रिनेगोशिएट करने के लिए बैंकरप्सी प्रोट्रेक्शन की मांग की थी।
इससे पहले एयरलाइन की इंटरिम मोरेटोरियम की मांग पर 4 मई को एनसीएलटी ने पहली सुनवाई की थी। इस दौरान गो फर्स्ट को लीज पर एयरक्राफ्ट देने वाली फर्म्स ने एनसीएलटी से कहा था कि उन्हें एयरलाइन की इंटरिम मोरेटोरियम की मांग पर आपत्ति है। मोरेटोरियम के गंभीर परिणाम होंगे। लेसर्स ने जस्टिस रामलिंगम सुधाकर की अगुआई वाली बेंच को बताया था कि उन्होंने लीज को खत्म कर दिया है और वे विमान वापस पाने के हकदार हैं। लेसर्स ने कहा था कि मेंटेनेंस और अन्य खर्चों को लेकर भी गो फर्स्ट का रिकॉर्ड ठीक नहीं हैं। यदि गो फर्स्ट को मोरेटोरियम राहत दी जाती है, तो वे अपने ग्राउंडेड विमान को वापस नहीं ले पाएंगे।
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