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चुनाव के पहले सहारा के 2.76 करोड़ निवेशकों के 80,000 करोड़ दिलाने के केंद्र ने शुरू किए प्रयास

केंद्र ने लोकसभा चुनाव के पहले सहारा में 2.76 करोड़ छोटे निवेशकों द्वारा जमा किए गए 80 हज़ार करोड़ रुपये वापस दिलाने की कवायद तेज कर दी है।
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हाईलाइट्स

  • केंद्र का मानना है भुगतान नहीं किया तो लोकसभा चुनाव में पड़ेगा असर।

  • सहारा में देश के 26 राज्यों के 2.76 करोड़ लोगों ने किया था निवेश।

  • 10 हजार ही लौटाए जाएं तो 27 हजार करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी।

राज एक्सप्रेस । केंद्र सरकार ने 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के पहले सहारा समूह की विभिन्न योजनाओं में देश के 26 राज्यों के 2.76 करोड़ छोटे निवेशकों द्वारा जमा किए गए 80 हज़ार करोड़ रुपये वापस दिलाने की कवायद तेज कर दी है। भाजपा नीत केंद्र सरकार का मानना है कि इन निवेशकों का भुगतान नहीं किया गया तो लोकसभा चुनाव में इसका विपरीत असर पड़ सकता है। उल्लेखनीय है कि सहारा समूह में देश के 26 राज्यों के 2.76 करोड़ छोटे-बड़े निवेशकों ने लगभग 80 हज़ार करोड़ रुपये जमा कराए थे।

समूह के ख़िलाफ़ प्रवर्तन निदेशालय समेत कई एजेंसियां 2008 से जांच में लगी हैं। छोटे निवेशकों को पैसा लौटाने के लिए ने केंद्र सरकार ने सेंट्रल रजिस्ट्रार ऑफ को-ऑपरेटिव सोसाइटी का पोर्टल लॉन्च किया है। इसके तहत निवेशकों को अधिकतम दस हज़ार रुपये लौटाए जाने हैं, भले ही निवेशक ने कितना ही पैसा क्यों न जमा किया हो। पैसा लेने के लिए 20 लाख से अधिक निवेशकों ने पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन करा लिया है।

बता दें कि 29 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने सहकारिता मंत्रालय को इस फंड का एक्सेस दे दिया। जिसके बाद पांच हजार करोड़ के इस फंड से निवेशकों को पैसा लौटाने का फैसला किया गया। सहारा की विभिन्न योजनाओं में निवेश करने वाले लोगों की संख्या 2.76 करोड़ है। दिक्कत की बात यह है कि अगर सभी निवेशकों केवल दस हजार रुपये ही लौटाए जाएं तो इसके लिए 27 हजार करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी।

जबकि सेबी के खाते में केवल 25 हजार करोड़ रुपए ही जमा है। निवेशक बाकी पैसों का क्या होगा, मंत्रालय के अधिकारी इस पर माथापच्ची कर रहे हैं। केंद्र सरकार इस मामले को हर हाल में अगले साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के पहले निपटाना चाहती है। क्योंकि उसे लगता है कि अगर निवेशकों को भुगतान नहीं किया गया, तो लोकसभा चुनाव में इसका विपरीत असर पड़ेगा।

सहारा में निवेश करने वाले लोगों की संख्या करोड़ों में है। इनमें से बहुत बड़ी संख्रया उन राज्यों से आती है, जहां भाजपा का अच्छा खासा प्रभाव है। भाजपा का मानना है कि लोकसभा चुनाव में इसे मुद्दा बनाया जा सकता है। इसी लिए उसने यह भुगतान चुनाव के पहले कराने की योजना बनाई है। प्रदेश से सहारा की विभिन्न योजनाओं में 85 लाख निवेशकों ने लगभग 22 हजार करोड़ रुपए निवेश किया है। इसी तरह बिहार में 55 लाख निवेशकों ने सहारा की विभिन्न योजनाओं में पैसा लगाया है। जबकि, झारखंड के 24 लाख निवेशकों के पैसे सहारा के फंड में फंसे हुए हैं।

भाजपा का मानना है कि लोकसभा चुनाव से पहले सरकार का यह कदम उसे मध्यमवर्गी मतदाताओं से जोड़ देगा, जिन्होंने सहारायन क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, सहारायन यूनिवर्सल मल्टीपर्पज सोसाइटी लिमिटेड, हमारा इंडिया क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड और स्टार्स मल्टीपर्पज को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड में निवेश किया है। इन को-ऑपरेटिव सोसाइटियों ने रजिस्टर होने के कुछ साल बाद तक निवेशकों को वायदे के मुताबिक आठ से लेकर ग्यारह फीसदी तक रिटर्न दिया, लेकिन 2017-18 से निवेशकों को रिटर्न मिलना बंद हो गया था।

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