अगले साल से कपड़े और जूते खरीदना पड़ सकता है महंगा

अगले साल की शुरुआत से आपको कपड़े और जूते खरीदना महंगा पड़ सकता है। क्योंकि, GST बैठक के दौरान कपड़े और जूते उद्योग के इनवर्टेड शुल्क ढांचे में बदलाव करने की शर्त मान ली है।
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राज एक्सप्रेस। यदि ज्यादातर लोगों जैसे ही आपको भी नए कपड़े और जूते खरीदने और पहनने का शौक है तो ये खबर आपको निराश कर सकती है। हालांकि, आपके पास अभी कुछ महीने का समय है आप इस दौरान कई सारे कपड़े और जूते खरीद सकते हो। वहीं, अगले साल की शुरुआत से आपको कपड़े और जूते खरीदना महंगा पड़ सकता है। क्योंकि, GST बैठक के दौरान कपड़े और जूते उद्योग के इनवर्टेड शुल्क ढांचे में बदलाव करने की शर्त मान ली है।

कपड़े और जूते होंगे महंगे :

दरअसल, नए कपड़े और जूते खरीदने के शौकीन लोगों को अगले साल यानी 1 जनवरी 2022 से कपड़े और जूते खरीदने के लिए जेब और ज्यादा ढीली करना पड़ेगी क्योंकि, इनकी कीमतों में बढ़त दर्ज हो जाएगी। बता दें, ऐसा इसलिए होगा क्योंकि, GST काउंसिल द्वारा कपड़े और जूते उद्योग के इनवर्टेड शुल्क ढांचे में बदलाव करने को लेकर लंबे समय से उठाई जा रही मांग को मान लिया गया है। इसके साथ ही GST काउंसिल ने नए साल से नया शुल्क ढांचा लागू करने का भी ऐलान किया है। नया शुल्क ढांचा लागू होने के बाद से जूते और कपड़े महंगे हो जाएँगे।

जूते और कपड़े पर GST :

बताते चलें, बीते महीने GST काउंसिल की बैठक का आयोजन हुआ था। जिसमे कई अहम फैसले लिए गए। इसी दौरान कपड़े और जूते उद्योग के इनवर्टेड शुल्क ढांचे में बदलाव करने के फैसले को स्वकृति मिल गई है। बता दें, कपड़े और जूते को लेकर इस तरह की मांग बहुत समय से उठ रही थी कि, 'जूता बनाने के कच्चे माल पर 12% GST है और तैयार करने वाले उत्पादों पर GST केवल 5% है। इस नुकसान की भरपाई के लिए कच्चे माल पर चुकाए शुल्क को वापस किया जाना चाहिए।' इसके अलावा वर्तमान समय में कपड़े और जूते उत्पादों पर 5% GST लगता है, जबकि महंगे जूतों पर 18% GST लगता है।

MMF फैब्रिक सेगमेंट पर GST :

जानकारी के लिए बता दें, वर्तमान समय में MMF फैब्रिक सेगमेंट (फाइबर और यार्न) में इनपुट पर 18% और 12% की GST लगता है, जबकि MMF फैब्रिक पर GST की दर 5% और तैयार माल के परिधान के लिए 5% और 12% लगती है। इस प्रकार देखा जाये तो इनपुट पर GST आउटपुट से ज्यादा लगता है और इससे MMF कपड़े और कपड़ों के टैक्सेशन की प्रभावी दर बढ़ जाती है और फाइबर न्यूट्रैलिटी के सिद्धांत का उल्लंघन होता है।

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