केंद्र ने खारिज की हिंदुस्तान जिंक की स्प्लिट करने की योजना, कहा तय नहीं शेयरधारकों का बढ़ेगा मूल्य

केंद्र सरकार ने हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड को विभाजित करने की योजना को खारिज कर दिया है। केंद्र सरकार हिंदुस्तान जिंक की सबसे बड़ी माइनारिटी शेयर होल्डर है।
VL Kantarao, secretary ministry of mines
VL Kantarao, secretary ministry of minesRaj Express
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हाईलाइट्स

  • केंद्र ने हिंदुस्तान जिंक को विभाजित करने की योजना को खारिज किया

  • केंद्र सरकार हिंदुस्तान जिंक की सबसे बड़ी माइनारिटी शेयर होल्डर है

  • उसके पास सबसे अधिक शेयर होल्डिंग तो है, पर वे 50% से कम हैं

राज एक्सप्रेस । केंद्र सरकार ने हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड को विभाजित करने की योजना को खारिज कर दिया है। केंद्र सरकार हिंदुस्तान जिंक की सबसे बड़ी माइनारिटी शेयर होल्डर है। केंद्र सरकार इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं है कि विभाजन से शेयरधारकों का मूल्य बढ़ेगा। खान मंत्रालय के सचिव वीएल कांताराव ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि उसे इस बात की चिंता है कि विभाजन से कंपनी के कर्मचारियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। दरअसल, केंद्र सरकार हिंदुस्तान जिंक को एक एकीकृत कंपनी के रूप में देखना चाहती है। सरकार को हिंदुस्तान जिंक के प्रबंधन पर भरोसा नहीं है कि वह विभाजन को सफलतापूर्वक पूरा कर सकेगा।

हिंदुस्तान जिंक ने कहा कि वह सरकार के फैसले का सम्मान करती है और कंपनी अपने विकल्पों पर विचार करेगी। बता दें कि इस संकनी में सरकार के सबसे बड़ी माइनारिटी शयरहोल्डर होने का मतलब है कि केंद्र सरकार के पास हिंदुस्तान जिंक में सबसे ज्यादा शेयर तो हैं, लेकिन वे 50% से कम हैं। 50 फीसदी से कम शेयर होल्डिंग होने की वजह से उसके पास कंपनी का नियंत्रण नहीं रह गया है।

केंद्र सरकार के पास हिंदुस्तान जिंक में 29.54% हिस्सेदारी है। इसका मतलब है कि कंपनी के मुनाफे में केंद्र सरकार की 29.54% हिस्सेदारी है। सरकार कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को चुनने और कंपनी द्वारा किए गए महत्वपूर्ण निर्णयों पर वोट देने के माध्यम से कंपनी के प्रबंधन को प्रभावित कर सकती है। पिछले साल के सितंबर माह में, कंपनी ने अपनी जस्ता, सीसा, चांदी और रिसाइक्लिंग व्यवसायों के लिए अलग-अलग इकाइयां स्थापित करने की योजना बनाईु थी, ताकि शेयरधारकों के मूल्य को बढ़ाया जा सके।

एक अधिकारी ने अपना नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया कि कंपनी ने सरकार से विचार-विमर्श नहीं किया, जिसकी कंपनी में 29.54% हिस्सेदारी है। उन्होंने कहा सरकार हिंदुस्तान जिंक के विभाजन के तर्क से सहमत नहीं है और खान मंत्रालय ने कंपनी के साथ अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। हिंदुस्तान जिंक के सीईओ अरुण मिश्रा ने बताया कि कंपनी को मंत्रालय का संचार प्राप्त हुआ है, जिस पर बोर्ड के साथ प्रबंधन के अवलोकनों के साथ चर्चा की जाएगी।

हालांकि, मिश्रा का मानना है कि एक सलाहकार की रिपोर्ट के आधार पर कंपनी को एक अलग चांदी और जस्ता इकाई बनाने में विभाजित करने से उसके बाजार पूंजीकरण को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। उल्लेखनीय है कि एक साल पहले, सरकार ने हिंदुस्तान जिंक के वेदांत की दो इकाइयों को खरीदने के प्रस्ताव का विरोध किया था - जिसकी हिंदुस्तान जिंक में 64.9% हिस्सेदारी है - और कंपनी को योजना छोड़ने के लिए मजबूर किया था।

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